आवश्यक वस्तु अधिनियम में संशोधन के बगैर सुधार प्रक्रिया अधूरी, राज्यसभा में लंबित, लोकसभा से हुआ पारित
कृषि सुधारों में तीन विधेयकों को एक साथ संसद में पेश किया गया जिनमें दो विधेयक कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर ने पेश किया तो तीसरा विधेयक उपभोक्ता राज्य मंत्री राव साहब दानवे की ओर से रखा गया ।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। कृषि सुधारों से जुड़ा आवश्यक वस्तु अधिनियम विधेयक राज्यसभा में अभी भी लंबित है। उसके पारित हुए बिना कृषि सुधार की प्रक्रिया अधूरी रहेगी। राज्यसभा में सोमवार को भी जबर्दस्त हंगामा रहा जिससे कार्य सूची में होने के बावजूद इसे पारित नहीं किया जा सका। जबकि विधेयक लोकसभा में पहले ही पारित हो चुका है। राज्यसभा से मंगलवार को यह विधेयक पारित हो जाने की संभावना है।
आवश्यक वस्तु अधिनियम में संशोधन विधेयक में कृषि उत्पादों पर लागू कानूनी प्रावधानों को हटा लिया जाएगा। इसके चलते कृषि जिंसों का कारोबार प्रभावित होता है। विभिन्न जिंसों पर लगाए जाने वाले प्रतिबंधों को केवल बेहद खास परिस्थिति में ही लगाया जा सकता है। युद्ध, भीषण सूखा, आसमान छूती महंगाई और प्राकृतिक आपदाओं के समय ही इन प्रावधानों को लगाया जा सकता है।
तीसरा विधेयक उपभोक्ता राज्य मंत्री ने सदन में रखा
कृषि सुधारों में तीन विधेयकों को एक साथ संसद में पेश किया गया, जिनमें दो विधेयक कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर ने पेश किया तो तीसरा विधेयक उपभोक्ता राज्य मंत्री राव साहब दानवे की ओर से सदन में रखा गया। लोकसभा में एक ही दिन तीनों विधेयक पारित कर दिए गए। लेकिन राज्यसभा कृषि सुधारों से जुड़े इन विधेयकों को लेकर जबर्दस्त तनातनी रही। रविवार को राज्यसभा में पांच घंटे की लंबी चर्चा के बाद किसानों को मंडी से बाहर अपनी उपज बेचने और कांट्रैक्ट खेती से जुड़े दोनों विधेयकों भारी हंगामा और झड़प के बाद पारित कर दिया या। इस दौरान सदन में जो माहौल था, उसके चलते खाद्य व उपभोक्ता मंत्रालय के विधेयक पर चर्चा ही नहीं हो सकी। लिहाजा वह लंबित रह गया है।
विभिन्न कृषि उत्पाद स्टॉक सीमा की परिधि से आ जाएंगे बाहर
कृषि सुधार में इस विधेयक की अहम भूमिका होगी। आवश्यक वस्तु (संशोधन) अधिनियम 2020 के पारित हो जाने के बाद यह अगस्त में जारी अध्यादेश का स्थान लेगा। इससे विभिन्न कृषि उत्पाद स्टॉक सीमा की परिधि से बाहर हो जाएंगे। एग्रीकल्चर मार्केटिंग में सुधार के लिए इसका पारित होना जरूरी माना जा रहा है। दरअसल देश में फिलहाल गेहूं व चावल जैसे अनाज के उत्पादन में जबर्दस्त बढ़त दर्ज की गई है। इसलिए इस तरह की जिंसों पर आवश्यक वस्तु अधिनियम-1955 जैसे कानून लागू करना उचित नहीं माना जा रहा है।
जिंस कारोबार से जुड़े व्यापारी वर्ग इसमें संशोधन की मांग लगातार उठाते रहे हैं। उन्होंने कई बार इसे काला कानून तक करार दिया है। इसमें संशोधन के बाद ही कृषि क्षेत्र में सुधार की प्रक्रिया पूरी हो जाएगी। कृषि क्षेत्र की सप्लाई चेन में निजी कारोबारी या निवेशक आसानी से निवेश कर सकेंगे।