संदीप दीक्षित बोले, कांग्रेस में असमंजस की स्थिति, पूर्णकालिक अध्यक्ष जरूरी, नहीं तो हो जाएगी देर
कांग्रेस नेता संदीप दीक्षित ने कहा है कि मौजूदा वक्त कांग्रेस के पूर्णकालिक अध्यक्ष चुने जाने के लिए सबसे माकूल है। सलेक्शन या इलेक्शन से अध्यक्ष की नियुक्ति की जा सकती है।
नई दिल्ली, पीटीआइ। नई दिल्ली, पीटीआइ। कांग्रेस नेता संदीप दीक्षित का कहना है कि पार्टी में असमंजस की स्थिति पैदा हो गई है। अगर इस समय पार्टी को पूर्णकालिक अध्यक्ष नहीं मिलता है तो बहुत देर हो जाएगी। उन्होंने कहा कि कांग्रेस कार्यसमिति (सीडब्ल्यूसी) को प्राथमिकता के आधार पर पहले ही पार्टी नेतृत्व के मसले का समाधान कर लेना चाहिए था। पीटीआइ के साथ विशेष बातचीत में दीक्षित ने कहा कि कांग्रेस में असमंजस की भवना है और यह महसूस किया जा रहा है कि पार्टी को आगे ले जाने के लिए उन्हें अंतरिम अध्यक्ष के साथ ही अपना काम करना होगा।
पूर्णकालिक अध्यक्ष की जरूरत
संदीप दीक्षित ने कहा कि वह किसी व्यक्ति विशेष से बंधे हुए नहीं है। उनके लिए यह मायने नहीं रखता कि पार्टी का अध्यक्ष कौन हो, उसका चुनाव कैसे हो। राहुल गांधी हों या कोई और किसी को भी 'चयन या मनोनयन' के जरिए पार्टी अध्यक्ष नियुक्त किया जा सकता है। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि इस समय पार्टी को एक पूर्णकालिक अध्यक्ष की सख्त जरूरत है।
बेहद अहम है यह बयान
दीक्षित का यह बयान इस लिहाज से अहम है क्योंकि कांग्रेस के अंतरिम अध्यक्ष के रूप में सोनिया गांधी का कार्यकाल अगले महीने के शुरू में खत्म हो रहा है और पार्टी अगले अध्यक्ष के चयन को लेकर अभी भी जूझ रही है। उन्होंने कहा कि सोनिया गांधी अध्यक्ष के तौर पर बहुत ही योग्य और सराहनीय काम कर रही हैं। पहले उन्होंने इसलिए पद छोड़ा था कि क्योंकि वह चाहती थीं कि कोई (राहुल गांधी) आगे बढ़े और अध्यक्ष पद संभाले और वह पीछे बैठकर काम करें।
अंतरिम अध्यक्ष दीर्घकालिक फैसले नहीं ले सकता
दीक्षित ने कहा, 'अभी अंतरिम व्यवस्था है। अगर आप अंतरिम अध्यक्ष हैं तो कांग्रेस के लिए आप दीर्घकालिक फैसले नहीं ले पाएंगे। इसलिए पूर्णकालिक अध्यक्ष के लिए यह सही समय है। चाहें जो कोई भी हो।' उन्होंने कहा, 'हमें पूर्णकालिक अध्यक्ष चाहिए, चाहें वो मिस्टर ए हो या मिस्टर बी हों या मिस्टर गांधी हों, यह कोई मुद्दा ही नहीं है। पार्टी का निर्माण विचारधारा और सामूहिक नेतृत्व से होता है।'
अध्यक्ष पद पर नहीं किया फैसला
दीक्षित ने कहा कि मिस्टर गांधी ने स्पष्ट तौर पर कह दिया था कि वह दोबारा पार्टी अध्यक्ष नहीं बनने वाले। फिर पार्टी के वरिष्ठ नेता कहां चक्कर लगाते रहे, कोई फैसला क्यों नहीं किया। उन्होंने कहा कि वरिष्ठ नेता नेतृत्व के मसले को सुलझाने में पूरी तरह से नाकाम रहे।
सिंधिया-पायलट पर साधा निशाना
संदीप दीक्षित ने कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल होने वाले ज्योतिरादित्य सिंधिया और राजस्थान में बगावत करने वाले सचिन पायलट पर भी निशाना साधा। उन्होंने कहा कि यह लड़ाई पार्टी के युवा और बुजुर्ग नेताओं के बीच नहीं, बल्कि अवसरवादी और कठोर परिश्रम करने लोगों के बीच है। दीक्षित ने कहा कि सीडब्ल्यूसी के सदस्य होते हुए इन दोनों नेताओं ने पार्टी अध्यक्ष के लिए बगावत क्यों नहीं किया। ये लोग निजी स्वार्थ के लिए तो बगावत कर सकते हैं, लेकिन जब पार्टी की हो तो ये अपना करियर दांव पर नहीं लगा सकते।
कमलनाथ-गहलोत के पास ज्यादा विधायक
दीक्षित ने कहा कि मध्य प्रदेश में कमलनाथ के पास ज्यादा विधायकों का समर्थन था इसलिए वो मुख्यमंत्री बने। राजस्थान में अशोक गहलोत के साथ ज्यादा विधायक थे, इसलिए वो मुख्यमंत्री बने। दिल्ली की तीन बार मुख्यमंत्री रहीं शीला दीक्षित के पुत्र संदीप दीक्षित ने कहा कि सिंधिया के चुनाव हारने के बावजूद पार्टी ने उन्हें प्रदेश अध्यक्ष बनाने और राज्यसभा में भेजने का प्रस्ताव किया था। लेकिन उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया। जन नेता का दावा करने वाले नेता को लोगों के फैसले को स्वीकार करते हुए बिना किसी पद के रहकर क्षेत्र में काम करना चाहिए और दोबारा अपनी सीट पर जीत हासिल करनी चाहिए।
नेताओं के अलग अलग बयान
मौजूदा वक्त में कांग्रेस के बीच से ही नेताओं के अलग अलग बयान सामने आ रहे हैं। अभी हाल ही में पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं वरिष्ठ कांग्रेस नेता मार्ग्रेट अल्वा ने कहा था कि राहुल गांधी को युवाओं की टीम बनाने का मौका दिया जाना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि कांग्रेस कार्य समिति में चार, पांच को छोड़ दें तो बाकी बैठे सभी लोगों की औसत उम्र 75 से 85 के बीच है। यही लोग राहुल जी को आगे नहीं आने दे रहे हैं। हाल ही में कपिल सिब्बल ने राजस्थान में कांग्रेस के संकट पर चिंता जताई थी और कहा था कि हम कब जागेंगे...? क्या हम तब जागेंगे जब हमारे सभी घोड़े अस्तबल से निकल चुके होंगे...।