ओआइसी की बैठक में सुषमा खोलेंगी पाक की पोल, चीन के विदेश मंत्री से आज होगी मुलाकात
पाकिस्तान की तरफ से भी कूटनीतिक स्तर पर सक्रियता बढ़ाई गई है। पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह मेहमूद कुरैशी ने भी अमेरिकी विदेश मंत्री से बात की है।
जयप्रकाश रंजन, नई दिल्ली। 27 फरवरी, 2019 को विदेश मंत्री सुषमा स्वराज की मुलाकात पाकिस्तान के अभिन्न मित्र चीन के विदेश मंत्री वांग यी से होने वाली है। इसके एक दिन बाद यानी 01 मार्च, 2019 को स्वराज पाकिस्तान के वर्चस्व वाले इस्लामिक देशों के संगठन ओआइसी की आरंभिक सत्र में बतौर विशेष मेहमान अपनी बात रखेंगी।
माना जा रहा था कि भारत इन दोनों बैठकों से पहले पाकिस्तान पर कोई कार्रवाई नहीं करेगा। लेकिन पुलवामा हमले के बाद पाकिस्तान के खिलाफ बेहद आक्रामक कूटनीतिक रवैया अख्तियार कर चुके भारत का मंसूबा अलग था। कूटनीतिक स्तर पर पहले से ही अलग थलग पड़ चुके पाकिस्तान को साफ संदेश दिया है कि आतंक के मुद्दे पर कोई भी देश उसका बचाव नहीं कर सकेगा।
सरकार के उच्च पदस्थ सूत्रों के मुताबिक हर देश को अपनी सुरक्षा के लिहाज से एतिहासिक कदम उठाने पड़ते हैं, बालाकोट स्थित जैश अड्डे पर भारत की कार्रवाई भी इसी श्रेणी में शुमार होगी। रूस, चीन और भारत के विदेश मंत्रियों की होने वाली बैठक से एक दिन पहले और ओआइसी की बैठक से से दो दिन पहले भारत की यह कार्रवाई दुनिया को एक मजबूत संकेत देने की कोशिश भी है कि भारत अपनी सुरक्षा के लिए किसी भी दूसरे देश का मोहताज नहीं है।
उक्त सूत्रों के मुताबिक पुलवामा हमले के खिलाफ कार्रवाई को लेकर भारत सरकार की बदली नीति का आरंभ है। इस बारे में शीर्ष राजनीतिक स्तर पर फैसला हुआ था और सैन्य बलों को समुचित कार्रवाई करने की छूट दी गई थी। अमेरिका व अन्य देशों को यह समझा दिया गया था कि भारत अपनी सुरक्षा के लिए अब किसी भी हद तक जाने को तैयार है।
कूटनीतिक पहल हुई और तेज
मंगलवार सुबह बालाकोट स्थित जैश के अड्डे पर हमले के बाद भी भारत की कूटनीतिक पहल तेज है। सबसे पहले भारतीय विदेश सचिव विजय गोखले ने संयुक्त राष्ट्र के सुरक्षा परिषद के पांचों स्थाई सदस्यों को विदेश मंत्रालय बुलाकर उन्हें भारतीय कार्रवाई के बारे में विस्तार से बताया। इसके बाद विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने अमेरिका, चीन, सिंगापुर, बांग्लादेश, अफगानिस्तान, ब्रिटेन के विदेश मंत्रियों से बात की।
सूत्रों के मुताबिक सुषमा स्वराज ने अपने सभी समकक्षों से यही कहा कि पाकिस्तान की तरफ से लगातार भारत में आतंकी वारदातों को मिल रहे समर्थन के बाद कोई चारा नहीं रह गया था। इसके अलावा दुनिया भर में फैले भारतीय दूतावासों व उच्चायोगों के स्तर पर भी भारत की तरफ से की गई कार्रवाई की सही तस्वीर पेश करने की मुहिम शुरु की गई है।
फ्रांस, आस्ट्रेलिया का समर्थन
यह भारत की त्वरित प्रतिक्रिया का ही नतीजा है कि फ्रांस और आस्ट्रेलिया जैसे देशों ने भारत की इस कार्रवाई का परोक्ष तौर पर समर्थन किया है। आस्ट्रेलिया के विदेश मंत्रालय की तरफ से जारी रिलीज में पाकिस्तान से कहा गया है कि वह जैश ए मोहम्मद समेत उन सभी आतंकी संगठनों पर कार्रवाई करे जो भारत में आतंकवाद को बढ़ावा दे रहे हैं। वह इन आतंकी संगठनों को अब खुली छूट नहीं दे सकता। इसी तरह से फ्रांस ने कहा है कि भारत के पास सीमा पार आतंक से अपनी सुरक्षा करने का वैध अधिकार है। फ्रांस आतंकवाद के खिलाफ भारत का पुराना सहयोगी देश है और वह हर तरह के आतंकी वारदातों को रोकने के लिए सहयोग करने को तैयार है। फ्रांस और आस्ट्रेलिया दोनों ने भारत व पाकिस्तान को संयम बरतने का आग्रह भी किया है।
भारतीय उच्चायोग को पाक ने किया समन
पाकिस्तान की तरफ से भी कूटनीतिक स्तर पर सक्रियता बढ़ाई गई है। पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह मेहमूद कुरैशी ने भी अमेरिकी विदेश मंत्री से बात की है। जबकि पाकिस्तान विदेश मंत्रालय ने इस्लामाबाद स्थित भारतीय उप उच्चायुक्त को समन कर बुलाया भारतीय वायुसेना की तरफ से उसकी सीमा में प्रवेश करने की घटना पर कड़ा ऐतराज जताया है। इसमें भारत की तरफ से पाकिस्तान में आतंकी शिविरों को नष्ट करने के दावे को भी खारिज किया गया है। यह भी कहा गया है कि भारत का यह कदम पूरे क्षेत्र की शांति को भंग करने वाला है और पाकिस्तान इसका जवाब अपने हिसाब से देगा।