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राहुल गांधी का निर्वाचन रद कराने संबंधी याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने दो हफ्ते तक सुनवाई टाली

केरल की वायनाड सीट से राहुल गांधी का निर्वाचन रद कराने संबंधी याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने दो हफ्ते तक सुनवाई टाल दी है। याचिका सरिता एस. नायर ने दाखिल की है।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Wed, 10 Jun 2020 05:02 PM (IST)Updated: Wed, 10 Jun 2020 05:33 PM (IST)
राहुल गांधी का निर्वाचन रद कराने संबंधी याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने दो हफ्ते तक सुनवाई टाली
राहुल गांधी का निर्वाचन रद कराने संबंधी याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने दो हफ्ते तक सुनवाई टाली

नई दिल्ली, एएनआइ। सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने साल 2019 के लोकसभा चुनाव में केरल की वायनाड सीट (Wayanad constituency in Kerala) से कांग्रेस नेता राहुल गांधी (Rahul Gandhi) की जीत को चुनौती देने वाली याचिका की सुनवाई को दो हफ्ते के लिए टाल दी है। मालूम हो कि कांग्रेस नेता के खिलाफ चुनाव लड़ने वाली सरिता एस. नायर ने राहुल गांधी के निर्वाचन को चुनौती दी है। मुख्य न्यायाधीश शरद अरविंद बोबडे, न्यायमूर्ति एएस बोपन्ना और न्यायमूर्ति हृषिकेश रॉय की खंडपीठ के सामने सुनवाई स्थगित करने की गुजारिश की गई थी जिसे स्‍वीकार करते हुए मामले की सुनवाई दो हफ्ते तक के लिए टाल दी गई। 

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मालूम हो कि केरल के चर्चित सोलर कांड की आरोपी सरिता नायर ने राज्य की वायनाड सीट से कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के खिलाफ बतौर निर्दलीय उम्मीदवार पर्चा दाखिल किया था। हालांकि उनके कागजात को रिटर्निंग अधिकारी ने इस आधार पर खारिज कर दिया कि एक अदालत ने उन्हें तीन साल के लिए सौर घोटाला मामले में दोषी ठहराया था। सरिता नायर (Saritha Nair) ने केरल हाईकोर्ट द्वारा चुनाव याचिका खारिज किए जाने को शीर्ष अदालत में चुनौती देते हुए कहा है कि अमेठी के निर्वाचन अधिकारी ने उनका नामांकन पत्र स्वीकार कर लिया था जबकि वायनाड के निर्वाचन अधिकारी ने इसे रद कर दिया। 

उल्‍लेखनीय है कि जन प्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 8(3) के तहत आपराधिक मामलों में दो साल से अधिक की सजा पाने वाले कंडीडेट का नामांकन रद किया जा सकता है। चूंकि याचिकाकर्ता सरिता एस नायर को निचली अदालत ने सोलर घोटाले में दोषी ठहराते हुए तीन साल की सजा दी है। इसी को आधार मानते हुए वायनाड के निर्वाचन अधिकारी ने नामांकन खारिज कर दिया था। वहीं नायर का कहना है कि अपीलीय अदालत ने उनकी सजा पर रोक लगा दी है। इस आधार पर वह संबंधित कानून के तहत चुनाव लड़ने के लिए अधिकारी हैं। ऐसे में यह मामला अब सुप्रीम कोर्ट के सामने आया है। सुप्रीम कोर्ट को दोनों दलीलों को सुनते हुए याचिका का निर्धारण करना है... 


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