RBI: अंतरिम बजट की सोच को आगे बढ़ाया आरबीआइ ने
भारतीय रिजर्व बैंक और केंद्र सरकार के बीच इस तरह का सामंजस्य काफी दिनों बाद दिखाई दिया।
जयप्रकाश रंजन। भारतीय रिजर्व बैंक और केंद्र सरकार के बीच इस तरह का सामंजस्य काफी दिनों बाद दिखाई दिया। आरबीआइ ने मौद्रिक नीति की समीक्षा करते हुए गुरुवार को रेपो रेट में 0.25 फीसद की कटौती कर दिया है जिसकी वजह से आने वाले दिनों में आटो लोन, होम लोन समेत अन्य पर्सनल लोन के सस्ता होने का रास्ता खुल गया है।
आरबीआइ का यह कदम देश में मांग को बढ़ाएगा जिससे कई औद्योगिक क्षेत्रों की रफ्तार भी बढ़ेगी। एक हफ्ते पहले ही वित्त मंत्री पीयूष गोयल ने अंतरिम बजट में कुछ ऐसे प्रस्ताव किये थे जिससे अर्थव्यवस्था में मांग बढ़े।
इसी तरह से आरबीआइ ने अंतरिम बजट की तरह किसानों पर नजरें इनायत की है। किसानों को 1.6 लाख रुपये तक के कर्ज की राशि को बिना गिरवी के देने का ऐलान किया है। साथ ही किसानों को लंबी अवधि के लिए कर्ज देने पर सुझाव देने के लिए एक समिति का भी गठन किया है। ये दोनो कदम भी किसानों को अतिरिक्त आमदनी देने के लिए पीएम किसान योजना का ऐलान किया था। इसके तहत छोटे व सीमांत किसानों को 6 हजार रुपये हर वर्ष मिलेगी और इसकी पहली किस्त मार्च, 2019 में ही दिए जाने की संभावना है। आरबीआइ के कदम के बाद बैंक किसानों को ज्यादा कर्ज दे सकेंगे और कर्ज के लिए किसान गैर पारंपरिक स्रोतों मसलन, सूदखोरों पर कम निर्भर होंगे।
सनद रहे कि रेपो रेट वह दर होती है जिस पर बैंक अल्पकालिक आवश्यकताओं के लिए आरबीआइ से कर्ज लेते है। यह दर ही बैैंकों की अल्पकालिक ऋण योजनाओं पर असर दिखाता है और इसकी वजह से होम लोन व आटो लोन की दरों पर उतार चढ़ाव होता है।
आरबीआइ के नए गवर्नर शक्तिकांत दास की यह पहली मौद्रिक नीति समीक्षा थी। दास को दिसंबर, 2018 में पूर्व आरबीआइ गवर्नर उर्जित पटेल के अचानक इस्तीफा देने के बाद गवर्नर नियुक्त किया गया था। पूर्व में कई बार ऐसा हुआ है कि वित्त मंत्रालय ने अपनी तरफ से देश की अर्थव्यवस्था में मांग बढाऩे की कोशिश की है लेकिन आरबीआइ से कोई सहयोग नहीं मिला।
अब सरकार और केंद्रीय बैंक की सोच एक दिशा में है। वैसे रेपो रेट में कमी के लिए यह वजह भी प्रमुख है कि महंगाई की दर लगातार आरबीआइ के लक्ष्य (4 फीसद) से काफी नीचे है। एचडीएफसी बैैंक के चीफ इकोनोमिस्ट अभीक बरूआ ने उम्मीद जताई है कि आने वाले दिनों में रेपो रेट में और कटौती की उम्मीद है।
आरबीआइ का यह कदम केंद्र सरकार को भी पसंद आएगी क्योंकि जब वह चुनाव की तैयारी में है तब देश के बैंक होम लोन और आटो लोन की दरों को कम करेंगे। भाजपा ने वर्ष 2014 की अपनी चुनावी घोषणा पत्र में कहा था कि वह सत्ता में आने के बाद होम लोन व आटो लोन की दरों को कम करेगी। पूर्व में अटल बिहारी वाजपेयी की एनडीए सरकार ने कार्यकाल में ब्याज दरों में काफी कमी हुई थी।