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लखनऊ गेस्ट हाउस कांड पर बोले शिवपालः मायावती ने लगाया था यौन शोषण का आरोप

लखनऊ गेस्ट हाउस कांड पर शिवपाल सिंह यादव ने कहा कि बहन जी ने मुझ पर यौन शोषण का आरोप लगाया था।

By Vikas JangraEdited By: Published: Thu, 17 Jan 2019 08:28 AM (IST)Updated: Thu, 17 Jan 2019 08:33 AM (IST)
लखनऊ गेस्ट हाउस कांड पर बोले शिवपालः मायावती ने लगाया था यौन शोषण का आरोप
लखनऊ गेस्ट हाउस कांड पर बोले शिवपालः मायावती ने लगाया था यौन शोषण का आरोप

नई दिल्ली, एजेंसी। 1995 में हुए 1995 लखनऊ गेस्ट हाउस कांड पर शिवपाल सिंह यादव ने कहा कि 'बहन जी ने मुझ पर यौन शोषण का आरोप लगाया था। मैंने कहा था कि मैं जांच के लिए तैयार हूं, मैं नार्को टेस्ट के लिए तैयार हूं, मेरी शर्त यह है कि नार्को टेस्ट बहन जी का भी होना चाहिए, मेरा भी होना चाहिए।' शिवपाल सिंह यादव ने ये बात चंदौली के सकलडीहा में बुधवार को जनसभा को संबोधित करते हुए कहीं। 

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दरअसल, मायावती और अखिलेश यादव इस बार लोकसभा चुनाव में एक साथ चुनावी मैदान में उतरेंगे। गठबंधन के औपचारिक ऐलान के दिन मायावती ने कहा था कि वे देशहित में लखनऊ गेस्ट हाउस कांड को भी परे रख रही हैं। हालांकि, मायावती ने उस दिन शिवपाल सिंह यादव पर निशाना साधना नहीं भूलीं। उन्होंने शिवपाल सिंह को भाजपा की बी-टीम बताया था।
Shivpal Singh

जानें क्या था लखनऊ गेस्ट हाउस कांड?
दरअसल, दो जून, 1995 को स्टेट गेस्ट हाउस में सत्ता की लड़ाई में सपा कार्यकर्ताओं और विधायकों ने मायावती से बदसलूकी की थी। वर्ष 1993 में सपा-बसपा गठबंधन की सरकार बनी तो मुलायम सिंह यादव मुख्यमंत्री बने लेकिन, सहयोगी दल होने की वजह से मायावती का भी खूब हस्तक्षेप था।

पहले भी मायावती ने मुलायम के खिलाफ कई बयान दिए थे लेकिन, मई के आखिरी हफ्ते में ही वह समर्थन वापसी के लिए सक्रिय हो गई। सत्ता छिन जाने की खबर मुलायम सिंह यादव तक पहुंची तो उनके समर्थकों का गुस्सा फूट पड़ा। दो जून, 1995 को मायावती गेस्ट हाउस में बसपा विधायकों और कार्यकर्ताओं के साथ बैठक कर रही थीं। इस बीच ढाई सौ से ज्यादा सपा कार्यकता और विधायक करीब चार बजे गेस्ट हाउस पहुंच गये। जातिवादी नारे और गाली गलौज से माहौल गूंज उठा।

कॉमन हाल में बैठे बसपा विधायकों और कार्यकर्ताओं ने मुख्य द्वार बंद कर दिया लेकिन सपा कार्यकर्ताओं ने उसे तोड़ दिया। बसपा विधायकों पर हमलावर हो गए। कुछ विधायकों को बसपा के ही राजबहादुर के नेतृत्व में बीएसपी विद्रोही गुट में ले जाकर नये दल का भी एलान हो गया। पर यह सब कोशिश कामयाब नहीं हुई। तब भाजपा विधायक ब्रह्मदत्त द्विवेदी और लालजी टंडन समेत कई नेताओं ने मायावती की मदद की।

मायावती ने तत्कालीन राज्यपाल मोतीलाल वोरा से मिलकर भाजपा, कांग्रेस और जनता दल के समर्थन से सरकार बनाने का दावा भी पेश कर दिया था। कांशीराम बीमार थे और वह दिल्ली के एक अस्पताल में भर्ती थे। उन्होंने मायावती को मुख्यमंत्री बनाने के लिए दूसरे दलों से बातचीत कर ली थी। केंद्र सरकार के हस्तक्षेप और भाजपा नेताओं के सहयोग से तीन जून, 1995 को मायावती ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। 


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