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अब नई सरकार में ही संभव होगी लोकपाल नियुक्ति, सुप्रीम कोर्ट में डेढ़ माह के लिए टला मामला

अन्ना हजारे ने लोकपाल बिल पास कराने के लिए लंबी लड़ाई लड़ी थी। वर्ष 2011 में उनके विशाल आंदोलन के बाद 2013 में बिल पास हुआ था। जानें- लोकपाल से आपको क्या होगा फायदा?

By Nancy BajpaiEdited By: Published: Thu, 17 Jan 2019 03:00 PM (IST)Updated: Thu, 17 Jan 2019 04:49 PM (IST)
अब नई सरकार में ही संभव होगी लोकपाल नियुक्ति, सुप्रीम कोर्ट में डेढ़ माह के लिए टला मामला
अब नई सरकार में ही संभव होगी लोकपाल नियुक्ति, सुप्रीम कोर्ट में डेढ़ माह के लिए टला मामला

नई दिल्ली, एएनआइ। भारत में तकरीबन पांच वर्ष की लंबी जद्दोजहद के बाद वर्ष 2013 में विशाल आंदोलन के बाद लोकपाल बिल तो पास हो गया, लेकिन अब तक लोकपाल नियुक्त नहीं किया जा सका। कांग्रेस राज में पास हुए इस बिल को मूर्त रूप लेने के लिए एक और सरकार का पांच वर्ष का कार्यकाल लगभग बीतने को है। सुप्रीम कोर्ट में चल रही इस मामले की सुनवाई तकरीबन डेढ़ माह के लिए टल गई है। ऐसे में उम्मीद की जा रही है कि अब आगामी लोकसभा चुनाव-2019 के बाद चुनी जाने वाली नई सरकार में ही लोकपाल की नियुक्ति संभव हो सकेगी।

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मामले में बृहस्पतिवार को सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने अगली सुनवाई के लिए सात मार्च की तिथि तय की है। साथ ही कोर्ट ने सरकार से लोकपाल नियुक्ति को लेकर किए गए प्रयासों की रिपोर्ट भी मांगी है। सर्वोच्च न्यायालय ने लोकपाल जांच समिति को ये भी निर्देश दिया है कि वह लोकपाल और उसके सदस्यों के नामों को शॉर्ट लिस्ट करने का काम फरवरी के अंत तक पूरा कर ले और चयन समिति के विचार के लिए नामों का एक पैनल प्रस्तुत करें। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को सर्च कमेटी के लिए आवश्यक बुनियादी ढांचा प्रदान करने के लिए भी कहा है।

बता दें कि लोकपाल की खोज के लिए कमेटी बनने के बाद से कोई भी मीटिंग नहीं हुई है। पिछले साल सितंबर में लोकपाल की नियुक्ति के लिए सर्च कमेटी का गठन किया गया था। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने चार जनवरी को केंद्र सरकार को निर्देश दिया था कि वह सितंबर 2018 से अभी तक लोकपाल खोज समिति के संबंध में उठाए गए सभी प्रयासों पर एक हलफनामा सौंपे।

हलफनामे यें बताया जाए कि समिति गठित करने के लिए क्या-क्या कदम उठाए गए। सुप्रीम कोर्ट ने ये हलफनामा अटॉर्नी जनरल के उस जवाब के बाद मांगा, जिसमें उन्होंने कहा था कि सितंबर 2018 से अभी तक समिति के गठन के लिए कई प्रयास किए गए हैं।

इसलिए जरूरी है लोकपाल
लोकपाल के पास सेना को छोड़ चपरासी से लेकर प्रधानमंत्री तक किसी भी जन सेवक के खिलाफ भ्रष्टाचार की शिकायत की सुनवाई का अधिकार होगा। फिर चाहे वह मंत्री हो, सरकारी अधिकारी, पंचायत सदस्य आदि किसी भी पद पर बैठा हो। लोकपाल जांच के आधार पर इन सभी की संपत्ति को कुर्क भी कर सकता है। विशेष परिस्थितियों में लोकपाल को किसी आदमी के खिलाफ अदालती ट्रायल चलाने और दो लाख रुपये तक का आर्थिक दंड लगाने का भी अधिकार है।

पांच साल पहले पारित हुआ था लोकपाल बिल
मालूम हो कि लोकपाल बिल को 13 दिसंबर 2013 को राज्यसभा में प्रस्तुत किया गया था। चार दिन बाद 17 दिसंबर 2013 को ये बिल राज्यसभा से पास हो गया था। अगले दिन, 18 दिसंबर 2013 को ये बिल लोकसभा से भी पारित हो गया था।

अन्ना ने लड़ी थी लोकपाल की लड़ाई
लोकपाल बिल के लिए समाजसेवी अन्ना हजारे ने लंबी लड़ी थी। वर्ष 2011 में दिल्ली के रामलीला मैदान में अन्ना हजारे ने अपने हजारों समर्थकों संग विशाल आंदोलन किया था। इसके बाद पूरे देश में भ्रष्टाचार से निपटने के लिए लोकपाल बिल लाने की मांग उठी थी। इस आंदोलन के बाद 27 अगस्त 2011 को संसद में सेंस ऑफ दि हाउस से रिज्युलेशन पास हुआ था। इसमें निर्णय लिया गया था कि केंद्र में लोकपाल और हर राज्य में लोकायुक्त व सिटिजन चार्टर कानून जल्द बनाकर उसे लागू किया जाएगा।


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