राजद सांसद ने नए कृषि कानूनों को सुप्रीम कोर्ट में दी चुनौती, कहा- शोषण वाली व्यवस्था बन जाएगी
राजद सांसद मनोज झा ने तीन कृषि कानूनों की संवैधानिक वैधता को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। उन्होंने कृषि कानूनों को मनमाना और भेदभावपूर्ण बताते हुए कहा है कि इनसे बड़े कॉरपोरेट घरानों द्वारा सीमांत किसानों का शोषण किया जाएगा।
नई दिल्ली, पीटीआइ। राजद सांसद मनोज झा ने हाल ही में लागू किए गए तीन कृषि कानूनों की संवैधानिक वैधता को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। उन्होंने कृषि कानूनों को मनमाना और भेदभावपूर्ण बताते हुए कहा है कि इनसे बड़े कॉरपोरेट घरानों द्वारा सीमांत किसानों का शोषण किया जाएगा। उल्लेखनीय है कि संसद ने हाल ही में तीन कृषि विधेयकों को मंजूरी दी है। 27 सितंबर को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की मंजूरी के बाद तीनों विधेयक कानून बन गए।
राजद के राज्यसभा सदस्य मनोज झा ने वकील फौजिया शकील के माध्यम से सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की है। उनसे पहले केरल से कांग्रेस के लोकसभा सदस्य टीएन प्रथपन और तमिलनाडु से द्रमुक के राज्यसभा सदस्य तिरुचि शिवा भी कृषि कानूनों के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का रुख कर चुके हैं।
मनोज झा ने अपनी याचिका में कहा है कि इन कानूनों से कृषि क्षेत्र का व्यावसायीकरण हो जाएगा। इससे बिना नियम-कायदे के शोषण वाली व्यवस्था बन जाएगी। किसानों के पास निजी कंपनी से सबसे अच्छे विकल्प पर बातचीत करने के लिए आवश्यक जानकारी नहीं होगी। इससे कॉरपोरेट घरानों के साथ कृषि समझौते पर बातचीत के लिए असमान सौदेबाजी होगी। इसके चलते कॉरपोरेट घरानों का कृषि क्षेत्र पर एकाधिकार हो जाएगा।
याचिका में कहा गया है कि कृषि विधेयकों को संसद से पारित कराने में संसदीय नियमों ओर परंपराओं को तोड़ा गया। इन कानूनों में किसानों के हितों की अनदेखी की गई है और उन्हें उचित विवाद निवारण प्रक्रिया के बिना प्रायोजकों की दया पर छोड़ दिया गया है।
उल्लेखनीय है कि केंद्र सरकार ने किसानों को आश्वस्त किया है कि फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) न केवल बरकरार रहेगा बल्कि इसमें आने वाले वर्षों में वृद्धि भी होती रहेगी। बीते दिनों रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा था कि अनुबंध आधारित कृषि के बदले में कोई भी किसानों की जमीन पर दावा नहीं कर सकेगा। कृषि कानूनों में किसानों का हित सुरक्षित रखने के लिए पर्याप्त इंतजाम किए गए हैं। विपक्षी पार्टियों ने आरोप लगाया है कि नए कानूनों के तहत किसानों को व्यवसायी वर्ग की दया पर छोड़ दिया जाएगा।