Move to Jagran APP

बेहद घातक होती है स्‍टील बुलेट, भेद सकती है 3-4 इंच मोटा सुरक्षा कवच

आतंकियों द्वारा इस्‍तेमाल की जा रही स्‍टील बुलेट अब भारतीय सुरक्षाबलों के लिए घातक साबित हो रही हैं। यह बुलेट जवानों द्वारा इस्‍तेमाल की जाने वाली बुलेट प्रूफ शील्ड को भेदने में कारगर हैं।

By Kamal VermaEdited By: Published: Sat, 01 Sep 2018 11:00 AM (IST)Updated: Sat, 01 Sep 2018 02:56 PM (IST)
बेहद घातक होती है स्‍टील बुलेट, भेद सकती है 3-4 इंच मोटा सुरक्षा कवच
बेहद घातक होती है स्‍टील बुलेट, भेद सकती है 3-4 इंच मोटा सुरक्षा कवच

नई दिल्‍ली [जागरण स्‍पेशल]। पाकिस्‍तानी सेना द्वारा आतंकियों को मदद करना कोई नई बात नहीं है। न ही इन दोनों से चीन का कनेक्‍शन ही कुछ नया है। नया सिर्फ इतना ही है कि चीन की मदद जो पाकिस्‍तान की सेना को दी जा रही है वह सेना के रास्‍ते आतंकियों तक पहुंच रही है। इनमें से ही एक है चीन से पाकिस्‍तान की आर्मी को सप्‍लाई की जा रही स्‍टील बुलेट। आतंकियों द्वारा इस्‍तेमाल की जा रही स्‍टील बुलेट (Armour Piercing, AP)अब भारतीय सुरक्षाबलों के लिए घातक साबित हो रही हैं। यह बुलेट जवानों द्वारा इस्‍तेमाल की जाने वाली बुलेट प्रूफ शील्ड को भेदने में कारगर हैं। यह बुलेट तीन से चार इंच मोटे सुरक्षा कवच को भी भेद सकती है।

loksabha election banner

1886 में पहली बार किया गया इस्‍तेमाल
स्‍टील बुलेट को लेकर यदि इतिहास को खंगाला जाए तो पता चलता है कि स्विस आर्मी के कर्नल एडवार्ड रुबिन ने इसको पहली बार 1882 में बनाया था। हालांकि इसका पहली बार इस्‍तेमाल 1886 में फ्रांस में विद्रोहियों के खिलाफ किया गया था। इस तरह की बुलेट नाटो सेना जरूर करती हैं। इसके अलावा जो देश जिनेवा कंवेंशन का हिस्‍सा हैं उनको भी इस तरह की बुलेट का इस्‍तेमाल करने की इजाजत है। आपको यहां पर बता दें कि इस तरह की बुलेट आमतौर पर हथियारों के बाजार में नहीं मिलती हैं। यहां पर ये भी बताना जरूरी होगा कि डोकलाम में चीनी सेना के साथ तनातनी के दौरान भी जवानों को यह जैकेट उपलब्ध कराई गई थीं। दरअसल, भारत को आशंका थी कि चीन भारतीय सैनिकों पर इनका इस्‍तेमाल कर सकता है। लेकिन उस वक्‍त बिना एक गोली चले मामला सुलझ गया था। इसके अलावा कांगो और सूडान में विद्रोहियों द्वारा नए स्टील बुलेट के इस्तेमाल की सूचना के बाद वहां संयुक्त राष्ट्र शांति मिशन के तहत तैनात भारतीय सैनिकों के लिए नए जैकेट भेजे गए थे।

पहली बार कब सामने आया मामला 
आपको बता दें कि 31 दिसंबर 2017 को आतंकियों से मुकाबले के दौरान सीआरपीएफ के जो पांच जवान शहीद हुए थे उनके शरीर से यही बुलेट बरामद हुई हैं। ये बुलेट उनके द्वारा इस्‍तेमाल की गई बुलेट प्रूफ शील्‍ड को पार करती हुई उनके शरीर में घुस गई थी। यह इसलिए भी खास है क्‍योंकि इस तरह की बुलेट का सेनाओं के पास भी होना कोई आम बात नहीं है। इस दौरान पहली बार इस तरह की बात सामने आई थी। इसी दौरान इंटेलिजेंस की रिपोर्ट ने इस बात का भी खुलासा किया था कि इन बुलेट को बनाने में जिस स्‍टील का इस्तेमाल किया गया वह चीन द्वारा पाकिस्तान ऑर्डिनेंस फैक्टरी को दिया गया था। 

तांबे का होता था आगे का हिस्‍सा
एके 47 से निकलने वाली स्टील बुलेट बुलेट प्रूफ शील्ड को भी भेदने में सफल होती है। सामान्य तौर पर एके 47 राइफल में इस्तेमाल की जाने वाली गोली का अगला हिस्सा तांबा का होता है। अभी तक कश्मीर में आतंकी भी तांबे वाली गोली का इस्तेमाल कर रहे थे। सुरक्षा बल के जवानों को जो बुलेट प्रूफ जैकेट और शील्ड दिए गए थे, वे तांबे वाली गोली को रोकने के लिए पर्याप्त थे। आतंकियों की स्टील बुलेट के आगे ये नाकाफी साबित हुए हैं। चीन लगातार पाकिस्‍तान को हथियारों की सप्‍लाई से लेकर दूसरे कई मोर्चों पर सीधेतौर पर मदद करता आया है। यहां यह जान लेना भी जरूरी होगा कि चीन दुनिया में तीसरे नंबर का सबसे बड़ा हथियारों का सप्‍लायर है और उसके बड़े खरीददारों में पाकिस्तान उसका सबसे बड़ा ग्राहक है।

चीन का बढ़ता हथियारों का बाजार 
बीते दशक में चीन ने अपने हथियारों के एक्‍सपोर्ट को दोगुना कर लिया है। इतना ही नहीं दुनिया में हथियारों के बाजार के मामले में उसका शेयर करीब 6 फीसद से भी ज्‍यादा का है। सिपरी की रिपोर्ट के मुताबिक वर्ष 2016 में चीन ने पाकिस्‍तान को 35 फीसद, बांग्‍लादेश को 20 फीसद म्‍यांमार 16 फीसद हथियार बेचे थे। इसके अलावा वह पाकिस्‍तान को आठ और बांग्‍लादेश को दो सबमरीन भी देगा।

जनरन रावत दिला चुके भरोसा
इसी वर्ष जनवरी में आतंकियों द्वारा स्‍टील बुलेट का इस्‍तेमाल किये जाने के बाद सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत ने कहा था कि 2019 तक सेना को इनसे बचाव के लिए बुलेट प्रूफ जैकेट और शील्ड दे दी जाएंगी। सेना के लिए ऐसे 1.86 जैकेटों की जरूरत होगी। इन्‍हें स्‍टील बुलेट भी नहीं भेद सकेंगी। 


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.