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प्रधानमंत्री मोदी के खिलाफ नामांकन रद करने की याचिका पर दो हफ्ते बाद होगी सुनवाई

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ नामांकन रद होने की तेज बहादुर की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने दो सप्ताह बाद सुनवाई का समय दिया है।

By Monika MinalEdited By: Published: Fri, 22 May 2020 03:29 PM (IST)Updated: Fri, 22 May 2020 03:29 PM (IST)
प्रधानमंत्री मोदी के खिलाफ नामांकन रद करने की याचिका पर दो हफ्ते बाद होगी सुनवाई
प्रधानमंत्री मोदी के खिलाफ नामांकन रद करने की याचिका पर दो हफ्ते बाद होगी सुनवाई

नई दिल्ली, प्रेट्र। सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने शुक्रवार को सीमा सुरक्षा बल  (BSF) जवान तेज बहादुर की याचिका पर सुनवाई को दो हफ्ते के लिए टाल दिया।   तेज बहादुर ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के उस फैसले को चुनौती दी है  जिसमें वाराणसी से महागठबंधन के उम्मीदवार के तौर पर उनका नामांकन रद हो गया था। चीफ जस्टिस  एस ए बोबडे, जस्टिस ए एस बोपन्ना और जस्टिस हृषिकेश राय की बेंच ने शुक्रवार को वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए सुनवाई की और कहा कि उनसे याचिकाकर्ता की ओर से सुनवाई को चार हफ्ते टालने का अनुरोध किया गया है। कोर्ट इस मामले की सुनवाई दो हफ्ते बाद करेगा। प्रधानमंत्री की ओर से वकील हरीश साल्वे और सत्यपाल जैन थे।  

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इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने इस याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा था कि हमें दखल देने का कोई आधार नहीं प्राप्त हुआ है। जनहित याचिका के तौर पर इसमें दखल देने का कोई आधार नहीं है। तेज बहादुर की ओर से वकील प्रशांत भूषण ने कहा कि वो चुनाव को चुनौती नही दे रहे हैं। उन्होंने कहा कि हमारा बस ये कहना है कि तेज बहादुर का नामांकन गलत तरीके से और गैरकानूनी तरीके से खारिज हुआ है।  

दरअसल, 6 दिसंबर 2019 को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के वाराणसी से लोकसभा चुनाव जीतने के खिलाफ दायर याचिका को खारिज कर दिया था। प्रधानमंत्री मोदी के चुनाव को चुनौती देने वाली याचिका BSF से बर्खास्त जवान तेज बहादुर तथा समाजवादी पार्टी के घोषित प्रत्याशी तेज बहादुर यादव ने दायर की थी। नामांकन से पहले तेज बहादुर यादव का पर्चा खारिज हो गया था।  

समाजवादी पार्टी की ओर से प्रत्याशी बनाए गए तेज बहादुर ने चुनाव अधिकारी पर आरोप लगाया था कि पीएम मोदी के दबाव में गलत तरीके से चुनाव अधिकारी ने उसका नामांकन रद किया था, जबकि गलत तथ्य देने व सही तथ्य छिपाने के आधार पर नामांकन कैंसिल किया गया था। याचिका पर 23 अक्तूबर को हाईकोर्ट ने फैसला सुरक्षित कर लिया था। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा था कि वह वाराणसी लोकसभा क्षेत्र के वोटर नहीं हैं। साथ ही नामांकन खारिज होने के बाद वह वाराणसी सीट से प्रत्याशी भी नहीं थे। लिहाजा निर्वाचन को वही व्यक्ति चुनौती दे सकता है जो कि वाराणसी लोकसभा क्षेत्र का वोटर या कैंडिडेट रहा हो। 


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