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तालिबान से भारत के संपर्क की अटकलें तेज, विदेश मंत्रालय ने जयशंकर की मुलाकात की बात को तथ्यहीन बताया

क्या भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर की तालिबान के नेताओं से कोई गोपनीय बैठक हुई है? विदेश मंत्रालय ने तो इस तरह की किसी भी बैठक से साफ इन्कार किया है। लेकिन अंतरराष्ट्रीय मीडिया में इस बारे में रिपोर्ट प्रकाशित हुई है कि भारत तालिबान के साथ संपर्क में है।

By Arun Kumar SinghEdited By: Published: Tue, 29 Jun 2021 10:23 PM (IST)Updated: Tue, 29 Jun 2021 10:37 PM (IST)
तालिबान से भारत के संपर्क की अटकलें तेज, विदेश मंत्रालय ने जयशंकर की मुलाकात की बात को तथ्यहीन बताया
एस जयशंकर की तालिबान के नेताओं से गोपनीय बैठक

नई दिल्ली, जयप्रकाश रंजन। क्या भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर की तालिबान के नेताओं से कोई गोपनीय बैठक हुई है? विदेश मंत्रालय ने तो इस तरह की किसी भी बैठक से साफ इन्कार किया है। लेकिन तमाम अंतरराष्ट्रीय मीडिया में इस बारे में रिपोर्ट प्रकाशित हुई है कि भारत तालिबान के साथ संपर्क में है। पाकिस्तान की मीडिया में भी लगातार भारत के तालिबान से बढ़ते संपर्क को लेकर खबरें प्रकाशित हुई हैं। पाकिस्तान सरकार भी इन खबरों से तिलमिलाई हुई है। तभी पाकिस्तान के एनएसए मोईद यूसुफ को यहां तक कहना पड़ा कि भारत को तालिबान प्रतिनिधियों से मुलाकात में शर्म महसूस करनी चाहिए।

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अमेरिकी सेना की वापसी के बाद अफगानिस्तान के बड़े हिस्से पर हो चुका है तालिबान का कब्जा

उधर, भारत भी यह मान रहा है कि अफगानिस्तान में हालात नियंत्रण में नहीं हैं। यही वजह है कि मंगलवार देर शाम को सरकार की तरफ से वहां रहने वाले भारतीयों के लिए सुरक्षा सलाह जारी किया गया है। सुरक्षा हालात को लेकर भारतीयों को कंधार व मजार-ए-शरीफ स्थित भारतीय मिशन से संपर्क साधने को भी कहा गया है। तालिबान से संपर्क बनाने की यह खबर तब आई है, जब अफगानिस्तान के कुछ और जिलों पर तालिबान का कब्जा होने की सूचना है। मंगलवार को तालिबान के आतंकियों की तरफ से काबुल-कंधार राजमार्ग के मुख्य हिस्से पर भी कब्जा किए जाने की सूचना है।

भारत की तरफ से तालिबान से संपर्क साधने की खबर

तालिबान के नियंत्रण में आने वाले मारुफ जिले से अफगानिस्तान की सेना की वापसी का वीडियो भी जारी किया गया है, जिसमें साफ देखा जा सकता है कि किस तरह से अमेरिकी सेना की तरफ से दिए गए वाहनों पर अफगान नेशनल सिक्योरिटी फोर्सेस (एएनडीएसएफ) के जवान हाथ हिलाते हुए काबुल की तरफ लौट रहे हैं। सनद रहे अमेरिकी सेना की वापसी के साथ ही अफगानिस्तान के बड़े हिस्से पर तालिबान का कब्जा हो चुका है। तालिबान के बढ़ते असर के बाद ही भारत की तरफ से तालिबान से संपर्क साधने की खबर आनी शुरू हुई है।

तालिबान नेताओं से मुलाकात की खबरें गलत, आधारहीन और दुष्टतापूर्ण: विदेश मंत्रालय

इस बारे में विदेश मंत्रालय के सूत्रों का कहना है कि हमने इंटरनेट मीडिया में इस तरह की खबरें देखी हैं कि विदेश मंत्री एस जयशंकर की मुलाकात तालिबान के नेताओं से हुई है। इस तरह की रिपोर्ट पूरी तरह से गलत, आधारहीन और दुष्टतापूर्ण है। विदेश मंत्रालय की यह सख्त प्रतिक्रिया इन सूचनाओं के बाद आई है कि जयशंकर की मुलाकात तालिबान के नेता मुल्ला बरादर, खैरुल्लाह और शेख दिलावर जैसे नेताओं से हुई है। जयशंकर की दो हफ्ते पहले पांच दिनों के अंतराल में कतर की दो बार हुई यात्रा के बाद इस तरह की खबरों का बाजार गर्म हुआ है।

जमीनी सच्चाई को देखते हुए भारत के रुख में बदलाव

तालिबान को भारत अभी तक पाकिस्तान समर्थक आतंकी संगठन मानते हुए उससे किसी भी तरह का संपर्क नहीं रखने की बात करता रहा है। भारत अफगानिस्तान में जिस शांति प्रक्रिया की मांग करता रहा है, तालिबान की नीतियां उसके खिलाफ हैं। पिछली बार अफगानिस्तान में जब तालिबान का शासन था, तब उसने पाकिस्तान के उकसावे पर भारत के हितों के खिलाफ काम किया था। लेकिन अब जमीनी सच्चाई को देखते हुए संभवत: भारत का रुख बदल रहा है।

भारत अफगानिस्तान में अभी तक तीन अरब डालर की परियोजनाएं लगा चुका है और दो अरब डालर की अलग-अलग परियोजनाओं पर काम चल रहा है। भारत की तरफ से तालिबान से संपर्क पाकिस्तान की भारत विरोधी रणनीति को असफल कर सकता है। पाकिस्तान तालिबान नियंत्रित अफगानिस्तान को अपनी एक बड़ी रणनीतिक जीत के तौर पर देख रहा है। ऐसे में भारत व तालिबान के बीच संबंधों के अच्छा होने से उसकी भावी रणनीति को झटका लग सकता है। यही वजह है कि पाक एनएसए यूसुफ ने इस पर तीखी प्रतिक्रिया जताई है।

अफगान में रह रहे भारतीयों के लिए सुरक्षा सलाह

भारत सरकार ने अफगानिस्तान में रहने वाले भारतीयों से कहा है कि वे अपने शहर से बाहर नहीं जाएं। सड़कों को असुरक्षित करार देते हुए आवश्यकता पड़ने पर वायु मार्ग से ही आने जाने को कहा गया है। सभी भारतीयों को हमेशा सतर्क रहने की सलाह देते हुआ कहा गया है कि वे व्यस्त समय में बिल्कुल नहीं निकलें। इसमें कहा गया है अफगानिस्तान में सुरक्षा को लेकर कई तरह की चिंताएं बन गई हैं।

वहां काम करने वाली भारतीय कंपनियों को भी कहा गया है कि वे परियोजना स्थल पर तैनात अपने कर्मचारियों की सुरक्षा का पूरा ध्यान रखें। कहीं आने जाने की सूचना पूरी तरह से गोपनीय रखने की भी बात कही गई है और कहीं जाने पर भारतीय मिशन व स्थानीय पुलिस स्टेशन का नंबर साथ रखने को कहा गया है।


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