सीताराम येचुरी फिर से बने माकपा के महासचिव
इस बात की संभावना पहले से ही जताई जा रही थी कि येचुरी ही फिर से पार्टी की कमान संभालेंगे।
हैदराबाद, प्रेट्र: सीताराम येचुरी फिर से माकपा के महासचिव बन गए हैं। पार्टी की 22वीं कांग्रेस में यह फैसला लिया गया। पिछले कई दिनों से इस बात को लेकर चर्चाओं का बाजार सरगर्म था कि इस पद पर कौन आसीन होता है, लेकिन आखिर में बाजी येचुरी के हाथ ही लगी। उनके मनोनयन को 95 सदस्यीय केंद्रीय समिति ने हरी झंडी दिखाई। 2015 में विशाखापत्तनम में हुई 21वीं कांग्रेस में वह प्रकाश करात को हटाकर महासचिव बने थे। 18 अप्रैल से शुरू हुई कांग्रेस में कई नेताओं के नामों पर विचार किया गया।
त्रिपुरा के पूर्व मुख्यमंत्री मानिक सरकार, पोलित ब्यूरो सदस्य बृंदा करात व पार्टी के सचिव बीवी राघावुलू के नामों पर भी विचार किया गया। हालांकि इस कांग्रेस में कुछ ऐसा हुआ जो पहले कभी नहीं देखा गया। राजनीतिक दिशा तय करने के नाम पर सीताराम येचुरी व प्रकाश करात के खेमों में इतनी ज्यादा सिर फुटौव्वल हो गई कि एक खेमे की तरफ से इस पर गुप्त मतदान कराने की मांग की गई। येचुरी का खेमा जहां कांग्रेस के साथ तालमेल को अच्छा मानता है, वहीं करात खेमा इसे राजनीतिक बेवकूफी करार देता है।
उसका मानना है कि मौजूदा राजनीतिक हालात में माकपा को अपने सारे विकल्प खोलकर रखने चाहिए। लेकिन जिस तरह से राजनीतिक दिशा तय करने को गुप्त मतदान कराने की मांग उठी, उससे शीर्ष नेतृत्व तक बेचैन हो गया था। लेकिन आखिर में इस समस्या का समाधान राजनीतिक प्रस्ताव में संशोधन करके निकाला गया। पोलित ब्यूरो ने जो पथ चुना वह येचुरी खेमे के लिए एक जीत मानी जा रही है। महासचिव बनने के बाद वह फिर से मजबूती से