मिराज क्रैश की जांच की मांग वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट- पुराने हैं, क्रैश होने ही हैं...!
सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई ने कहा कि याचिकाकर्ता को पता नहीं है कि मिराज किस पीढ़ी के विमान हैं।
नई दिल्ली, एएनआइ। भारतीय वायुसेना के लड़ाकू विमान मिराज के दुर्घटनाग्रस्त होने के मामले की सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में न्यायिक जांच की मांग वाली याचिका को सिरे से खारिज कर दिया गया है। इस पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई ने कहा कि याचिकाकर्ता को पता नहीं है कि मिराज किस पीढ़ी के विमान हैं और उन्होंने जनहित याचिका दाखिल कर दी?
मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि मिराज पुराने लड़ाकू विमान हैं जो क्रैश होने ही हैं। साथ मुख्य न्यायाधीश ने याचिकाकर्ता से सवाल पूछा कि मिराज किस जनरेशन का विमान है? याचिकाकर्ता इस सवाल का जवाब नहीं दे पाया। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने याचिका खारिज की दी। इसके साथ ही चीफ जस्टिस ने याचिकाकर्ता से कहा है कि आप भाग्यशाली हैं कि जुर्माना नहीं लगा रहे।
दरअसल, याचिका में कहा गया था कि भविष्य में इस प्रकार की घटना न हो इसके लिए एक कमेटी बनाई जाए जो इस प्रकार के विमानों की जांच हो। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट में दाखिल याचिका में मामले की जांच सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज के निगरानी में कराने के लिए भी कहा गया था। गौरतलब है कि बेंगलुरु में एक फरवरी की सुबह वायुसेना का एक लड़ाकू विमान मिराज दुर्घटनाग्रस्त हो गया था। इसमें सवार दो पायलटों स्क्वॉर्डन लीडर सिद्धार्थ नेगी और स्क्वॉर्डन लीडर समीर अबरोल की मौत हो गई थी।
नि:संदेह लडाकू विमानों के साथ कछ न कुछ जोखिम रहता है, लेकिन आम तौर पर परीक्षण उड़ानों के दौरान कोई गड़बड़ी होने पर पायलट खुद को बचा लेते हैैं। बेंगलुरु में ऐसा नहीं हो सका। यहां मिराज-2000 लड़ाकू विमान के दुर्घटनाग्रस्त होने के बाद यदि उसे उन्नत करने वाली हिंदुस्तान एयरोनाटिक्स लिमिटेड यानी एचएएल रक्षा विशेषज्ञों और पूर्व सैन्य अधिकारियों के साथ आम लोगों के निशाने पर आ गई है तो यह स्वाभाविक है। अगर यह माना जा रहा है कि एचएएल की खामी परीक्षण उड़ान पर निकले पायलटों पर गाज बनकर गिरी तो इसके लिए यह सरकारी कंपनी अपने अलावा अन्य किसी को दोष नहीं दे सकती।