हिरासत में यातना पर कानून बनाने की मांग पर विचार करेगा सुप्रीम कोर्ट
भारत हिरासत में यातना के खिलाफ हुए संयुक्त राष्ट्र समझौते पर हस्ताक्षर करने वाले देशों में शामिल है।
नई दिल्ली, प्रेट्र। सुप्रीम कोर्ट हिरासत में यातना के खिलाफ कानून बनाने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई करने के लिए तैयार हो गया है। याचिका में कहा गया है कि भारत हिरासत में यातना के खिलाफ हुए संयुक्त राष्ट्र समझौते पर हस्ताक्षर करने वाले देशों में शामिल है।
सुप्रीम कोर्ट को बताया गया कि सरकार ने इस मसले पर गंभीरता से विचार करने का भरोसा दिलाया था, लेकिन अभी तक इस दिशा में कोई प्रगति नहीं हुई है। पूर्व कानून मंत्री और कांग्रेस नेता अश्विनी कुमार ने 2016 में जनहित याचिका दायर की थी।
सुनवाई के दौरान प्रधान न्यायाधीश जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ को एडिशनल सॉलिसिटर जनरल पिंकी आनंद ने बताया कि इस संबंध में कानून के मसौदे को राज्यों के पास भेजा गया है और उन्होंने अदालत से कानून के लिए कुछ और वक्त मांगा।
पीठ के पूछने पर कुमार ने बताया कि यह कानून का मसौदा संसद की प्रवर समिति के पास है। उन्होंने यह भी बताया कि 2010 में लोकसभा ने इस बिल को पास कर दिया था। लेकिन राज्यसभा ने उसे प्रवर समिति के पास भेज दिया, तब से इस दिशा में कुछ नहीं किया गया है।