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मध्‍य प्रदेश में यहां जल्द खोला जाएगा सैनिक स्कूल, रक्षा मंत्री ने दिया भरोसा

सैनिक स्‍कूल खोलने को लेकर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने रविवार को दिल्ली में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह से मुलाकात की।

By Arun Kumar SinghEdited By: Published: Mon, 06 Jul 2020 06:15 AM (IST)Updated: Mon, 06 Jul 2020 06:15 AM (IST)
मध्‍य प्रदेश में यहां जल्द खोला जाएगा सैनिक स्कूल, रक्षा मंत्री ने दिया भरोसा
मध्‍य प्रदेश में यहां जल्द खोला जाएगा सैनिक स्कूल, रक्षा मंत्री ने दिया भरोसा

भोपाल, राज्‍य ब्‍यूरो। मध्य प्रदेश के भिंड या मुरैना में जल्द ही सैनिक स्कूल खोला जाएगा। इसको लेकर शिवराज सरकार पिछले कार्यकाल से प्रयास कर रही है। इस मुद्दे को लेकर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने रविवार को दिल्ली में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह से मुलाकात की। इस दौरान मुख्यमंत्री ने बताया कि जब वर्ष 2017 में रक्षा मंत्रालय के संस्थान डीआरडीओ के लिए 334 हेक्टेयर जमीन राज्य सरकार ने दी थी, तब तत्कालीन रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमन ने चंबल संभाग में सैनिक स्कूल खोले जाने की बात कही थी। बताया जा रहा है कि राजनाथ सिंह ने इस दिशा में पहल करने का भरोसा दिलाया है। 

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मुख्यमंत्री ने दिल्ली में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह से की मुलाकात

मुख्यमंत्री ने रक्षा मंत्री राजनाथ को बताया कि मप्र के भिंड-मुरैना जिले के लगभग हर एक घर से एक नौजवान सेना में भर्ती होता है और देश की सीमाओं की रक्षा करता है। इस क्षेत्र में सैनिक स्कूल खुलने से यहां के युवा न केवल जवान बनकर निकलेंगे, बल्कि सेना में बड़े अधिकारी बनेंगे। तत्कालीन रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमन के आश्वासन के बाद सैनिक स्कूल के लिए जमीन भी चिन्हित की जा चुकी है। 

यूरिया का अतिरिक्त कोटा मांगेंगे

मुख्यमंत्री शिवराज दिल्ली प्रवास के दौरान खरीफ सीजन के लिए यूरिया का डेढ़ लाख टन अतिरिक्त कोटा देने को लेकर केंद्रीय मंत्री सदानंद गौड़ा से मुलाकात करेंगे। प्रदेश में इस बार 146 लाख हेक्टेयर में खरीफ फसल की बोवनी का लक्ष्य रखा है। अभी तक लगभग 90 लाख हेक्टेयर में बोवनी हो चुकी है। इसके साथ ही यूरिया की मांग तेजी के साथ बढ़ रही है। मालवा व निमाड़ के जिलों में मांग के अनुरूप यूरिया की पूर्ति नहीं हो पा रही है। 

गेहूं का विवाद सुलझाने पासवान से की मुलाकात

उधर, मुख्यमंत्री ने केंद्रीय उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्री रामविलास पासवान से मुलाकात करके पिछले साल के साढ़े छह लाख टन गेहूं को केंद्रीय पूल में लेने की मांग उठाई। कमल नाथ सरकार के समय यह गेहूं खरीदा गया था, लेकिन गेहूं पर बोनस देने की योजना लागू करने की वजह से केंद्र सरकार ने अनुबंध का उल्लंघन करार देते हुए इसे लेने से इन्कार कर दिया था। इसकी वजह से किसानों को भुगतान भी नहीं हुआ है।

मुख्यमंत्री ने बताया कि प्रदेश में 13 लाख से ज्यादा प्रवासी श्रमिक लौटे हैं, जिनमें से लगभग एक लाख 90 हजार के पास फिलहाल राशनकार्ड नहीं है, जिसकी वजह से उन्हें राशन नहीं मिल पा रहा है। केंद्रीय मंत्री ने आश्वासन दिया कि जल्द ही पिछले साल के गेहूं को केंद्रीय पूल में शामिल कर लिया जाएगा। वन नेशन-वन राशन कार्ड सिद्धांत के तहत सभी प्रवासी मजदूरों को जो जहां है, वहीं राशन मिलेगा।


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