रिजर्व बैंक के साथ चल रहे विवाद में कूदी कांग्रेस, कहा- सरकार RBI की बॉस नहीं हो सकती
पार्टी ने वित्तमंत्री अरुण जेटली के रिजर्व बैंक पर तीखे वार को संवैधानिक और स्वायत्तशासी संस्थाओं को अपने हाथों का खिलौना बनाने की भाजपा की रणनीति का हिस्सा भी करार दिया।
नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। रिजर्व बैंक के साथ केंद्र सरकार की बढ़ती खींचतान को दुर्भाग्यपूर्ण करार देते हुए कांग्रेस ने एनडीए को आड़े हाथों लिया है। पार्टी ने कहा है कि एनडीए सरकार का रिजर्व बैंक पर साधा जा रहा निशाना देश के आर्थिक हित के खिलाफ है। पार्टी ने वित्तमंत्री अरुण जेटली के रिजर्व बैंक पर तीखे वार को संवैधानिक और स्वायत्तशासी संस्थाओं को अपने हाथों का खिलौना बनाने की भाजपा की रणनीति का हिस्सा भी करार दिया।
कांग्रेस प्रवक्ता आनंद शर्मा ने कहा कि रिजर्व बैंक के डिप्टी गर्वनर डा विरल आचार्या की देश के केंद्रीय बैंक के वित्तीय और नीतिगत स्वतंत्रता में सरकारी दखल की बात पर वित्तमंत्री अरुण जेटली का वार गैरजरूरी है। उनके अनुसार रिजर्व बैंक के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ तमाम आर्थिक विशेषज्ञों ने केंद्रीय बैंक की स्वायत्तता में अतिक्रमण को लेकर सरकार को आगाह किया है। ऐसे में वित्तमंत्री ही नहीं सरकार को इस बात की ओर ध्यान देना चाहिए था कि रिजर्व बैंक की स्वतंत्रता पर और आंच न आए। मगर जेटली ने मंगलवार को जिस तरह आरबीआई पर उलटे प्रहार किया वह देशहित में नहीं है। शर्मा ने कहा कि वित्तमंत्री को रिजर्व बैंक के खिलाफ की गई अपनी टिप्पणियों को वापस लेकर माफी मांगनी चाहिए।
कांग्रेस नेता ने कहा कि रिजर्व बैंक जहां धन का सृजन करने वाली आथरिटी है वहीं सरकार यह धन खर्च करने वाली आथरिटी। ऐसे में सरकार को यह हकीकत कबूल करना होगा कि वह रिजर्व बैंक की बॉस नहीं हो सकती।बैंक के डूबे कर्ज यानी एनपीए को लेकर रिजर्व बैंक के प्रबंधन पर वित्तमंत्री के तीखे सवालों को आनंद शर्मा ने सरकार की खीज करार दिया। रिजर्व बैंक पर दोष मढ़ने से पहले सरकार को अपना गिरेबान देखते हुए देश को बताना चाहिए कि 2014 में जो एनपीए तीन लाख करोड रुपये था आज 12 लाख करोड रूपये कैसे पहुंच गया।
उन्होंने कहा कि रिजर्व बैंक के साथ टकराव की वजह यह है कि सरकार एक स्वतंत्र पेमेंट रेगुलेटर संस्था बनाकर केंद्रीय बैंक को कमजोर करना चाहती है। मौद्रिक नीति भी सरकार अपने हाथ में लेना चाहती है। वहीं गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफएसी) के लिए रिजर्व बैंक की खिड़की खोलकर इन्हें पैसा देने के पक्ष में है। शर्मा ने कहा कि वित्तमंत्री को बहस और सच्चाई को नकारने के साथ झगड़े की आदत है मगर रिजर्व बैंक से उनका झगड़ा स्वीकार्य नहीं है।