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बेमौसम बारिश-ओलावृष्टि से हुए नुकसान का सर्वे कराए केंद्र सरकार, लोकसभा में किसानों के लिए उठी मांग

लोकसभा में बसपा सांसद कुंअर दानिश अली ने कहा कि उत्तरप्रदेश के कई इलाकों में गेहूं से लेकर तमाम खड़ी फसलें लगभग बर्बाद हो गई हैं।

By Dhyanendra SinghEdited By: Published: Tue, 17 Mar 2020 10:59 PM (IST)Updated: Tue, 17 Mar 2020 11:05 PM (IST)
बेमौसम बारिश-ओलावृष्टि से हुए नुकसान का सर्वे कराए केंद्र सरकार, लोकसभा में किसानों के लिए उठी मांग
बेमौसम बारिश-ओलावृष्टि से हुए नुकसान का सर्वे कराए केंद्र सरकार, लोकसभा में किसानों के लिए उठी मांग

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। बेमौसम की बरसात और ओलावृष्टि से फसलों को हुए भारी नुकसान का मुद्दा राज्यसभा के बाद बुधवार को लोकसभा में भी उठाया गया। साथ ही केंद्र सरकार से फसलों की क्षति का जायजा लेने के लिए केंद्रीय टीम को तत्काल उत्तरप्रदेश भेजने की मांग उठाई गई।

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लोकसभा में बसपा सांसद कुंअर दानिश अली ने कहा कि उत्तरप्रदेश के कई इलाकों में गेहूं से लेकर तमाम खड़ी फसलें लगभग बर्बाद हो गई हैं। सूबे के पश्चिमी जिलों विशेषकर अमरोहा में आम के फलों को भी ओलावृष्टि का खामियाजा भुगतना पड़ा है। किसानों को इस वजह से दोहरी मार पड़ी है और ऐसे में केंद्रीय टीम भेजने का फैसला सरकार को यथाशीघ्र लेना चाहिए। इस नुकसान से मुश्किल में घिरे किसानों को तत्काल मदद दी जानी चाहिए और इसीलिए केंद्रीय दल भेजने के फैसले में देरी नहीं की जाए।

एक दिन पहले सपा सांसद ने उठाया था मुद्दा

वहीं, इसके एक दिन पहले सदन में सपा के वरिष्ठ सदस्य रेवती रमण सिंह ने भी ओलावृष्टि से विशेषकर पूर्वी उत्तरप्रदेश के जिलों में फसलों की बर्बादी का मुद्दा उठाया था। उन्होंने कहा मार्च के महीने में इतनी भारी बारिश हतप्रभ करने वाली रही है जिसने तैयार खड़ी गेहूं और सरसों आदि की फसलों को तबाह कर दिया है। किसानों के पास कुछ बचा नहीं है और ऐसे में केंद्र सरकार को तत्काल नुकसान का सर्वे कराकर किसानों को मुआवजा देना चाहिए।

बता दें कि मौसम की मार से किसान परेशान हैं। बारिश तो कभी ओलावृष्टि से उनकी फसल को नुकसान हो रहा है। गेहूं की फसल जहां खेतों में बिछ गई है वहीं, सरसों झड़ गई है। बारिश से गोभी की फसल को रोग लग गया है। ओले ने उसको बेकार कर दिया है। यही हाल आलू की फसल का है। खेतों में खड़ी गन्ने की फसल भी गेहूं की तरह ढह गई है। हैरानी की बात ये है कि अभी तक विभाग 15 से 25 फीसद तक ही फसलों को मौसम की वजह से नुकसान मानकर चल रहा है। बहरहाल, अब उनके द्वारा गांव-गांव जाकर आंकड़े को जुटाने का कार्य शुरू कर दिया है।


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