कोयला घोटाले में CBI जांच पर रोक से सुप्रीम कोर्ट का इनकार, वर्ष 1993 और 2005 में हुई थी अनियमितता
सुप्रीम कोर्ट ने कथित कोयला घोटाले में PMO के कुछ अधिकारियों के शामिल होने के आरोपों पर सीबीआइ की जांच पर रोक लगाने से इनकार किया है।
नई दिल्ली, एएनआइ। Coal Scam Case सुप्रीम कोर्ट ने कथित कोयला घोटाले में प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) के कुछ अधिकारियों के शामिल होने के आरोपों पर सीबीआइ की जांच पर रोक लगाने से इनकार किया है। सीबीआइ ने विगत पांच जनवरी को कोयला ब्लॉक घोटाले में जिंदल स्टील के खिलाफ एक मामले में केस दर्ज किया था। कोयला ब्लॉक आवंटन का यह कथित घोटाला वर्ष 1993 और 2005 में हुआ था।
यह केस जेएसडब्लू इस्पात स्टील लिमिटेड (तत्कालीन नाम निप्पो डेनरो इस्पात लिमिटेड : एनडीआइएल था) और कुछ अज्ञात सरकारी कर्मचारियों के खिलाफ किया गया था। एफआइआर के मुताबिक तब के कोयला मंत्रालय ने कोयला ब्लॉक का आवंटन एनडीआइएल को किया था। यह आवंटन निजी कंपनियों को जारी करने की प्रक्रिया अधिसूचना के अनुरूप नहीं थी।
सीबीआइ ने बताया कि कोयला मंत्रालय ने अधिसूचना जारी की थी जिससे एक कंपनी को दो सहायक कंपनी रखने की छूट मिल गई। इसमें एक कंपनी पावर प्लांट का संचालन कर रही थी और दूसरी उस प्लांट के लिए विशेष रूप से कोयले का खनन कर रही थी। लिहाजा, कोयला ब्लाक का संचालन सेंट्रल इंडिया पावर कंपनी लिमिटेड (सीआइपीसीओ) कर रही थी। इस कंपनी का गठन इस्पात ग्रुप ने किया था और एक अन्य कंपनी सेंट्रल इंडिया कोल कंपनी लिमिटेड (सीआइसीसीएल) कोयले का खनन करती। जबकि इस्पात ऊर्जा लिमिटेड ने दोनों ही कंपनियों में 26 फीसद की हिस्सेदारी ले रखी है।
सीबीआइ ने आरोप लगाया कि एनडीआइएल को तब भी खिलौनी ब्लाक खनन के लिए आवंटित किया गया, जबकि कई चयन समितियों ने ब्लाक आवंटन से रोका था। एनडीआइएल की एफआइआर में 1996 से 1998 में आवंटित कोयला ब्लाकों का उल्लेख है। प्रारंभिक जांच के दायरे में वर्ष 1996 से 2005 के बीच आवंटित 24 कोयला ब्लाकों को लाया गया है। प्रारंभिक जांच वर्ष 2012 में शुरू हुई थी। इसमें कांग्रेस नेता संदीप दीक्षित समेत सात सांसदों के खिलाफ शिकायत दर्ज की गई थी।