सुब्रमण्यम ने ब्रज फाउंडेशन पर लगाए सनसनीखेज आरोप, सीबीआई जांच की मांग
स्वामी ने 'द ब्रज फाउंडेशन' के अध्यक्ष विनीत नारायण और उनकी संस्था के विरुद्ध आरोप पत्र मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के पास भेजा है।
नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा सदस्य सुब्रमण्यम स्वामी ने गैर-सरकारी संस्था 'द ब्रज फाउंडेशन' पर गंभीर आरोप लगाते हुए उत्तर प्रदेश सरकार से इसकी शिकायत की है। स्वामी ने इस संस्था पर गैर-कानूनी और आपराधिक गतिविधियों में लिप्त होने का आरोप लगाते हुए योगी सरकार से मामला दर्ज कर सीबीआइ से जांच कराने की मांग भी की है।
स्वामी ने 'द ब्रज फाउंडेशन' के अध्यक्ष विनीत नारायण और उनकी संस्था के विरुद्ध आरोप पत्र मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के पास भेजा है। उन्होंने सोशल नेटवर्किंग साइट ट्विटर पर इसकी जानकारी दी। 'दैनिक जागरण' ने जब प्रतिक्रिया लेने के लिए नारायण को फोन किया तो उन्होंने कहा कि वह सीबीआइ को पूरा दस्तावेज सौंपने जा रहे हैं और जल्द से जल्द जांच कर सच्चाई सामने लाने का आग्रह करेंगे।
स्वामी ने 28 जुलाई को योगी को भेजे आठ पेज के पत्र में द ब्रज फाउंडेशन और उसकी सहयोगी कंपनी पर 57.65 लाख रुपये लेने के बावजूद ब्रज क्षेत्र का मास्टर प्लान बनाने का काम पूरा न करने का आरोप लगाया है। स्वामी ने यह भी आरोप लगाया कि फाउंडेशन 'धाम सेवा' के नाम पर उद्योगपतियों से पैसा लेता है और उसमें कुछ का उपयोग कर शेष को हजम कर जाता है। स्वामी ने इस संस्था पर कुंडों के संरक्षण के नाम पर गरीब किसानों की जमीन हड़पने, अनुसूचित जाति के लोगों से मारपीट करने, अवैध ढंग से बालू उत्खनन करने और सरकारी पदाधिकारियों को डराने-धमकाने का आरोप लगाया है। स्वामी ने मुख्यमंत्री से आग्रह किया है कि उनकी शिकायत को संज्ञान में लेकर मामला दर्ज किया जाए और उनकी जांच सीबीआइ से करायी जाए।
इस बीच 'द ब्रज फाउंडेशन' का कहना है कि संस्था स्वामी के सभी आरोपों का जवाब प्रमाणपत्र सहित सीबीआई को सौंपने जा रही है। साथ ही सीबीआइ से यह भी अनुरोध किया जाएगा कि इन आरोपों की तुरंत निष्पक्ष जांच कराई जाए। इन आरोपों के संदर्भ में जो भी जानकारी मांगी जाएगी, फाउंडेशन उसे उपलब्ध कराएगा। इसमें नारायण के हवाले से कहा गया है कि वह हर जांच का स्वागत करेंगे और यह अपेक्षा रखेंगे कि आरोप गलत सिद्ध होने पर आरोप लगाने वाले अपनी सजा अभी से स्वयं ही तय कर लें ताकि उन्हें उनके विरुद्ध मानहानि का मुकदमा दायर न करना पड़े।