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मध्य प्रदेश में कर्ज माफी की प्रक्रिया के साथ ही खुलती जा रही हैं घोटाले की भी परत

मध्‍य प्रदेश में कांग्रेस ने किसानों के कर्ज माफी की शुरुआत क्‍या की वहां पर परत दर परत एक नया घोटाला सामने आ रहा है।

By Kamal VermaEdited By: Published: Thu, 17 Jan 2019 01:40 PM (IST)Updated: Thu, 17 Jan 2019 07:21 PM (IST)
मध्य प्रदेश में कर्ज माफी की प्रक्रिया के साथ ही खुलती जा रही हैं घोटाले की भी परत
मध्य प्रदेश में कर्ज माफी की प्रक्रिया के साथ ही खुलती जा रही हैं घोटाले की भी परत

ग्वालियर [नई दुनिया]। मध्य प्रदेश की नई सरकार ने कुछ समय पहले ही किसानों के ऋण माफी का बड़ा फैसला लिया था। इसको लेकर कमलनाथ सरकार विपक्षियों के निशाने पर भी आई थी। लेकिन ग्वालियर जिले में किसान ऋण माफी की प्रक्रिया शुरू होते ही 76 कृषि साख सहकारी समितियों में हुए घोटाले की परतें खुलने लगी हैं। समितियों की ओर से पंचायत पर ऋणदाताओं की सूची चस्पा की तो ऐसे किसान सामने आए, जिन्होंने ऋण लिया ही नहीं, लेकिन वह कर्जदार हैं। किसानों ने जिला सहकारी केंद्रीय बैंक की शाखा व समितियों पर पहुंच कर आपित्त दर्ज कराई है। किसानों का कहना है कि जब बैंक से कर्ज लिया ही नहीं तो माफी कैसी? आपको यहां पर ये भी बता दें कि कांग्रेस ने विधानसभा चुनाव के दौरान यहां पर किसानों के ऋण माफ करने का वादा किया था, जिसको सरकार बनने के बाद कुछ समय बाद पूरा भी कर दिया।  

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नहीं मिल रहा रिकॉर्ड
उधर, ऋण प्रदान करने का रिकॉर्ड समितियों को नहीं मिल रहा है। जिला सहकारी केंद्रीय बैंक की चीनौर शाखा से संबद्ध उर्वा सोसायटी का घोटाला सबसे ज्यादा चर्चित रहा। 1143 किसानों के नाम फर्जी ऋण वितरण कर बैंक को पांच करोड़ 50 लाख की चपत लगाई गई है। जब पूर्व विधायक बृजेंद्र तिवारी ने एक-एक किसान की जांच कराई तो 300 किसानों के पते ही नहीं मिले। शेष किसानों के पास पहुंचे तो उन्होंने बताया कि ऋण लिया ही नहीं। समिति पर कर्जदारों की सूची चस्पा हुई तो बड़ी संख्या में किसान आपत्ति दर्ज कराने आने लगे हैं। उनसे लाल फॉर्म भरवा कर आपत्ति दर्ज कराई जा रही है। बैंक को भी नहीं पता कि ऐसे कितने मामले हैं, जिन्होंने ऋण लिया ही नहीं। 

ऐसे दिया जाता है ऋण 
जिला सहकारी केंद्रीय बैंक की ओर से किसानों को फसल के लिए ऋण साख सहकारी समितियों के माध्यम से दिया जाता है। पिछले दस साल में बिना कागजी कार्रवाई किए 120 करोड़ का फर्जी ऋण वितरण किया गया। वर्ष 2010 में ऋण वितरण घोटाला सामने आया था, लेकिन तत्कालीन भाजपा सरकार में अच्छी पकड़ होने की वजह से आरोपी बचते रहे। चुनाव से पहले पूर्व विधायक बृजेंद्र तिवारी ने सहकारी बैंक में हुए घोटाले को उठाया और किसान आंदोलन भी किया। प्रशासन ने घोटालेबाजों के खिलाफ कार्रवाई का आश्वासन भी दिया, पर कार्रवाई नहीं की। उनका यहां तक कहना है कि बैंक से किसानों की सूची मिल गई है। हमारे आंदोलन से जुड़े किसानों को सूची दी जा रही है। अपने स्तर पर जांच करा रहे हैं। जब तक घोटालेबाजों से वसूली नहीं हो जाती है तब तक आंदोलन जारी रहेगा।

क्‍या कहते हैं अधिकारी 
जिला सहकारी बैंक के प्रभारी महाप्रबंधक मिलिंद सहस्त्रबुद्धे के मुताबिक बैंक में गबन करने वाली दो समितियों के खिलाफ एफआइआर करा दी है। सहकारिता से रिकॉर्ड मिलने के बाद दो एफआइआर कराई जाएंगी।
ग्वालियर के उपायुक्त सहकारिता अनुभा सूद के मुताबिक किसानों की जो आपत्तियां आ रही हैं, उनकी जांच की जाएगी। बैंक में आर्थिक गड़बड़ी करने वालों के खिलाफ कार्रवाई की प्रक्रिया चल रही है। अगर किसी किसान ने ऋण नहीं लिया है, उसका नाम सूची में है तो आपत्ति दर्ज कराए। 
जिला सहकारी बैंक के सेवानिवृत्त लेखपाल पंडित सतीश शर्मा का कहना है कि बैंक में हुए घोटाले की शिकायतें अपैक्स बैंक, सहकारिता विभाग में की थीं। जांच हो चुकी है। अब सिर्फ कार्रवाई करनी है। घोटाले के दोषी कर्मचारी किसान ऋण माफी के तहत राशि माफ कराना चाहते हैं।

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