सुप्रीम कोर्ट ने कहा- दिशाहीन नहीं हो सकती आपराधिक न्याय प्रणाली
पीठ की ओर से जस्टिस सिन्हा ने कहा, केवल आरोपित का ही मानवाधिकार नहीं है बल्कि पीडि़त का भी है। पीडि़त समाज का प्रतीकात्मक सदस्य है।
By Bhupendra SinghEdited By: Published: Tue, 12 Feb 2019 12:03 AM (IST)Updated: Tue, 12 Feb 2019 12:49 AM (IST)
नई दिल्ली, आइएएनएस। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कहा कि आपराधिक न्याय प्रदान करने वाली प्रणाली को खास तौर से अपराध करने वाले को लाभ देने वाली दिशा में मुड़ने की अनुमति नहीं दी जा सकती। ऐसा इसे दिशाहीन बनाने वाला होगा। आरोपित और अभियोजन के अधिकार में उचित संतुलन रखना होगा।
मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई, जस्टिस नवीन सिन्हा और जस्टिस केएम जोसफ की पीठ ने एक फैसले में कहा है, 'आरोपित के व्यक्तिगत अधिकार नि:संदेह महत्वपूर्ण हैं, लेकिन सामाजिक के लिए अपराधी को कठघरे में लाना उतना ही महत्वपूर्ण है। इसके साथ ही प्रणाली के लिए समाज में सभी को चाहे वह कानून से बंधा नागरिक हो या संभावित अपराधी उस तक सही संदेश भेजना भी महत्वपूर्ण है।'
पीठ की ओर से जस्टिस सिन्हा ने कहा, 'केवल आरोपित का ही मानवाधिकार नहीं है बल्कि पीडि़त का भी है। पीडि़त समाज का प्रतीकात्मक सदस्य है। वह संभावित पीडि़त के साथ ही संपूर्ण समाज का भी प्रतीकात्मक सदस्य है।'
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