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ओबीसी आरक्षण से जुड़ा अहम बिल संसद में पास, दोनों सदन अनिश्चित काल के लिए स्थगित

ओबीसी (अन्य पिछड़ा वर्ग) जातियों की पहचान करने और सूची बनाने का राज्यों का अधिकार फिर से बहाल होगा। ओबीसी आरक्षण को लेकर विधेयक राज्‍यसभा में भी पास हो गया। इससे पहले लोकसभा ने ओबीसी से जुड़े इस विधेयक को भारी बहुमत से पारित कर दिया था।

By Arun Kumar SinghEdited By: Published: Wed, 11 Aug 2021 06:16 PM (IST)Updated: Thu, 12 Aug 2021 07:29 AM (IST)
ओबीसी आरक्षण से जुड़ा अहम बिल संसद में पास, दोनों सदन अनिश्चित काल के लिए स्थगित
ओबीसी आरक्षण को लेकर राज्‍यों को अधिकार देने वाला विधेयक राज्‍यसभा में भी पास हो गया

नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) की पहचान करने और सूची बनाने के राज्यों के अधिकार बहाल करने संबंधी संविधान का 127वां संशोधन विधेयक बुधवार को राज्यसभा से पारित हो गया। लोकसभा एक दिन पहले ही इसे मंजूरी दे चुकी है। विधेयक पर चर्चा के दौरान बुधवार को राज्यसभा में सत्तापक्ष और विपक्ष में जमकर आरोप-प्रत्यारोप का दौर चला। इसके बाद लोकसभा और राज्‍यसभा अनिश्चित काल के लिए स्‍थगित कर दी गई।

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राज्यसभा में इस 127वें संविधान संशोधन विधेयक के पक्ष में पड़े 187 वोट

विपक्ष ने सरकार पर ओबीसी के नाम पर सिर्फ दिखावा करने का आरोप लगाया और कहा कि सरकार का यह प्रेम विधानसभा चुनाव में फायदा लेने के लिए है। लेकिन सत्ता पक्ष ने इस पर विपक्ष को करारा जवाब देते हुए कहा कि हम विपक्ष जैसी राजनीति नहीं करते। जो ओबीसी की मदद से सत्ता में तो पहुंचे, लेकिन सत्ता में रहने के दौरान उनके लिए कुछ नहीं किया।

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राज्यसभा में इस विधेयक पर पांच घंटे से अधिक समय तक चर्चा हुई। इस दौरान सभी राजनीतिक दलों ने विधेयक का समर्थन किया। यही वजह रही कि राज्यसभा में इसके पक्ष में कुल 187 मत पड़े, जबकि विपक्ष में एक भी मत नहीं पड़ा। इस दौरान सभी दलों ने अपने राजनीतिक हितों को खूब साधा। चर्चा का जवाब देते हुए केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री डा. वीरेंद्र कुमार ने विपक्ष के उठाए सवालों का बेहद सधे ढंग से जवाब दिया।

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सरकार का कांग्रेस को जवाब- सत्ता से बाहर रहने पर आती है ओबीसी की सुध

उन्होंने कहा कि जो लोग सामाजिक-आर्थिक जनगणना की रिपोर्ट जारी करने की मांग कर रहे हैं, वे जब सत्ता में थे तो ऐसा क्यों नहीं किया, जबकि यह रिपोर्ट उनके कार्यकाल में ही आ गई थी। इस दौरान उन्होंने विपक्ष की ओर से उठाए गए आरक्षण की 50 फीसद तय सीमा के मुद्दे पर भी एक बार फिर स्थिति साफ की। केंद्रीय मंत्री ने कहा, निश्चित ही इस पर नए सिरे से विचार होना चाहिए क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने इंदिरा साहनी मामले में जब यह व्यवस्था दी थी, तब से 30 साल का समय हो गया है। उस समय स्थिति कुछ और थी, आज कुछ और है।

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कांग्रेस ने विधानसभा चुनावों में फायदा लेने की सरकार की मंशा का मुद्दा उठाया

इस बीच, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा में विरोधी दल के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने इस विधेयक को लाने के पीछे उत्तर प्रदेश सहित कई राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनावों में फायदा लेने की सरकार की मंशा का मुद्दा उठाया, इस पर केंद्रीय श्रम मंत्री भूपेंद्र यादव ने आपत्ति जताई और कहा कि कांग्रेस की यही सोच है, वह हर चीज को सिर्फ चुनाव से जोड़कर देखती है।

सरकार ने कहा, सत्ता में रहते नहीं दिया आबीसी को कोई हक

भूपेंद्र यादव ने कहा कि मोदी सरकार ने इससे पहले ओबीसी आयोग को संवैधानिक दर्जा देने का काम किया है। मेडिकल कालेजों में दाखिले से जुड़ी 'नीट' के आल इंडिया कोटे में ओबीसी और ईडब्लूएस को आरक्षण देने का काम किया है। इस दौरान खड़गे ने सरकार से मांग की कि वह निजी क्षेत्र में भी आरक्षण लागू करे। वह इस मुद्दे पर सरकार का समर्थन करेंगे। साथ ही बैकलाग के खाली पदों को भरने का मुद्दा उठाया।

भूपेंद्र यादव ने कहा कि विपक्ष को समझना चाहिए कि हमारी सरकार सबका साथ सबका विकास की नीति पर चल रही है। हम अंतिम छोर पर खड़े व्यक्ति को भी उसके अधिकार दिलाने के लिए प्रतिबद्ध हैं। राज्यसभा में विधेयक पर चर्चा के दौरान उस समय हंगामा शुरू हो गया जब सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता राज्यमंत्री रामदास आठवले ने कांग्रेस पर चुटीले अंदाज में तीखा हमला बोला। जिस पर कांग्रेसी सदस्य उग्र हो गए और उनके शब्दों को कार्यवाही से हटाने की मांग पर अड़ गए। इस दौरान काफी देर तक सदन में खूब शोर-शराबा होता रहा।


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