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कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के विरोध के बीच दिल्ली में अब एलजी ही 'सरकार', विधेयक लोकसभा से हुआ पास

केंद्रीय गृह राज्य मंत्री जी किशन रेड्डी ने कहा कि राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार (संशोधन) विधेयक 2021 बहुत जरूरी हो गया था क्योंकि दिल्ली सरकार के कार्यो को लेकर अनिश्चितता है। इस संबंध में कई मामले अदालतों में भी चल रहे हैं।

By Dhyanendra Singh ChauhanEdited By: Published: Mon, 22 Mar 2021 10:35 PM (IST)Updated: Mon, 22 Mar 2021 10:42 PM (IST)
कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के विरोध के बीच दिल्ली में अब एलजी ही 'सरकार', विधेयक लोकसभा से हुआ पास
दिल्ली के उपराज्यपाल अनिल बैजल और अरविंद केजरीवाल की फाइल फोटो

नई दिल्ली, प्रेट्र। दिल्ली में सरकार का मतलब एलजी यानी उपराज्यपाल ही है। कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के विरोध के बीच राजधानी में सरकार को परिभाषित करने वाला विधेयक सोमवार को लोकसभा से पारित हो गया। विपक्ष ने इसे असंवैधानिक बताया है।

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केंद्रीय गृह राज्य मंत्री जी किशन रेड्डी ने कहा कि राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार (संशोधन) विधेयक, 2021 बहुत जरूरी हो गया था, क्योंकि दिल्ली सरकार के कार्यो को लेकर अनिश्चितता है। इस संबंध में कई मामले अदालतों में भी चल रहे हैं। विधेयक में स्पष्ट किया गया है कि दिल्ली में सरकार का मतलब एलजी है और किसी भी एक्जीक्यूटिव एक्शन से पहले एलजी की राय लेना अनिवार्य है। उन्होंने कहा, 'इसे राजनीतिक विधेयक मत कहिए। इसे केंद्रशासित प्रदेश के तौर पर दिल्ली से जुड़े कुछ मामलों की अस्पष्टता दूर करने के लिए लाया गया है। इससे कुछ संदेह दूर होंगे और प्रशासन की दक्षता बढ़ेगी।'

रेड्डी ने कहा कि 1991 में तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने इस संबंध में कानून बनाया था, जिसमें दिल्ली को सीमित विधायी शक्तियों वाली विधानसभा के साथ एक केंद्रशासित प्रदेश बनाया गया था। एलजी प्रशासक हैं और उन्हें हर बात की जानकारी होनी चाहिए। उन्होंने कहा, 'यह कानून हम नहीं कांग्रेस सरकार ही लाई थी। हमने दिल्ली सरकार से न कोई शक्ति छीनी है और न ही एलजी को कोई अतिरिक्त शक्ति दी है।'

दिल्ली की स्थिति संघ राज्य क्षेत्र की होगी

बता दें कि विधेयक के उद्देश्यों एवं कारणों के अनुसार, इस विधेयक में दिल्ली विधानसभा में पारित विधान के परिप्रेक्ष्य में सरकार का आशय राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली के उपराज्यपाल से होगा। इसमें दिल्ली की स्थिति संघ राज्य क्षेत्र की होगी जिससे विधायी उपबंधों के निर्वाचन में अस्पष्टताओं पर ध्यान दिया जा सके। इस संबंध में धारा 21 में एक उपधारा जोड़ी जाएगी।

इसमें कहा गया है कि विधेयक में यह भी सुनिश्चित करने का प्रस्ताव किया गया है कि उपराज्यपाल को आवश्यक रूप से संविधान के अनुच्छेद 239क के खंड 4 के अधीन सौंपी गई शक्ति का उपयोग करने का अवसर मामलों में चयनित प्रवर्ग में दिया जा सके।


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