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Ayodhya land dispute case: सुप्रीम कोर्ट छह अगस्‍त से करेगा रोजाना सुनवाई, मध्‍यस्‍थता फेल

Ayodhya land dispute case में मध्‍यस्‍थता पैनल की कोशिशें फेल होने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने फैसला किया है कि अब वह छह अगस्‍त से मामले की रोजाना सुनवाई करेगा।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Fri, 02 Aug 2019 07:38 AM (IST)Updated: Fri, 02 Aug 2019 06:14 PM (IST)
Ayodhya land dispute case: सुप्रीम कोर्ट छह अगस्‍त से करेगा रोजाना सुनवाई, मध्‍यस्‍थता फेल
Ayodhya land dispute case: सुप्रीम कोर्ट छह अगस्‍त से करेगा रोजाना सुनवाई, मध्‍यस्‍थता फेल

माला दीक्षित, जेएनएन। Ayodhya land dispute case अयोध्या राम जन्मभूमि विवाद में मध्‍यस्‍थता पैनल की कोशिशें फेल होने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि अब वह छह अगस्‍त से मामले की रोजाना सुनवाई करेगा। मुख्‍य न्‍यायाधीश रंजन गोगोई ने शुक्रवार को कहा कि मध्‍यस्‍थता पैनल की रिपोर्ट हमने देख ली है यह मामले का अंतिम समाधान नहीं निकाल पाया है। अब हम 06 अगस्‍त से इस केस की नियमित सुनवाई करेंगे। उन्‍होंने कहा कि अब मामले की सुनवाई तब तक चलेगी, जब तक कोई नतीजा नहीं निकल जाता है। सुप्रीम कोर्ट की ओर से गठित मध्यस्थता पैनल ने गुरुवार को सीलबंद लिफाफे में अपनी रिपोर्ट सर्वोच्च न्यायालय को सौंप दी थी। 

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आरएसएस ने किया स्‍वागत 
वहीं राष्‍ट्रीय स्‍वयं संघ (RSS) ने कहा है कि हम अयोध्‍या मामले में 6 अगस्‍त से रोजाना सुनवाई के सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्‍वागत करते हैं। हमें विश्‍वास है कि लंबे समय से रुके हुए फैसले का निश्चित समय में हल कर लिया जाएगा और जल्‍द ही राम मंदिर का निर्माण होगा।   

राजीव धवन ने यह दी दलील 
मामले की सुनवाई मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ कर रही है। पीठ में अन्य न्यायाधीश जस्टिस एसए बोबडे, डीवाइ चंद्रचूड़, अशोक भूषण एवं एस. अब्दुल नजीर भी शामिल हैं।मुख्‍य न्‍यायाधीश ने शुक्रवार को हुई सुनवाई में कहा कि सभी पक्षकारों के वकील मामले से जुड़े दस्‍तावेज तैयार रखें ताकि सुनवाई के दौरान सहूलियत रहे। मुस्लिम पक्ष की ओर से पेश हुए वकील राजीव धवन ने शीर्ष अदालत से कहा कि मुख्‍य अपीलों के अलावा कई अन्‍य रिट याचिकाएं और अर्जियां भी कोर्ट में लंबित हैं, ऐसे में अदालत से दरख्‍वास्‍त है कि वह रोजाना सुनवाई से पहले उन्‍हें निपटाए।

सीजेआई बोले, हमें मत बताइये कि क्‍या करना है 
धवन ने इस दलील के संबंध में भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी की याचिका का भी जिक्र किया, जिसमें रामलला की पूजा अर्चना के मौलिक अधिकार की मांग की गई है। धवन की इस दलील पर मुख्‍य न्‍यायाधीश ने कहा कि इन मुद्दों पर बाद में विचार होगा सबसे पहले मामले की रोज सुनवाई शुरू होगी। जब धवन एक-एक करके कई अन्‍य मुद्दों को उठाने लगे तो मुख्‍य न्‍यायाधीश ने कहा कि हम इन्‍हें खुद देख लेंगे और तय कर लेंगे कि इनका क्‍या करना है। आप सुनवाई के लिए तैयार रहिये और अदालत को मत बताइये की उसे क्‍या करना है। 

मध्‍यस्‍थता पैनल को दिया था 31 जुलाई तक का वक्‍त 
सुप्रीम कोर्ट ने गत 18 जुलाई को अयोध्या मामले में मध्यस्थता के जरिये सुलह का प्रयास कर रहे तीन सदस्यीय पैनल से मध्यस्थता में हुई प्रगति पर रिपोर्ट मांगी थी। पिछली सुनवाई पर कोर्ट ने मध्यस्थता पैनल की प्रगति रिपोर्ट देखने के बाद पैनल को 31 जुलाई तक का समय और दे दिया था, लेकिन कोर्ट ने रिपोर्ट के तथ्यों को सार्वजनिक करने से यह कहते हुए मना कर दिया था कि कोर्ट का शुरुआती आदेश मध्यस्थता कार्यवाही को गोपनीय रखने का था। इसलिए तथ्यों को रिकॉर्ड पर दर्ज करना उचित नहीं होगा।

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने दिया था यह फैसला 
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 2010 में राम जन्मभूमि को तीन बराबर हिस्सों में बांटने का आदेश दिया था। इसमें एक हिस्सा भगवान रामलला विराजमान, दूसरा निर्मोही अखाड़ा व तीसरा हिस्सा सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड को देने का आदेश था। इस फैसले को भगवान रामलाल विराजमान सहित हिंदू, मुस्लिम सभी पक्षों ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। कोर्ट में ये अपीलें 2010 से लंबित हैं। गत आठ मार्च को कोर्ट ने विवाद को मध्यस्थता के जरिये सुलझाने के लिए भेज दिया था और इसके लिए तीन सदस्यों का मध्यस्थता पैनल गठित किया था।

इन्‍होंने की थी जल्‍द सुनवाई की अपील 
मध्‍यस्‍थता पैनल के अध्यक्ष सेवानिवृत्त न्यायाधीश एफएमई कलीफुल्ला को बनाया गया था, जबकि आध्यात्मिक गुरु श्रीश्री रविशंकर और वरिष्ठ वकील श्रीराम पंचू सदस्य के तौर पर शामिल थे। कोर्ट ने शुरू में मध्यस्थता के लिए आठ सप्ताह का समय दिया था, जिसे बाद में बढ़ाकर 15 अगस्त तक कर दिया था। इस बीच मुकदमे के पक्षकार गोपाल सिंह विशारद ने अर्जी दाखिल कर कहा कि मध्यस्थता में कुछ ठोस प्रगति नहीं हुई है और इससे विवाद का हल निकलने की उम्मीद नहीं है। कोर्ट मध्यस्थता समाप्त कर अपीलों पर जल्द सुनवाई शुरू करे। 

पहले ही दे दिए थे संकेत 
गोपाल सिंह विशारद की अर्जी पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने गत 11 जुलाई को मध्यस्थता पैनल से 18 जुलाई को प्रगति रिपोर्ट मांगी थी। 18 जुलाई की रिपोर्ट देखने के बाद कोर्ट ने पैनल को एक अगस्त को फिर रिपोर्ट देने को कहा था। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा था कि यदि आपसी सहमति से कोई हल नहीं निकलता है तो रोजाना सुनवाई होगी। शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस मामले में मध्यस्थता की कोशिश सफल नहीं हुई है। अदालत ने मध्यस्थता पैनल को भंग करते हुए कहा कि अब छह अगस्त से मामले की रोज सुनवाई की जाएगी। 

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