आरएसएस प्रमुख भागवत का बड़ा बयान, गाय की सेवा से बदलती है अपराधी की मनोवृत्ति
भगवत ने कहा कि गाय ब्रह्माांड की जननी है। यह मिट्टी को पोषण देती है जीवों पक्षियों और मनुष्यों का पालन करती है और उन्हें बीमारियों से बचाती है।
पुणे, प्रेट्र। अनुभव से यह सामने आया है कि कैदियों को गाय की सेवा का काम देने से उनकी अपराध करने की मनोवृत्ति कम होती है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख मोहन भागवत ने शनिवार को यह बात कही। भागवत गाय से संबंधित विज्ञान पर शोध करने वाली गो-विज्ञान संशोधन संस्था के पुरस्कार समारोह को संबोधित कर रहे थे।
भगवत ने कहा, 'गाय ब्रह्माांड की जननी है। यह मिट्टी को पोषण देती है, जीवों, पक्षियों और मनुष्यों का पालन करती है और उन्हें बीमारियों से बचाती है। अधिकारियों का कहना है कि जब जेलों में गोशाला स्थापित की जाती है और कैदी गोसेवा करने लगते हैं, तो उनमें अपराध करने की मनोवृत्ति कम हो जाती है।'
संघ प्रमुख ने कहा कि अगर हम दुनिया के समक्ष गाय के गुणों को लाना चाहते हैं, तो हमें इस पर दस्तावेज तैयार करना चाहिए। कैदियों की मानसिकता पर अध्ययन करते हुए गोसेवा से उनमें आए बदलाव का अध्ययन करना चाहिए। भागवत ने गोसेवा पर जोर देते हुए कहा कि इतने बड़े समाज में यदि हर व्यक्ति एक गाय की जिम्मेदारी ले ले तो किसी गाय को कसाई के पास भेजने की नौबत नहीं आएगी।
भागवत के बयान की बसपा ने की आलोचना
वहीं बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के राष्ट्रीय प्रवक्ता सुधींद्र भदोरिया ने भागवत के बयान की निंदा की। समाचार एजेंसी एएनआई के हवाले से बताया कि भदौरिया ने कहा कि भागवत का यह बयान 'जेल में गायों की देखभाल करने से कैदियों की अपराधित मानसिकता में कमी आयी' अतार्किक है। इस बयान का किसी भी वैज्ञानिक, समाजशास्त्रीय या आपराधिक अध्ययन में पुष्टि नहीं हुई है। उन्होंने कहा कि जहां तक करुणा का सवाल है, यह न केवल गायों, बल्कि पूरी मानवता के प्रति होना चाहिए। उन्होंने कहा कि भागवत जैसे जिम्मेदार व्यक्ति को एेसा बयान देने से बचना चाहिए। उन्होंने कहा कि इससे मानव समाज का कल्याण नहीं हो सकता है।