सोनिया और राहुल गांधी ने ईआईए-2020 मसौदे पर फिर उठाए सवाल, कहा- इसे वापस ले सरकार
कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी (Sonia Gandhi) और राहुल गांधी (Rahul Gandhi) ने पर्यावरण प्रभाव आकलन की अधिसूचना के मसौदे को लेकर सरकार पर फिर हमला बोला है।
नई दिल्ली, पीटीआइ। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी (Sonia Gandhi) और राहुल गांधी (Rahul Gandhi) ने पर्यावरण प्रभाव आकलन (environment impact assessment notification 2020) की अधिसूचना के मसौदे को लेकर सरकार पर फिर हमला बोला। दोनों नेताओं ने सरकार पर पर्यावरण संरक्षण से जुड़े नियमों को छिन्न-भिन्न करने का आरोप लगाया और मांग की कि इस मसौदे को वापस लिया जाए। उन्होंने कहा है कि पर्यावण की रक्षा करना सरकार का एक सामाजिक कर्तव्य है जिसका निर्वहन होना चाहिए।
गौरतलब है कि पर्यावरण मंत्रालय (Environment Ministry) ने इस साल मार्च में ईआईए के मसौदे को लेकर अधिसूचना जारी की थी और इस पर जनता से सुझाव मांगे गए थे। इसके तहत अलग-अलग परियोजनाओं के लिए पर्यावरण मंजूरी देने के मामले आते हैं। केंद्रीय पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने भी बीते दिनों विपक्ष के सवालों का जवाब देते हुए कहा था कि EIA 2020 केवल एक मसौदा है जिसे अभी अंतिम रूप नहीं दिया गया है। मंत्रालय को हजारों सुझाव मिले हैं जिन पर विचार किया जा रहा है।
सोनिया गांधी ने एक लेख में कहा है कि पर्यारण का सरंक्षण और लोक स्वास्थ्य को बढ़ावा देना साथ-साथ होना चाहिए। साथ ही सभी के लिए सम्मानजनक जीविका भी उपलब्धता होनी चाहिए। अनियंत्रित आर्थिक विकास के पीछे भागने के चलते हमारे देश को अक्सर पर्यावरण और लोगों के अधिकारों दोनों का त्याग करना पड़ा है। बेशक तरक्की के लिए व्यापारिक गतिविधियों की जरूरत है लेकिन इसकी भी कुछ सीमाएं होनी चाहिए जिन्हें लांघा न जाए। सोनिया गांधी ने आरोप लगाया कि पिछले छह वर्षों में केंद्र ने पर्यावरण संरक्षण की रूपरेखा पर जानबूझकर हमला बोला है।
वहीं राहुल गांधी ने ट्वीट पर एक लेख साझा करते हुए कहा है कि यदि हम प्रकृति की रक्षा करते हैं तो वह हमारी भी रक्षा करती है। भारत सरकार को पर्यावरण प्रभाव आकलन (environment impact assessment notification 2020) की अधिसूचना के मसौदे को रद कर देना चाहिए। बीते रविवार को भी राहुल ने इस मसौदे को लेकर हमला बोला था। राहुल ने कहा था कि पर्यावरण की तबाही को रोकने के लिए ईआईए-2020 का मसौदा वापस लिया जाना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा था कि अगर यह मसौदा अधिसूचित होता है तो इसके दीर्घकालिक परिणाम विनाशकारी होंगे।