2002 गुजरात दंगा मामला : जाकिया जाफरी को सुप्रीम कोर्ट से मिली एक और तारीख
सुप्रीम कोर्ट ने जाकिया जाफरी मामले की सुनवाई जनवरी तक के लिए टाल दी है। गुजरात दंगा मामले में नरेंद्र मोदी को क्लीनचिट देने के फैसले के खिलाफ जाकिया ने याचिका लगाई है।
नई दिल्ली, जेएनएन। साल 2002 के गुजरात दंगों के एक मामले में सुप्रीम कोर्ट ने जाकिया जाफरी की याचिका पर सुनवाई जनवरी के तीसरे हफ्ते तक टाल दी है। ज्ञात हो कि गुजरात दंगों के तहत दंगाइयों ने स्थानीय गुलर्बग सोसाइटी में जमकर उत्पात मचाया था। इस हिंसा में कांग्रेस नेता और जाकिया जाफरी के पति एहसान जाफरी की हत्या कर दी गई थी। इस मामले में जाकिया जाफरी ने वर्तमान प्रधानमंत्री और तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को बरी किए जाने के फैसले को चुनौती दी है।
इससे पहले जाकिया जाफरी की यह अपील 19 नवंबर को सुनवाई के लिए आयी थी। उस वक्त इस याचिका को एक हफ्ते के लिए स्थगित कर दिया गया था। इसके बाद यह याचिका 26 नवंबर को न्यायमूर्ति एएम खानविल्कर और दीपक गुप्ता के सामने सुनवाई के लिए आयी थी। एक बार फिर इसे स्थगित कर दिया गया था।
बता दें कि एसआईटी ने अपनी क्लोजर रिपोर्ट में कई राजनीतिज्ञों और अधिकारियों को गुजरात दंगों के आरोप से बरी कर दिया था। इसके बाद 5 अक्टूबर 2017 को गुजरात हाईकोर्ट ने एसआईटी के इस फैसले को सही ठहराया था। जाकिया की याचिका में कहा गया है कि हाईकोर्ट ने मजिस्ट्रेट के ऑर्डर में दखल देने से इनकार कर दिया था। जबकि इस आरोपियों के खिलाफ की कई सबूत उपलब्ध थे।
वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी एसआईटी की तरफ से हाईकोर्ट में पेश हुए थे। उन्होंने दलील दी थी कि जाकिया जाफरी की याचिका सुनवाई के लिए योग्य नहीं है। बता दें कि साल 2012 में मेट्रोपोलिटन कोर्ट ने गोधरा में साबरमती एक्सप्रेस अग्निकांड के बाद हुई हिंसा में 58 लोगों को बरी कर दिया था, इस हिंसा में 69 लोगों की मौत हुई थी।