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महाराष्ट्रः भाजपा गठबंधन पर शिवसेना का बड़ा बयान, खुद को बताया 'बड़ा भाई'

BJP-Shiv Sena alliance in Maharashtra: बैठक के बाद शिवसेना के वरिष्ठ नेता संजय राउत ने कहा कि महाराष्ट्र में हम बड़े भाई थे, बड़े भाई हैं, और बड़े भाई ही रहेंगे...।

By Sanjeev TiwariEdited By: Published: Mon, 28 Jan 2019 03:02 PM (IST)Updated: Tue, 29 Jan 2019 07:16 AM (IST)
महाराष्ट्रः भाजपा गठबंधन पर शिवसेना का बड़ा बयान, खुद को बताया 'बड़ा भाई'
महाराष्ट्रः भाजपा गठबंधन पर शिवसेना का बड़ा बयान, खुद को बताया 'बड़ा भाई'

मुंबई (एएनआइ)। शिवसेना अध्यक्ष उद्धव ठाकरे ने आज अपने निवास मातोश्री पर पार्टी के नेताओं और सांसदों की बैठक बुलाई। बैठक में भाजपा के साथ गठबंधन को लेकर चर्चा हुई। बैठक के बाद शिवसेना के वरिष्ठ नेता संजय राउत ने कहा कि महाराष्ट्र में हम बड़े भाई थे, बड़े भाई हैं, और बड़े भाई ही रहेंगे...।

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उन्होंने कहा कि बैठक में पार्टी प्रमुख उद्धव ठाकरे ने कहा कि 10 फीसद आरक्षण जिन्हें दिया जा रहा है, उन्हें सरकार ने 'गरीब' बताया है, इसलिए आठ लाख रुपये तक की आय वाले लोगों से टैक्स नहीं लिया जाना चाहिए।

शिवसेना ने किया था अकेले चुनाव लड़ने का एलान
पिछलें साल शिवसेना के परांपरागत दशहरा रैली को संबोधित करते हुए उद्धव ठाकरे ने कहा था की वह अब कोई भी चुनाव भाजपा के साथ मिलकर नहीं लडेंगे । हालांकि इसके बाद भी भाजपा के कई नेताओं ने इस बात पर बयान दिये की आगामी चुनाव में शिवसेना और भाजपा साथ चुनाव लड़ेगी। गठबंधन के मामले में शिवसेना ने दशहरा रैली के बाद अभी तक कोई भी बयान नहीं दिया है , लेकिन मौका मिलने पर शिवसेना ने भाजपा को आड़े हाथों लेने का एक भी मौका नहीं छोड़ा है।

भाजपा असहाय नहीं
इस बारे में प्रतिक्रिया देते हुए महाराष्‍ट्र के सीएम देवेंद्र फणनवीस ने कहा कि भाजपा असहाय नहीं है। हां, हम गठबंधन चाहते हैं लेकिन देश के विकास के कीमत पर नहीं। लंबे समय तक देश को लूटने वाले लोगों के हाथों में शक्ति नहीं जानी चाहिए। हम गठबंधन की कोशिश कर रहे हैं लेकिन हम असहाय नहीं हैं। भाजपा ऐसी पार्टी है जो दो से 200 तक पहुंची है।  

अमित शाह ने कार्यकर्ताओ को दी तैयार रहने की सलाह
कुछ दिन पहले ही महाराष्ट्र में भाजपा कार्यकर्ता की बैठक में बोलते हुए भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने पार्टी कार्यकर्ताओं से कहा कि अगर गठबंधन होता है तो पार्टी अपने सहयोगी दलों की जीत सुनिश्चित करेगी और अगर ऐसा नहीं होता है तो पार्टी आगामी लोकसभा चुनावों में अपने पूर्व सहयोगियों को करारी शिकस्त देगी। जिसके बाद से ही शिवसेना और भाजपा में दूरी और बढ़ गई है।


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