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विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा, अफगानिस्तान में जो हुआ उसके अहम नतीजे होंगे

यूएस-इंडिया स्ट्रेटेजिक पार्टनरशिप फोरम (यूएसआईएसपीएफ) के वार्षिक नेतृत्व शिखर सम्मेलन में विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि अफगानिस्तान के मुद्दे को क्षेत्र के मुद्दे के रूप में प्रस्तुत किया है। इंडो पैसिफिक एक महत्वपूर्ण क्षेत्र है और इसे नियम आधारित अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था पर आधारित होना चाहिए।

By Arun Kumar SinghEdited By: Published: Thu, 30 Sep 2021 11:00 PM (IST)Updated: Fri, 01 Oct 2021 07:21 AM (IST)
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा, अफगानिस्तान में जो हुआ उसके अहम नतीजे होंगे
यूएसआईएसपीएफ के वार्षिक नेतृत्व शिखर सम्मेलन में विदेश मंत्री एस जयशंकर

 नई दिल्ली, एएनआइ। अफगानिस्तान में तेजी से बदलती स्थिति के बीच विदेश मंत्री (ईएएम) एस.जयशंकर ने गुरुवार को कहा कि भारत के पास आराम से बैठकर क्षेत्र में अशांत स्थिति पैदा होते देखने की स्थिति में नहीं है। जयशंकर ने ये टिप्पणी यूएस-इंडिया स्ट्रेटेजिक पार्टनरशिप फोरम में बातचीत के दौरान की। ये टिप्पणी कई भू-राजनीतिक घटनाक्रमों के बीच की गई, विशेष रूप से अफगानिस्तान में जो इस समय क्षेत्रीय स्थिरता के लिए खतरा है। बदलते भू-राजनीतिक परिदृश्य पर एक सवाल का जवाब देते हुए जयशंकर ने कहा कि भारत के लिए यह महत्वपूर्ण है कि वह इस क्षेत्र में सामने आने वाली स्थिति को सही तरीके से सुनिश्चित करने के लिए उसमें भाग ले।

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उन्होंने कहा कि हम इन हालात को चुपचाप बैठकर घटित होते नहीं देख सकते। यह एक अशांत और बहुत गतिशील स्थिति है। इसलिए इसे आकार देना और इसमें भाग लेना महत्वपूर्ण है। विदेश मंत्री ने कहा कि अफगानिस्तान की स्थिति और हिंद-प्रशांत क्षेत्र में सुरक्षा चिंताओं सहित कई चुनौतियां, भारत की प्रमुख चिंताएं हैं। 'राइज ऑफ चाइना' पर उन्होंने कहा कि मैं एक बात स्पष्ट करना चाहता हूं क्वाड एक शांतिपूर्ण संकल्प है, यह किसी के खिलाफ नहीं है। यह महत्वपूर्ण है कि हम किसी प्रकार के नकारात्मक प्रवचन में न फंसें और हमें इसके चक्कर में नहीं पड़ना चाहिए। हमें सकारात्मक होना चाहिए।

'चीन के उदय' से निपटने के तरीके पर विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि कई मायनों में वे द्विपक्षीय विकल्प हैं, जिन्हें हमें बनाना है। अंतरराष्ट्रीय अर्थव्यवस्था में चीन बड़ा खिलाड़ी है। मेरी जो समस्याएं हैं, वे आपकी जैसी नहीं होंगी, लेकिन किसी तरह की 'बांह मरोड़ना' नहीं होना चाहिए।


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