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ग्रेजुएट और 75 साल से कम उम्र का व्यक्ति ही बने प्रत्याशी

भाजपा नेता अश्विनी उपाध्याय ने प्रधान न्यायाधीश जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ के सामने उपाध्याय ने यह अंतरिम याचिका दाखिल की है।

By Ravindra Pratap SingEdited By: Published: Wed, 06 Feb 2019 10:28 PM (IST)Updated: Wed, 06 Feb 2019 10:28 PM (IST)
ग्रेजुएट और 75 साल से कम उम्र का व्यक्ति ही बने प्रत्याशी
ग्रेजुएट और 75 साल से कम उम्र का व्यक्ति ही बने प्रत्याशी

नई दिल्ली, प्रेट्र। सुप्रीम कोर्ट से राजनीतिक दलों को यह निर्देश देने की मांग की गई है कि वो चुनाव में सिर्फ ग्रेजुएट और 75 साल से कम उम्र के व्यक्ति को ही प्रत्याशी बनाएं। भाजपा नेता अश्विनी उपाध्याय ने याचिका दायर कर यह मांग की है।

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प्रधान न्यायाधीश जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ के सामने उपाध्याय ने यह अंतरिम याचिका दाखिल की है। याचिका में निर्वाचित जनप्रतिनिधियों के खिलाफ आपराधिक मामलों की त्वरित सुनवाई के लिए विशेष अदालतों के गठन की मांग भी की गई है। विभिन्न राज्यों में 4,122 पूर्व और वर्तमान सांसदों और विधायकों के खिलाफ पिछले तीन दशकों से आपराधिक मामले लंबित हैं।

उपाध्याय ने याचिका में कहा है कि राजनीतिक दलों पर चुनाव में अनपढ़ प्रत्याशियों को उतारने से रोकने के लिए उचित प्रतिबंध लगाना जायज है। विधायकों और सांसदों को मिले विशेष अधिकारों और रियायतों को देखते हुए यह जरूरी भी है।

भाजपा नेता कहा कि सांसद और विधायक लोकतंत्र के लिए महत्वर्पूण जिम्मेदारियों का निर्वहन करते हैं। ऐसे में उनके पार्षदों और ग्राम प्रधानों से भी कम पढ़े लिखे होने का कोई कारण नहीं बनता।

उन्होंने कहा है कि जिस व्यक्ति पर कानून बनाने और संविधान में संशोधन करने का अधिकार होता है, अगर वह कानून की अच्छाइयों-बुराइयों को ही नहीं समझ पाएगा तो यह देश के लिए बहुत ही नुकसानदायक होगा।

याचिका में कहा गया है कि यह सही है कि कोई उच्च शिक्षा प्राप्त व्यक्ति भी सांसद या विधायक बनने लायक नहीं हो सकता है। लेकिन 21वीं सदी में बिना कॉलेज या यूनिवर्सिटी गए व्यक्ति का सांसद या विधायक बनाना भी उचित नहीं है। क्या हम चाहेंगे कि कोई अंगूठा छाप व्यक्ति हमारा जनप्रतिनिधि बने, जिसके पास अचानक पैदा हुए हालात को समझने या उससे निपटने की क्षमता ही न हो।

उपाध्याय ने सांसदों और विधायकों पर आपराधिक मामलों में सजा मिलने पर आजीवन प्रतिबंध लगाने की भी मांग की है। इससे पहले, एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए सर्वोच्च अदालत ने बिहार और केरल राज्य के हर जिले में ऐसे मामलों की सुनवाई के लिए विशेष कोर्ट गठित करने का निर्देश दिया था।


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