भाजपा- कांग्रेस के खिलाफ रणनीति बनाने में जुटे केसीआर, जानिए- क्या होगा लोकसभा में असर
तेलंगाना के मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव इन दिनों भाजपा और कांग्रेस के विकल्प के तौर पर तीसरा मोर्चा बनाने में जुटे हैं।
नई दिल्ली, जेएनएन। तेलंगाना के मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव इन दिनों भाजपा और कांग्रेस के विकल्प के तौर पर तीसरा मोर्चा बनाने में जुटे हैं। इसी सिलिसिले में राव आज पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री से मुलाकात करेंगे। राव की ममता से यह दूसरी मुलाकात होगी। राव ने मार्च में ममता से मुलाकात की थी।
इससे पहले रविवार को राव ने ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक से मुलाकात की। पटनायक से मिलने के बाद केसीआर ने कहा कि दोनों की मुलकात अच्छी रही और वे आगे की रणनीति पर बात कर रहे हैं। केसीआर ने कहा कि वे पटनायक से फिर मिलेंगे और चर्चा करेंगे कि कैसे गैर भाजपा-कांग्रेस मोर्चा तैयार किया जा सकता है।वहीं, मुलाकात के सवाल पर पटनायक ने कहा कि केसीआर अपनी जीत के बाद जगन्नाथ पुरी दर्शन करने आए थे तो उनसे भी मिले। उन्होंने कहा कि अभी लोकसभा चुनावों को लेकर ज्यादा सोचा नहीं है।
देश में बदलाव की जरूरत
राव ने कहा, 'हमारा मानना है कि देश में भाजपा व कांग्रेस के खिलाफ एक विकल्प होना चाहिए। ऐसे में देश में क्षेत्रीय दलों को एकजुट करने की जरूरत है। देश को परिवर्तन की आवश्यकता है, जिसके लिए संवाद शुरू हो गया है। हालांकि अभी तक इस मसले पर कुछ ठोस परिणाम सामने नहीं आए हैं, ऐसे में हमें और अधिक नेताओं के साथ बात करने की जरूरत है।'
2014 के नतीजों पर एक नजर, 2019 पर क्या होगा असर?
केसीआर के प्रयासों पर नजर डालते हुए तीसरे मोर्च की सफलता का अनुमान लगाने की कोशिश करें तो राव जिन दो नेताओं, ममता बनर्जी और नवीन पटनायक से मिले हैं, वो दोनों ही अपने इलाके के क्षत्रप हैं। 2014 के नतीजों को देखें तो इन तीनों राज्यों में कुल 80 लोकसभा सीटें हैं, जिनमें से मोदी लहर में भाजपा को मात्र 4 सीटें ही हिस्से में आई थीं। ऐसे में आगामी चुनाव के नतीजों और भाजपा अपने को इन तीनों राज्यों में कितना मजबूत बना पाती है, ये देखने वाली बात होगी।
पश्चिम बंगाल में कुल 42 लोकसभा सीटे हैं, 2014 के आम चुनाव में इनमें से 34 सीटें तृणमूल कांग्रेस, 2 भाजपा, 2 सीपीएम और 4 पर कांग्रेस को जीत मिली थी। वहीं, ओडि़शा में कुल 21 सीटें है, 2014 में 20 सीटों पर नवीन पटनायक के बीजू जनता दल ने जीत हासिल की थी, तो वहीं भाजपा को मात्र एक ही सीट पर जीत मिल पाई थी। इसी तरह तेलंगाना की 17 सीटों में से 12 केसीआर की पार्टी तेलंगाना राष्ट्र समिति ने हासिल की थी और भाजपा को यहां एक ही सीट पर जीत हासिल हुई थी।