पाकिस्तान के कहने पर सऊदी अरब बुला सकता है कश्मीर पर ओआइसी की विशेष बैठक
कश्मीर पर ओआइसी पहले भी कई बार काफी तल्ख टिप्पणी करता रहा है इसके बावजूद ओआइसी के अधिकांश सदस्य देशों के साथ भारत के रिश्ते पहले से मजबूत हुए हैं।
जयप्रकाश रंजन, नई दिल्ली। सउदी अरब और पाकिस्तान के बीच भले ही कश्मीर पर इस्लामिक देशों के संगठन (ओआइसी) की विशेष बैठक बुलाने की सहमति बनी हो लेकिन इसकी वजह से भारत की सऊदी अरब या ओआइसी के अधिकांश दूसरे देशों के साथ रिश्तों पर फिलहाल कोई असर पड़ने की संभावना नहीं है। इसके पीछे वजह यह है कि भारत ओआइसी के सभी प्रमुख देशों के साथ लंबी रणनीतिक साझेदारी की नींव रख चुका है। साथ ही ओआइसी की विश्व पटल पर बेहद कमजोर होती साख भी एक वजह है कि भारत प्रतिक्रिया जताने के बजाये शांत है। वैसे पाकिस्तान की तरफ से प्रस्तावित यह बैठक कब होगी, कहां होगी, इसकी भी स्थिति अभी तक स्पष्ट नहीं है।
कुरैशी ने सउदी अरब के विदेश मंत्री के साथ कश्मीर, सीएए व एनआरसी का मुद्दा उठाया
सउदी अरब के विदेश मंत्री प्रिंस फैजल बिन फरहान अल सउद पिछले शुक्रवार इस्लामाबाद पहुंचे जहां उनकी विदेश मंत्री शाह मेहमूद कुरैशी व पीएम इमरान खान से मुलाकात हुई। मुलाकात के बाद पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय की तरफ से जारी प्रेस विज्ञप्ति में बताया गया कि कुरैशी ने भारत के कश्मीर, सीएए व एनआरसी का मुद्दा उठाया। सउदी अरब व पाकिस्तान के विदेश मंत्री के बीच हुई बातचीत में कश्मीर को लेकर ओआइसी की सक्रिय भूमिका पर चर्चा की गई है।
पाक में कश्मीर व एनआरसी पर एक विशेष बैठक
इस बयान के बाद ही भारत व पाकिस्तान के मीडिया में यह खबरें आई की कश्मीर पर एक विशेष बैठक बुलाई गई है। माना जा रहा है कि पाकिस्तान के कहने पर सऊदी अरब ने इस्लामिक देशों के संगठन (ओआइसी) की एक विशेष बैठक कश्मीर व एनआरसी पर बुलाने की बात फिलहाल मान ली है।
कश्मीर पर ओआइसी की विशेष बैठक
दरअसल, सऊदी अरब के कहने पर पाकिस्तान पीएम खान ने मलयेशिया व तुर्की की अगुवाई में इस्लामिक देशों की एक दूसरी बैठक में हिस्सा नहीं लिया था। इसके एवज में ही पाकिस्तान सरकार ने कश्मीर पर ओआइसी की विशेष बैठक बुलाने की मांग रखी थी।
पहले भी कश्मीर पर तल्ख टिप्पणी करती रही है ओआइसी
वैसे कश्मीर पर ओआइसी पहले भी कई बार काफी तल्ख टिप्पणी करता रहा है, इसके बावजूद ओआइसी के अधिकांश सदस्य देशों के साथ भारत के रिश्ते पहले से मजबूत हुए हैं। कई देश भारत को इस बारे में आश्वस्त करते रहे हैं कि ओआइसी का बयान उनके द्विपक्षीय रिश्तों से अलग है। पिछले वर्ष पाकिस्तान के गंभीर ऐतराज के बावजूद ओआइसी की बैठक में भारत को विशेष अतिथि के तौर पर बुलाया गया था और पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने उसमें हिस्सा लिया था।
सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात ने भारत के फैसले पर नहीं की नकारात्मक टिप्पणी
पीएम नरेंद्र मोदी ने स्वयं सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात जैसे देशों के साथ रिश्तों को मजबूत बनाने पर खास ध्यान दिया है। उक्त दोनों देशों ने अभी तक कश्मीर से धारा 370 हटाने के भारत के फैसले पर कोई नकारात्मक टिप्पणी नहीं की है। 30 अक्टूबर, 2019 को जब पीएम मोदी रियाद की यात्रा पर थे दब दोनो देशों के बीच तीन सुरक्षा समझौते हुए जिसमें एक रणनीतिक साझेदारी परिषद के गठन को लेकर था। इस तरह का परिषद सऊदी अरब ने विश्व के आठ देशों के साथ करने का फैसला किया है और इसमें पाकिस्तान नहीं है।
भारत आइओसी के देशों का सबसे बड़ा ऊर्जा खरीददार देश
दुनिया में जब साफ व स्वच्छ ईंधन की मांग बढ़ रही है तो भारत सऊदी, यूएआई, कुवैत, ओमान, बहरीन, नाइजीरिया जैसे आइओसी के देशों का सबसे बड़ा ऊर्जा खरीददार देश है। इन देशों में 70 लाख भारतीय काम करते हैं और कोई भी दूसरा मुल्क इतने बड़े प्रशिक्षित कामगार उपलब्ध नहीं करा सकता।
अंतरराष्ट्रीय संबंधों में ओआइसी की कोई खास अहमियत नहीं
ऐसे में भारतीय विदेश मंत्रालय सऊदी अरब के साथ अपने रिश्तों को लेकर आश्वस्त है। देश के प्रमुख रणनीतिक व कूटनीतिक विशेषज्ञ ब्रह्मा चेलानी इसे खास तवज्जो नहीं देते हुए कहते हैं कि यह सऊदी अरब की तरफ से पाकिस्तान को नियंत्रण में रखने का एक संकेत है। बैठक को होने में महीनों लग जाएंगे। वैसे भी ओआइसी पहले भी कई बार कश्मीर पर बहस कर चुका है। अंतरराष्ट्रीय संबंधों में ओआइसी की कोई खास अहमियत नहीं है।