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छोटे किसानों को नहीं होगा कर्जमाफी का फायदा, निधि आयोग ने भी माना गलत

राज्‍य में कर्ज माफ का सीधा असर उस राज्‍य की इकॉनमी और पूरे देश की इकॉनमी पर पड़ता है। लेकिन बावजूद इसके राजनीतिक पार्टियां इसको अपनी जीत के लिए तुरुप का पत्‍ता मानकर इस्‍तेमाल करने से बच नहीं रही हैं।

By Kamal VermaEdited By: Published: Wed, 19 Dec 2018 02:17 PM (IST)Updated: Thu, 20 Dec 2018 06:05 PM (IST)
छोटे किसानों को नहीं होगा कर्जमाफी का फायदा, निधि आयोग ने भी माना गलत
छोटे किसानों को नहीं होगा कर्जमाफी का फायदा, निधि आयोग ने भी माना गलत

नई दिल्‍ली [जागरण स्‍पेशल]। हाल ही में तीन राज्‍यों में आई कांग्रेस की सरकार ने दो राज्‍यों में किसानों के लिए कर्ज माफी की घोषणा की है। पार्टी ने इसका वादा अपने घोषणा पत्र में भी किया था। मध्‍य प्रदेश में नए मुख्‍यमंत्री कमलनाथ ने अपने आदेश में किसानों के दो लाख रुपये की सीमा तक कर्ज माफ किया है। ऐसा ही निर्णय छत्तीसगढ़  और राजस्थान  नई सरकार ने भी लिया है। लेकिन सबसे बड़ा सवाल ये है कि इस राजनीतिक फैसले का कितना सकारात्‍मक असर राज्‍य और किसानों पर पड़ेगा। यह सवाल खासा मायने रखता है कि आखिर इस कर्जमाफी से किसानों को फायदा होगा या नुकसान।ऐसा इसलिए क्योंकि निधि बारे ने भी इसे गलत करार दिया है इस बारे में दैनिक जागरण ने अर्थशास्‍त्री राधिका पांडे से बात की।

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आपको बता दें कि कर्ज माफी को विभिन्‍न राजनीतिक दल चुनाव में अपनी जीत के लिए देखते आए हैं और इसका इस्‍तेमाल करते रहे हैं। लेकिन भारतीय रिजर्व बैंक की तरफ से कर्ज माफी पर तीखी टिप्‍पणी भी ही है। इसकी वजह है कि किसी भी राज्‍य में कर्ज माफ का सीधा असर उस राज्‍य की इकॉनमी और पूरे देश की इकॉनमी पर पड़ता है। लेकिन बावजूद इसके राजनीतिक पार्टियां इसको अपनी जीत के लिए तुरुप का पत्‍ता मानकर इस्‍तेमाल करने से बच नहीं रही हैं।

इस बातचीत में उन्‍होंने साफ कर दिया कि यह सिर्फ राजनीतिक फैसला है इसका किसानों और राज्‍य सरकार की अपनी अर्थव्‍यवस्‍था पर नकारात्‍मक प्रभाव पड़ेगा। उनका कहना था कि इस कर्जमाफी का बड़े किसानों पर कुछ हद तक हो सकता है, लेकिन छोटे किसानों पर इसका कोई असर नहीं होगा। ऐसा इसलिए है कि क्‍योंकि बड़े किसान जो कुछ हद तक कर्ज चुकाने की हैसियत रखते हैं और कर्ज ले भी पाते हैं वही इसका फायदा उठा सकेंगे। दूसरी तरफ राज्‍य की अर्थव्‍यवस्‍था पर यकीनन इसका नकारात्‍मक प्रभाव पड़ेगा।

उनके मुताबिक पिछले कुछ वर्ष के आंकड़े बताते हैं कि राज्‍यों के मुकाबले केंद्र का राजकोषीय घाटा ज्‍यादा रहता था। लेकिन जिस तेजी से राज्‍य सरकारों ने कर्ज माफी की घोषणा की है उससे अब राज्‍यों का राजकोषीय घाटा काफी बढ़ जाएगा। इसकी भरपाई के लिए राज्‍यों को केंद्र से या फिर दूसरे विकल्‍पों के माघ्‍यम से कर्ज लेना होगा और उसके दूसरे विकास कार्य कहीं न कहीं इसकी वजह से प्रभावित होंगे। बाहर से कर्ज लेने पर राज्‍य सरकारों को इसकी अदायगी के लिए ज्‍यादा ब्‍याज भी देना होगा। इसकी वजह ये है कि भारत की बॉण्‍ड मार्किट या डेब्‍ट मार्किट दूसरे देशों के राज्‍यों की तरह से डेवलेप नहीं हैं। यही वजह है कि यहां पर ब्‍याज की दर ज्‍यादा होती है।

राधिका का कहना था कि कर्ज माफ करने से किसानों की हालत सुधरनी होती तो यह काफी पहले हो चुकी होती, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। लिहाजा सरकार को चाहिए कि कर्ज माफ न करके किसानों की हालत सुधारने के लिए कुछ जरूरी उपाय किए जाएं। सरकार को चाहिए कि वह किसानों की उपज की खरीद और उसके रख-रखाव के साथ मार्किटिंग पर ध्‍यान दें, जिससे कीमत में स्थिरता बनी रहे। हाल के कुछ समय में किसानों की उपज की कीमत इस कदर नीचे गिरी है कि वह अपनी लागत भी नहीं निकाल पाए। इसकी वजह ये भी है कि मांग के मुकाबले सप्‍लाई काफी ज्‍यादा है।

दरअसल, किसानों के लिए केंद्र और राज्‍यों को साथ मिलकर काम करना होगा क्‍योंकि कृषि राज्‍य का विषय है और इसलिए केंद्र की तरफ से उठाए गए किसी भी कदम को यदि राज्‍य सरकार आगे नहीं बढ़ाती है तो उसका फायदा भी किसानों तक नहीं पहुंच पाता है। सरकारों को चाहिए कि किसानों के इंश्‍योरेंस, फार्म इश्‍योरेंस, एक्‍सटेंशन, एग्रीकल्‍चर मार्केटिंग, स्‍टोरेज की तरफ ध्‍यान दे जिससे किसानों की हालत में सुधार आ सके और कर्ज माफी की जरूरत ही न पड़े। कर्ज माफी से किसानों की हालत को सुधारा नहीं जा सकता है। आपको बता दें कि कर्जमाफी को पूरी तरह से राज्‍य ही वहन करता है। कर्जमाफी का सबसे बड़ा असर क्रेडित रेटिंग एजेंसी द्वारा दी गई रेटिंग पर पड़ता है। इस तरह की एजेंसी कभी भी भारत को बेहतर रेटिंग नहीं देती हैं। क्‍योंकि रेटिंग देते समय सिर्फ केंद्र सरकार को ही नहीं देखा जाता है, इसमें राज्‍यों का भी काफी योगदान होता है। लगातार राजकोषीय घाटा बढ़ने से इस तरह की एजेंसियां हमेशा से ही भारतीय अर्थव्‍यवस्‍था को शक की निगाह से देखेंगी। यहां पर ये भी बात ध्‍यान में देने वाली है कि बीते कुछ समय में कृषि पर लगातार निवेश कम होता गया है। 

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