छोटे से ट्वीट से आम लोगों की मुश्किलें हो रही हैं दूर, खास से आम हुआ विदेश मंत्रालय
सुषमा स्वराज स्वयं कहती है कि वह भारतीयों की सेवा के लिए चौबीसों घंटे तत्पर हैं। अब कांग्रेस के समय का विदेश मंत्रालय नहीं है जहां आम जनता की कोई बात ही नहीं होती थी।
नई दिल्ली [विशेष संवाददाता]। विगत चार वर्षों में भारतीय विदेश मंत्रालय के कामकाज में कितना बदलाव आया है इसे समझने के लिए आपको विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के ट्विटर हैंडल को फॉलो करना होगा। इस ट्विटर हैंडल में विदेश में रहने वाले भारतीयों या भारत में रहने वाले उनके रिश्तेदारों को अब विदेश मंत्रालय से कितनी मदद मिलती है इसके एक नहीं बल्कि सैकड़ों उदाहरण मिल जाएंगे। बहुत साल नहीं बीते जब एक आम भारतीय के लिए विदेश स्थित भारतीय दूतावास तक अपनी समस्या पहुंचाने में कई तरह की समस्याएं आती थी। लेकिन अब वह सीधे सुषमा स्वराज को ट्विटर के जरिए जानकारी देता है और उसकी समस्या का समाधान सीधे होता है।
पिछले हफ्ते ही मलेशिया गए दो भारतीयों का अपहरण कर लिया गया। इनके संबंधियों ने विदेश मंत्री से संपर्क साधा। कुछ ही घंटे में भारतीय उच्चायोग सक्रिय हुआ और मलेशिया पुलिस ने अपराधियों को पकड़ लिया। लिहाजा दोनों भारतीयों को सकुशल छुड़ा लिया गया।
कभी किसी ने विदेश भ्रमण के दौरान पासपोर्ट खोने पर तो कभी किसी ने विदेश में अपने मृत परिजनों के शव को स्वदेश लाने के लिए सुषमा स्वराज को ट्वीट किया और हर बार उन्हें मदद मिली।
भाई ने लगाई थी गुहार
दुबई में कई लड़कियों को बंधक बनाया गया था। यह मामला अगस्त 2015 का है। बंधक बनाई गई लड़कियों में से एक लड़की के भाई ने सुषमा को ट्वीट कर बहन को छुड़वाने की मदद मांगी थी। सुषमा ने तब मामले को गंभीरता से लिया और दूतावास से संपर्क साध रेस्क्यू ऑपरेशन चलाकर लड़कियों को छुड़वाया था।
पाकिस्तान की हिंदू लड़की से मदद का वादा
जयपुर में रह रही पाकिस्तानी हिंदू लड़की मशाल ने मेडिकल कॉलेज में प्रवेश में आ रही दिक्कत को ट्विटर पर सुषमा स्वराज से साझा किया था। तब सुषमा ने मशाल को अपना नंबर देते हुए उसे आश्वासन दिया था कि वे उसकी पूरी मदद करेंगी।
मालिक की प्रताड़ना से दुखी
उत्तर प्रदेश के रहने वाले आकाश ने एक वीडियो अपलोड करते हुए विदेश मंत्री सुषमा स्वराज से मदद मांगी थी। सुषमा स्वराज ने मदद के लिए सऊदी अरब में भारतीय दूतावास को इसकी सूचना दी। अपने वीडियो में आकाश ने बताया है कि उसका मालिक उसे वहां लगातार प्रताड़ित करता है और तनख्वाह भी नहीं देता। उससे जरूरत से ज्यादा काम लिया जाता है। साथ ही उसे वापस वतन भी नहीं लौटने दिया जा रहा है। वीडियो देखने के बाद सुषमा स्वराज ने ट्वीट किया कि आकाश मैंने वीडियो देख लिया है। तुम्हारी पूरी मदद की जाएगी। मैंने सऊदी अरब में हमारी एंबेसी को बोल दिया है।
भारत में खोई विदेशी महिला ढूंढ निकाला
जब एक बहन ने नीदरलैंड से खोई हुई बहन के लिए गुहार लगायी, भारत मैं सुषमा स्वराज ने सुन ली। सुज़न्ने लुगानो की बहन सैबिन हरमेस भारत दर्शन पर आई थी। सैबिन की बहन ने ट्विटर पर गुहार लगाई। जैसे ही सुषमा स्वराज की नजर में यह ट्वीट आया। पोस्ट करने के कुछ ही घंटों मैं ऋषिकेश की पुलिस ने सैबिन को ढूंढ निकाला।
मां-बेटी को सुरक्षित वापस ले आए
जर्मनी में फंसी गुरप्रीत और उसकी सात साल की बेटी को उसके पति के परिवार ने एक शरणार्थी शिविर में रखवा दिया। गुरप्रीत ने वीडियो के माध्यम से यह अपनी व्यथा सामने रखी। तब सुषमा ने ट्वीट किया ‘गुरप्रीत, मुझे जर्मनी में अपने राजदूतावास से रिपोर्ट मिल गई है।’ एक और ट्वीट में सुषमा ने कहा, ‘हम तुम्हारी मदद करेंगे।’ और आखिरकार यह सुषमा ने कर दिखाया।
सुषमा स्वराज स्वयं कहती है कि वह भारतीयों की सेवा के लिए चौबीसों घंटे तत्पर हैं। अब कांग्रेस के समय का विदेश मंत्रालय नहीं है जहां आम जनता की कोई बात ही नहीं होती थी। विदेश मंत्रालय अब अपनी अभिज्यातीय छवि से बाहर आ चुका है। इसके लिए बहुत कुछ श्रेय स्वराज के काम करने के तरीके को देना होगा जो स्पष्ट व बिल्कुल अलग है। सरकारी रिकार्ड बताते हैं कि पिछले चार वर्षों में विदेश में फंसे 90 हजार भारतीयों को बचाया गया है। विदेश मंत्रालय की तरफ से आम जनता को करीब लाने के लिए पासपोर्ट देने की प्रक्रिया को सरल बनाया गया।
देश के हर बड़े डाक घर के जरिए पासपोर्ट बनाने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। जब सरकार सत्ता में आई थी तब देश में पासपोर्ट बनाने के लिए महज 77 केंद्र थे। आज इनकी संख्या बढ़कर तकरीबन 310 हो चुकी है। अगर किसी व्यक्ति के पास वोटर कार्ड, आधार कार्ड और पैन कार्ड है तो उसे महज तीन दिनों में पासपोर्ट देने की शुरुआत हो चुकी है। पासपोर्ट बनवाने के लिए बिचौलियों को पैसा देने का धंधा एक तरह से खत्म हो चुका है। यही नहीं, अब आप अपने मोबाइल फोन के जरिए सीधे पासपोर्ट बनाने की प्रक्रिया शुरू कर सकते हैं। यह सरकार की उस रणनीति का हिस्सा है जिसमें देश के हर नागरिक के पास पासपोर्ट होने का लक्ष्य रखा गया है।