थरूर का भाजपा पर पलटवार, कहा- आइटी मंत्रालय से स्पष्टीकरण मांगना स्थायी समिति का अधिकार
शशि थरूर ने कहा कि सूचना और प्रौद्योगिकी (आइटी) पर संसदीय समिति ने मैनीपुलेटेड मीडिया के मुद्दे पर आइटी मंत्रालय को पत्र लिखकर उसके और ट्विटर के बीच हुए संवाद की जानकारी मांगी थी जिस पर उसे विस्तृत जवाब मिल गया है।
नई दिल्ली, पीटीआइ। मौजूदा टूलकिट विवाद के बीच कांग्रेस नेता शशि थरूर ने बुधवार को कहा कि सूचना और प्रौद्योगिकी (आइटी) पर संसदीय समिति ने मैनीपुलेटेड मीडिया के मुद्दे पर आइटी मंत्रालय को पत्र लिखकर उसके और ट्विटर के बीच हुए संवाद की जानकारी मांगी थी जिस पर उसे विस्तृत जवाब मिल गया है।
भाजपा सांसद निशिकांत दुबे पर पलटवार करते हुए थरूर ने कहा कि इलेक्ट्रानिक्स मंत्रालय से स्पष्टीकरण मांगना समिति के अधिकार में है। उन्होंने कहा कि इलेक्ट्रानिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय मैनीपुलटेड मीडिया के मुद्दे पर ट्विटर के संपर्क में था।
उल्लेखनीय है टूलकिट प्रकरण को लेकर दुबे ने थरूर पर केंद्र सरकार और देश की छवि खराब करने के लिए पैनल के अध्यक्ष के रूप में अपने पद का दुरुपयोग करने का आरोप लगाया था, स्थायी समिति के सदस्य और भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला को लिखे एक पत्र में थरूर को सांसद के तौर पर अयोग्य घोषित करने की मांग भी की थी।
थरूर ने ट्विटर पर कहा कि आइटी मामलों की संसदीय समिति के एक सदस्य ने मैनीपुलेटेड मीडिया के संदर्भ में हाल ही में सार्वजनिक रूप से कई आरोप लगाए हैं। इस संबंध में यह स्पष्ट किया जाता है कि वर्तमान परिस्थितियों में जब समिति की बैठकें संभव नहीं हो सकतीं तब जरूरत पड़ने पर यह मंत्रालयों के साथ लिखित रूप से संवाद करती है।
थरूर ने एक के बाद एक कई ट्वीट में कहा कि मैनिपुलेटेड मीडिया के मुद्दे पर आइटी मंत्रालय के ट्विटर के साथ संपर्क के विषय पर, समिति सचिवालय ने मंत्रालय से ईमेल के जरिये जवाब मांगा जिस पर 26 मई को एक विस्तृत और सारगर्भित उत्तर मिला। इसे सभी सदस्यों को उनकी जानकारी के लिए प्रसारित किया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि समिति पहले से ही इस मुद्दे से संबंधित नागरिकों के अधिकारों की सुरक्षा और इंटरनेट/आनलाइन मीडिया प्लेटफार्म के दुरुपयोग की रोकथाम विषय की छानबीन कर रही है। थरूर ने कहा कि इस मामले में संबंधित मंत्रालय से जवाब मांगना समिति के अधिकार क्षेत्र में है।
दुबे पर तंज कसते हुए उन्होंने कहा, स्थापित परंपरा के अनुसार संसदीय समिति के कामकाज से संबंधित मुद्दों को उठाने वाले सदस्यों को सलाह दी जाती है कि वे मीडिया में जाकर अपनी चिंताएं प्रकट करने के बजाय समिति के अध्यक्ष या समिति के सचिवालय से सीधे संवाद करें।