मोदी-इमरान के भाषण के पहले बड़े हमले की फिराक में आतंकी, सुरक्षा एजेंसियां हुईं अलर्ट
Security Agencies ने बताया कि पांच अगस्त के बाद लगभग 60 आतंकियों के घाटी में घुसने की खबर है जिनमें कई आत्मघाती दस्ते के सदस्य भी हैं।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान के शुक्रवार के भाषण के पहले आतंकी हमले की आशंका को देखते हुए पूरे देश और खासकर कश्मीर में सुरक्षा एजेंसियों को सतर्क कर दिया गया है। घाटी में सुरक्षा तैयारियों पर नजर रखने के लिए खुद राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने कश्मीर में डेरा डाल दिया है। इसके पहले अजीत डोभाल पांच अगस्त को अनुच्छेद 370 और 35ए हटाये जाने के बाद लगातार 11 दिनों तक कश्मीर घाटी में रहे थे।
सुरक्षा एजेंसी से जुड़े एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि कश्मीर मुद्दे को अंतरराष्ट्रीय बनाने की पाकिस्तान की हर कोशिश अभी तक विफल रही है। पश्चिमी देश तो दूर खाड़ी के देशों तक का उसे साथ नहीं मिला। अब पाकिस्तान के सामने संयुक्त राष्ट्र महाधिवेशन के अंतराष्ट्रीय मंच पर इस मुद्दे को उठाने का अंतिम अवसर बचा है।
बड़े हमले का फरमान
सीमा पार से मिल रही खुफिया रिपोर्ट के मुताबिक पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी ISI ने जैश-ए-मुहम्मद, लश्कर-ए-तैयबा और हिजबुल मुजाहिदीन सभी आतंकी संगठनों के आकाओं को संयुक्त राष्ट्र में अभिभाषण से पहले घाटी में बड़े हमले का फरमान सुनाया है। जाहिर है सुरक्षा एजेंसियां इसे रोकने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ रही हैं।
वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि घाटी में आतंकियों के घुसपैठ के लिए आइएसआइ हरसंभव कोशिश कर रहा है। सीमा पर फायरिंग और समुद्री रास्ते के साथ-साथ श्रीलंका, नेपाल, मालदीव और बांग्लादेश के रास्ते भी आतंकियों को भेजने की कोशिश की सूचना है।
200 से ज्यादा आतंकी सक्रिय
उन्होंने कहा कि पांच अगस्त के बाद लगभग 60 आतंकियों के घाटी में घुसने की खबर है, जिनमें कई आत्मघाती दस्ते के सदस्य भी हैं। लेकिन वे किस रास्ते से पहुंचे इस बारे में साफ तौर पर कुछ नहीं कहा जा सकता है। यही नहीं, घाटी के भीतर पहले से लगभग 273 आतंकी सक्रिय हैं। ऐसे में सुरक्षा में जरा भी चूक की गुंजाइश नहीं है।
सुरक्षा एजेंसियों का मानना है कि यदि संयुक्त राष्ट्र के अभिभाषण के बाद इमरान खान कश्मीर को अंतरराष्ट्रीय मुद्दा बनाने में विफल रहे, तो अभी तक उम्मीद बांधे अलगाववादियों के हौसले पस्त होने लगेंगे। इसके बाद घाटी में हालात को तेजी से सामान्य बनाने में मदद मिलेगी।