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फिर टल सकता है टीडीएस व टीसीएस प्रावधानों पर अमल

सरकार ने सीजीएसटी कानून की धारा 9 (4) के तहत रिवर्स चार्ज मैकेनिज्म के प्रावधान को भी फिलहाल 31 मार्च 2018 तक ठंडे बस्ते में डाला हुआ है।

By Tilak RajEdited By: Published: Mon, 22 Jan 2018 09:06 PM (IST)Updated: Mon, 22 Jan 2018 09:06 PM (IST)
फिर टल सकता है टीडीएस व टीसीएस प्रावधानों पर अमल
फिर टल सकता है टीडीएस व टीसीएस प्रावधानों पर अमल

नई दिल्ली, हरिकिशन शर्मा। जीएसटी कानून के जिन प्रावधानों को लेकर कारोबारियों को परेशानी है, उन पर फिलहाल अमल नहीं होगा। सरकार टीडीएस व टीसीएस से जुड़े ऐसे ही प्रावधानों को एक फिर टाल सकती है। माना जा रहा है कि टीडीएस व टीसीएस संबंधी सीजीएसटी कानून की धाराओं का क्रियान्वयन कम से कम छह और माह के लिए ठंडे बस्ते में डाला जा सकता है।

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सीजीएसटी कानून की धारा 51 और 52 में टीडीएस (टैक्स डिडेक्टेड एट सोर्स) और टीसीएस (टैक्स कलेक्टेड एट सोर्स) के संबंध में प्रावधान है। टीसीएस संबंधी धारा के तहत ई-कॉमर्स ऑपरेटरों को जीएसटी काटकर सरकार के खाते में जमा कराने का प्रावधान है। हालांकि ई-कॉमर्स से जुड़ी कंपनियां इस प्रावधान को लेकर आपत्ति जता चुकी हैं। यही वजह है कि देश में जीएसटी एक जुलाई 2017 से लागू होने के बाद भी सरकार ने अब तक टीडीएस और टीसीएस से संबंधित धाराओं का क्रियान्वयन नहीं है। इनसे संबंधित दोनों धाराओं को अब तक ठंडे बस्ते में ही डाला रहा है।

सूत्रों ने कहा कि टीडीएस और टीसीएस से संबंधित प्रावधानों को अगले छह और महीने के लिए ठंडे बस्ते में डाला जा सकता है। हालांकि इस बारे में फैसला काउंसिल ही करेगी। काउंसिल चाहे तो इससे अधिक समय तक के लिए भी इस प्रावधान को आगे टाल सकती है।

सूत्रों ने कहा कि जीएसटी कानूनों में संशोधन सुझाने के लिए गठित की गयी 'लॉ रिव्यू कमिटी' ने यह सिफारिश की है। जीएसटी काउंसिल की 18 जनवरी को हुई 25वीं बैठक में ये सिफारिशें चर्चा के लिए रखीं गई। माना जा रहा है कि अब जीएसटी काउंसिल अगली बैठक में इस संबंध में निर्णय कर सकती है।

आरएन मारवाह एंड कं. एलएलपी के पार्टनर नीतिश शर्मा का कहना है कि सबसे पहले तो कारोबारियों को टीडीएस व टीसीएस के लिए पंजीकरण कराना होगा। साथ ही जीएसटीएन के पोर्टल पर भी इसकी सुविधा देनी होगी। मौजूदा हालात यह है कि पोर्टल पर सभी रिटर्न भी ठीक से दाखिल नहीं हो पा रहे हैं। यही वजह है कि इनको रिटर्न दाखिल करने की अंतिम तिथि भी बढ़ानी पड़ रही है। ऐसे में अगर इन दोनों प्रावधानों को कुछ और समय के लिए ठंडे बस्ते में डाला जाता है तो इससे कारोबारियों और जीएसटीएन दोनों को तैयारी का वक्त मिल जाएगा।

उल्लेखनीय है कि सरकार ने सीजीएसटी कानून की धारा 9 (4) के तहत रिवर्स चार्ज मैकेनिज्म के प्रावधान को भी फिलहाल 31 मार्च 2018 तक ठंडे बस्ते में डाला हुआ है। इस प्रावधान को लेकर भी कारोबारियों ने चिंता प्रकट की थी।


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