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शिवसेना नेता ने 'महा-आरती' की तुलना 'अजान' से की, बढ़ा विवाद, भाजपा ने जताई हैरानी, समर्थन में राकांपा

महाराष्ट्र में सत्तारूढ़ महाविकास अघाड़ी और विपक्षी भाजपा के बीच सोमवार को एकबार फिर विवाद की स्थिति बन गई। शिवसेना नेता पांडुरंग सपकाल ने अजान और महा-आरती की तुलना कर डाली है जिससे विवाद पैदा हो गया है।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Tue, 01 Dec 2020 06:02 AM (IST)Updated: Tue, 01 Dec 2020 06:02 AM (IST)
शिवसेना नेता ने 'महा-आरती' की तुलना 'अजान' से की, बढ़ा विवाद, भाजपा ने जताई हैरानी, समर्थन में राकांपा
शिवसेना नेता पांडुरंग सपकाल ने अजान और महा-आरती की तुलना कर डाली है जिससे विवाद पैदा हो गया है।

मुंबई, आइएएनएस। महाराष्ट्र में सत्तारूढ़ महाविकास अघाड़ी और विपक्षी भाजपा के बीच सोमवार को एकबार फिर तकरार पैदा हो गई। इस बार मामला 'अजान' और 'महा-आरती' की तुलना का था। शिवसेना के दक्षिण मुंबई विभाग प्रमुख पांडुरंग सपकाल ने कहा कि अजान सिर्फ पांच मिनट की होती है और यह महा-आरती जितनी ही महत्वपूर्ण है, जो शांति और प्रेम का प्रतीक है। उन्होंने अजान की खासियत का बखान करते हुए भगवद् गीता पाठ प्रतिस्पर्धा की तर्ज पर अजान की प्रतिस्पर्धा कराने की बात कही है।

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मीडिया से कहा कि मैंने मुस्लिम बच्चों को प्रोत्साहित करने के लिए मुंबई के एक एनजीओ- माई फाउंडेशन- को अजान प्रतिस्पर्धा कराने पर विचार करने का सुझाव दिया है। उन्होंने कहा, 'मैं मरीन लाइन पर बड़ा कब्रिस्तान के पास रहता हूं.. रोज अजान सुनता हूं.. यह बड़ा ही अद्भुत और मनमोहक होता है। जो भी एकबार सुनता है, दूसरी बार के लिए उत्सुकता से इंतजार करता है। इसी से अजान प्रतिस्पर्धा का विचार आया।'

भाजपा नेता अतुल भतकलकर ने इस पर हैरानी जताते हुए कहा है कि बालासाहब ठाकरे द्वारा स्थापित जिस पार्टी को सड़क पर नमाज पढ़े जाने पर ऐतराज था, उसे अजान से ऐसा प्रेम कैसे हो गया। यह वही शिवसेना है, जो कहती रही है कि कांग्रेस को वोट देना आतंक और कसाब को वोट देने जैसा है। यह सवाल अजान के विरोध का नहीं, बल्कि धर्म पर राजनीति का है।

दूसरी ओर, महाविकास अघाड़ी के घटक दल राकांपा और कांग्रेस ने पांडुरंग की बातों का समर्थन किया है। राकांपा प्रवक्ता नवाब मलिक ने कहा कि भगवद् गीता के लिए तो ऐसी प्रतिस्पर्धा महाराष्ट्र में कई जगहों पर पहले से होती रही है और उसमें मुस्लिम लड़कियां भी पुरस्कार जीतती रही हैं। फिर अजान की प्रतिस्पर्धा में क्या गलत है? कांग्रेस प्रवक्ता सचिन सांवत ने भी कहा है कि जिनके दिलों में नफरत है, वे कभी भी इंसान और भगवान के बीच संवाद को समझ नहीं सकते। यह एक अच्छी पहल है तथा इसे प्रोत्साहित किया जाना चाहिए।


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