मोदी-ट्रंप की मजबूत केमिस्ट्री देख पाक पीएम इमरान खान की कूटनीति धरी रह गई
पाकिस्तान के पीएम इमरान खान ने कहा कि पाक सेना और अल कायदा के बीच हमेशा एक संबंध रहा है। पाकिस्तान सेना आतंकियों को प्रशिक्षित करती रही है।
जयप्रकाश रंजन, नई दिल्ली। क्या पीएम नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बीच मजबूत होती केमिस्ट्री को देख कर पाकिस्तान के पीएम इमरान खान की कूटनीति धरी की धरी रह गई है? अगर ऐसा नहीं है तो फिर वह एक अंतरराष्ट्रीय मंच पर पाकिस्तान की सदियों के आधिकारिक रूख से इतर जा कर कैसे बयानबाजी कर रहे हैं।
इमरान ने बालाकोट में भारतीय वायुसेना की बमबारी की बात स्वीकारी
न्यूयार्क में एक अंतरराष्ट्रीय थिंक टैंक के साथ परिचर्चा में इमरान ने सीमा पार आतंकवाद और बालाकोट पर भारतीय वायु सेना की कार्रवाई पर परोक्ष तौर पर भारत के रूख का ही समर्थन कर दिया। यही नहीं अफगानिस्तान-पाकिस्तान सीमा को लेकर भी उन्होंने उलटबयानी कर दी। कुछ जानकार इसे पाकिस्तान सेना और पीएम इमरान खान के बीच तनाव बढ़ने से जोड़ कर देख रहे हैं तो कुछ का मानना है कि एफएटीएफ के प्रतिबंध से बचने के लिए वह इस तरह का बयान दे रहे हैं।
अलग सुर में बोले इमरान
न्यूयार्क में राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से मुलाकात के बाद पीएम खान ने अमेरिका के एक बड़े थिंक टैंक काउंसिल ऑन फॉरेन रिलेशंस (सीएफआर) के साथ परिचर्चा में शामिल हुआ। पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने इसे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कश्मीर मुद्दे को उठाने के लिए जरुरी बताया था। लेकिन वहां एक सवाल के जवाब में खान ने यह स्वीकार कर लिया कि पाकिस्तान की सेना और खुफिया एजेंसी आइएसआइ अल कायदा और व अन्य आतंकी संगठनों को अफगानिस्तान में लड़ने के लिए प्रशिक्षित करती रही है।
इमरान ने कहा- पाक सेना आतंकियों को देती है प्रशिक्षण
उन्होंने यह भी कहा कि पाक सेना और अल कायदा के बीच हमेशा एक संबंध रहा है क्योंकि उन्हें प्रशिक्षण दिया जाता था। एक तरह से देखा जाए तो अंतरराष्ट्रीय मंच पर पाकिस्तान के शीर्षस्थ नेता की तरफ से पहली बार यह स्वीकार किया गया है कि उनकी सेना आतंकियों को प्रशिक्षित करती रही है। भारत इस बात को हमेशा से अंतरराष्ट्रीय मंचों पर उठाता रहा है। पीएम नरेंद्र मोदी ने ह्यूस्टन में 'हाउडी मोदी' कार्यक्रम में भी 9 सितंबर, 2001 को न्यूयार्क ट्विन टावर पर हुए हमले और 26 सितंबर, 2008 के मुंबई हमले में पाकिस्तान के हाथ होने की तरफ इशारा किया था।
इमरान खान इतने पर ही नहीं रुके। सीएफआर के प्रेसिडेंट रिचर्ड एन हास के साथ आगे बातचीत में उन्होंने यह भी कहा कि पुलवामा हमले के बाद हमने कहा कि आप हमें बताओ कि अगर पाकिस्तान उसमें शामिल हो तो हम कार्रवाई करेंगे, लेकिन उनके विमान आये और हम पर बमवारी की।
अभी तक पाकिस्तान का आधिकारिक बयान यह रहा है कि भारतीय वायु सेना ने उनके क्षेत्र में कुछ गिराया और फिर भाग गये। यह पहली बार है कि पाक पीएम मान रहे हैं कि भारतीय वायु सेना के विमानों से बमबारी की गई।
इसी तरह से अफगानिस्तान-पाकिस्तान सीमा डुरंड लाइन पर भी उन्होंने यह स्वीकार किया कि यह ब्रिटिश सरकार की तरफ से खींची गई अंतरराष्ट्रीय सीमा रेखा है। यह भी पाकिस्तान के आधिकारिक रूख से उलट है क्योंकि वहां की सरकार अफगान से जुड़े अंतरराष्ट्रीय सीमा को अंतिम नहीं मानती है।
एक अन्य थिंक टैंक यूएस इनिशिएटिव के निदेशक ध्रुव जयशंकर का कहना है कि हो सकता है कि पीएम इमरान खान सब कुछ सच-सच बताना चाहते हो, लेकिन यह स्पष्ट है कि पााकिस्तान वर्षो से आतंकवाद को बढ़ावा देता रहा है। अंतरराष्ट्रीय भौगोलिक सीमा को लेकर उनका दावा गलत है और उनकी सेना ने अभी तक कोई जीत हासिल नहीं की है।
इमरान के बयान पर भारत की कोई प्रतिक्रिया नहीं
भारत ने आधिकारिक तौर पर इमरान खान के बयान पर कोई प्रतिक्रिया नहीं जताई है, लेकिन माना जा रहा है कि इससे संयुक्त राष्ट्र में कश्मीर मुद्दे को उठाने में जुटे पाकिस्तान के मंसूबों पर पानी फेरने में मदद मिलेगी।