मौत की सजा पाए दोषियों की दया याचिकाओं के समयबद्ध निस्तारण की मांग, सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से मांगा जवाब
मौत की सजा पाए दोषियों की दया याचिकाओं के समयबद्ध निस्तारण के लिए गाइडलाइन बनाने की मांग वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने केंद्र से जवाब मांगा है।
नई दिल्ली, पीटीआइ। मौत की सजा पाए दोषियों की दया याचिकाओं के समयबद्ध निस्तारण के लिए गाइडलाइन बनाने का मामला फिर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) पहुंचा है। याचिका पर प्रधान न्यायाधीश एसए बोबडे, जस्टिस आर सुभाष रेड्डी और जस्टिस एएस बोपन्ना की पीठ ने गुरुवार को केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। याचिका में अधिकारियों को उनके पास लंबित दया याचिकाओं का समयबद्ध तरीके से निस्तारण करने और प्रक्रिया के अनुसार राष्ट्रपति या राज्यों के राज्यपाल के पास अपनी सिफारिश अग्रसारित करने का निर्देश देने की भी मांग की गई है।
याचिका में पांच बच्चों का अपहरण कर उनकी हत्या करने वाले दो दोषियों के मामले का उल्लेख किया गया है। कहा गया है कि शीर्ष कोर्ट से मौत की सजा की पुष्टि होने के बावजूद 2014 से अमल नहीं किया जा सका है। इसका कारण यह है कि दोषियों ने दया याचिका ठुकराने में अत्यधिक विलंब उल्लेख करते हुए याचिका दायर कर रखी है। उनकी याचिका बांबे हाई कोर्ट में लंबित है। सुप्रीम कोर्ट में दाखिल याचिका में प्राधिकारियों को यह निर्देश देने की मांग की गई है कि वे उनके पास लंबित दया याचिकाओं का समयबद्ध तरीके से निस्तारण करने के साथ ही राष्ट्रपति और राज्यों के राज्यपालों को अपनी सिफारिशें भेजें।
याचिका में शीर्ष अदालत से गुजारिश की गई है कि केंद्र और राज्यों को मौत की सजा पाए मुजरिमों के मामले में फैसले पर अमल के लिए जरूरी कदम उठाने का निर्देश दिया जाए जो अपने सभी कानूनी विकल्पों का सहारा ले चुके हैं। पीठ ने याचिका में उठाए गए मसलों पर विचार करने पर सहमति व्यक्त की है। साथ ही इसे पहले से ही लंबित याचिका के साथ संलग्न करने का निर्देश दिया है जिसमें इसी तरह के मामले उठाए गए हैं। बता दें कि इससे पहले 27 मई को इसी तरह की एक अन्य याचिका पर शीर्ष कोर्ट ने केंद्र से जवाब मांगा था।
उक्त याचिका में दया याचिकाओं के निस्तारण के लिए एक प्रक्रिया और समय सीमा निर्धारित करने का निर्देश दिए जाने की मांग की गई थी। सुप्रीम कोर्ट ने उस समय कहा था कि वह गृह मंत्रालय में लबित दया याचिकाओं को राष्ट्रपति के समक्ष पेश करने की समय सीमा निर्धारित करने के बारे में विचार करेगा। याचिका पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि दया याचिका का एक समय सीमा के भीतर निस्तारण महत्वपूर्ण है।