Move to Jagran APP

अयोध्या राम जन्मभूमि विवाद पर कल सुनवाई करेगा सुप्रीम कोर्ट, पढ़ें अब तक का हाल

अयोध्या राम जन्मभूमि विवाद की जल्द सुनवाई की मांग पर कल सुबह 10.30 पर सुनवाई करेगा सुप्रीम कोर्ट।

By Nitin AroraEdited By: Published: Wed, 10 Jul 2019 06:55 PM (IST)Updated: Wed, 10 Jul 2019 09:45 PM (IST)
अयोध्या राम जन्मभूमि विवाद पर कल सुनवाई करेगा सुप्रीम कोर्ट, पढ़ें अब तक का हाल
अयोध्या राम जन्मभूमि विवाद पर कल सुनवाई करेगा सुप्रीम कोर्ट, पढ़ें अब तक का हाल

नई दिल्ली, माला दीक्षित। अयोध्या राम जन्मभूमि मामले की जल्द सुनवाई की मांग पर सुप्रीम कोर्ट गुरुवार को विचार करेगा। हिंदू पक्षकार गोपाल सिंह विशारद ने अर्जी दाखिल कर कहा है कि मध्यस्थता में कोई ठोस प्रगति नहीं हुई है इसलिए कोर्ट मुख्य मामले पर जल्द सुनवाई करे। कोर्ट ने मामले पर विचार करने का आश्वासन दिया था। बुधवार को शीर्ष कोर्ट ने नोटिस जारी कर सुनवाई के लिए कल की तारीख तय कर दी है।

loksabha election banner

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने 2010 में विवादित भूमि को तीन बराबर हिस्सों में बांटने का आदेश दिया था। जिसमें एक हिस्सा भगवान रामलला विराजमान और दूसरा निर्मोही अखाड़ा व तीसरा हिस्सा सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड को दिया था। इस फैसले को भगवान राम सहित हिंदू-मुस्लिम सभी पक्षों ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है।

कोर्ट के आदेश से फिलहाल यथास्थिति कायम है। इस बीच आठ मार्च को शीर्ष कोर्ट ने अयोध्या विवाद को मध्यस्थता के जरिये सुलझाने के लिए सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश फकीर मुहम्मद इब्राहिम कलीफुल्ला की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय समिति गठित कर दी। सर्वमान्य हल तलाशने के लिए समिति को 15 अगस्त तक का समय दिया गया है।

कोर्ट वेबसाइट पर जारी नोटिस के मुताबिक, गुरुवार को मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली संविधान पीठ विशारद की अर्जी पर विचार करेगी। पीठ में अन्य न्यायाधीश जस्टिस एसए बोबडे, डीवाई चंद्रचूड़, अशोक भूषण और एस. अब्दुल नजीर होंगे।

विशारद अयोध्या विवाद में मुख्य याचिकाकर्ताओं में शामिल हैं। इनके पिता राजेंद्र सिंह ने 1950 में पहला मुकदमा दाखिल किया था जिसमें बिना रोक टोक रामलला की पूजा का हक मांगा गया था। साथ ही जन्मस्थान पर रखी रामलला की मूर्तियों को वहां से हटाने पर स्थाई रोक मांगी थी। फैजाबाद जिला अदालत से होता हुआ यह मुकदमा इलाहाबाद हाई कोर्ट पहुंचा। हाई कोर्ट ने अन्य याचिकाओं के साथ इसपर फैसला दिया था।

विशारद ने अर्जी में कहा है कि करीब पांच महीने की मध्यस्थता में अभी तक कोई ठोस प्रस्ताव नहीं निकला है न ही उसे पक्षकारों के बीच कोई समझौता होने की उम्मीद लगती है। मध्यस्थता के दौरान जो सुझाव आए वे इसकी प्रक्रिया के दायरे में भी नहीं आते थे और राजनीतिक प्रकृति के थे। इससे लगता है कि मध्यस्थता से कोई नतीजा नहीं निकलने वाला। मामले का एकमात्र हल कोर्ट से ही हो सकता है। ऐसे में कोर्ट मध्यस्थता समाप्त कर अपीलों की योग्यता पर शीघ्र सुनवाई करे।

निर्मोही अखाड़ा ने भी उठाया सवाल
उधर निर्मोही अखाड़ा ने भी मध्यस्थता पर सवाल उठाते हुए कहा है कि इसमें मुख्य पक्षकारों के बीच सीधी बातचीत होनी चाहिए ताकि कोई हल निकले। लेकिन कई बार अनुरोध के बावजूद मौजूदा प्रक्रिया में ऐसा नहीं हो रहा है। निर्मोही अखाड़ा के प्रवक्ता कार्तिक चोपड़ा ने कहा कि अखाड़ा के सरपंच राजा रामचंद्र आचार्य की राय है कि जबतक पक्षकारों के बीच सीधी बातचीत नहीं होगी तबतक मध्यस्थता सफल नहीं हो सकती। मध्यस्थता से ऐसा कोई प्रस्ताव अभी तक नहीं आया है जिसे पंचों के सामने रखा जाए।

अखाड़ा ने आम सहमति से हल निकालने के लिए यूपी सुन्नी वक्फ बोर्ड को सीधी बातचीत के लिए आमंत्रित किया है। कहा है कि अगर बोर्ड उनका प्रस्ताव स्वीकार नहीं करता है तो वे कोर्ट से अनुरोध करते हैं कि मामले पर जल्द सुनवाई की जाए। अखाड़ा ने पहले ही सुप्रीम कोर्ट में एक अर्जी दाखिल कर रखी है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.