Srilanka Crisis: श्रीलंका को मदद के लिए G-7 बैठक में विदेशी नेताओं से बात करेंगे पीएम मोदी
Srilanka Crisis पड़ोसी देश श्रीलंका की आर्थिक स्थिति दिवालिया होने के करीब है। दो दिन बाद जर्मनी में जी-7 बैठक में हिस्सा लेने जा रहे पीएम नरेन्द्र मोदी दूसरे देशों के नेताओं से भी बात करेंगे कि श्रीलंका को एक बड़ा आर्थिक पैकेज दिया जा सके।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। पड़ोसी देश श्रीलंका की आर्थिक स्थिति दिवालिया होने के करीब है। ऐसे में भारत ने उसे ना सिर्फ पड़ोसी देश की तरह बल्कि एक बड़े भाई की तरह आर्थिक परेशानी से उबारने की कोशिश में है। विदेश मंत्रालय और वित्त मंत्रालय के आला अधिकारियों ने कोलंबो जा कर वहां के हालात की समीक्षा की है। शुक्रवार को भारत से भेजी गई सामग्री (कीमत 65.33 करोड़ रुपये) वहां पहुंच भी गई। भारत पड़ोसी देशों को मदद देने के लिए दूसरे देशों से भी बात कर रहा है, ताकि उसे संयुक्त तौर पर उबारने की कोई स्कीम लागू की जा सके। दो दिन बाद जर्मनी में जी-7 बैठक में हिस्सा लेने जा रहे पीएम नरेन्द्र मोदी दूसरे देशों के नेताओं से भी बात करेंगे कि श्रीलंका को एक बड़ा आर्थिक पैकेज दिया जा सके।
भारत ने फिर श्रीलंका को जरूरी सामान भेजे
श्रीलंका का दौरा करने के बाद लौटे विदेश सचिव विनय क्वात्रा ने बताया कि कोलंबो की यात्रा भारतीय अधिकारियों की टीम ने मुख्य तौर पर वहां के हालात की समीक्षा करने के लिए की। श्रीलंका भारत की 'पहले पड़ोसी' नीति का एक अभिन्न हिस्सा है। हम चाहते हैं कि वो जल्द से जल्द आर्थिक दुश्वारी से बाहर निकले। उन्होंने यह तो नहीं बताया कि भारत अभी क्या क्या श्रीलंका को भेजने वाला है, लेकिन शुक्रवार को जो जहाज वहां पहुंची है उसमें गेहूं, चावल, दवाइयां और दुग्ध पावडर समेत कई दूसरे सामान है। श्रीलंका की आम जनता इन सभी चीजों की किल्लत महसूस कर रही है। ये सारे समान वहां की स्थानीय सरकार की तरफ से वितरित किये जाएंगे।
भारत से मांगी 1.5 अरब डॉलर की और मदद
विदेश सचिव ने यह बताया कि श्रीलंका को मदद करने के लिए हम हमेशा आगे रहते हैं। अभी उसे वित्तीय व मानवीय के अलावा दूसरी सेवाएं भी दी जाएंगी। दूसरे देशों के साथ मिल कर मदद देने पर बात हो रही है। भारत ने इस वर्ष की शुरुआत में ही श्रीलंका को 3.5 अरब डॉलर की मदद देने की घोषणा की थी जिसमें से 2.9 अरब डॉलर की मदद उसे दी जा चुकी है। माना जा रहा है कि पड़ोसी देश ने भारत से 1.5 अरब डॉलर की मदद तत्काल तौर पर मांगी है ताकि वह जरूरी पेट्रोलियम उत्पादों व खाने पीने की चीजों का आयात जारी रख सके।