Loksabha Debate: रामविलास पासवान ने निजी क्षेत्र में भी मांगा आरक्षण
आर्थिक आरक्षण विधेयक पर मंगलवार को लोकसभा में चर्चा के दौरान केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान काफी सक्रिय दिखे।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। आर्थिक रूप से पिछड़े सामान्य वर्ग को 10 फीसद आरक्षण देने के विधेयक पर मंगलवार को लोकसभा में चर्चा के दौरान केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान काफी सक्रिय दिखे। उन्होंने इस दौरान विपक्ष के आरोपों का खुलकर जवाब दिया। विपक्ष के आरोपों पर बीच-बीच में उठकर उन्होंने सरकार का बचाव ही नहीं किया बल्कि अपना पक्ष भी जोरदार तरीके से रखा। उन्होंने सरकारी ही नहीं बल्कि निजी क्षेत्र में भी आरक्षण लागू करने की मांग की। पासवान ने सरकार से इस बिल को संविधान की नौवीं सूची में शामिल करने की मांग की, ताकि सुप्रीम कोर्ट भी इसमें कोई हस्तक्षेप न कर सकें।
एक पिछड़ा अगड़ों को देने जा रहा आरक्षण : हुकुमदेव
भाजपा के हुकुमदेव नारायण यादव ने कहा कि अब एक पिछड़ा अगड़ों को आरक्षण देने जा रहा है। कांग्रेस को आड़े हाथों लेते हुए उन्होंने कहा उनकी पार्टी में पिछड़े वर्ग का कोई नेता आगे नहीं बढ़ पाया। जबकि सपा मुखिया मुलायम सिंह को आगे बढ़ाने में जिन सवर्ण नेताओं ने सहयोग किया पार्टी में उनको सम्मान नहीं मिला। उत्तर प्रदेश भाजपा अध्यक्ष डॉ. महेंद्रनाथ पांडेय ने कहा कि सवर्ण गरीबों को लेकर बातें तो होती रहीं, लेकिन किसी ने उस पर कोई पुख्ता पहल नहीं की। इस दौरान उन्होंने उत्तर प्रदेश की पूर्व सपा सरकार की नाकामियों का जिक्र करते हुए अपनी सरकार की खूबियां गिना डालीं।
सौ फीसद आरक्षण लागू हो : सपा
समाजवादी पार्टी (सपा) सांसद धर्मेंद्र यादव ने चर्चा में हिस्सा लेते हुए सरकार से जल्द ही जातिगत जनगणना की रिपोर्ट जारी करने की मांग की। साथ ही उन्होंने कहा कि सौ फीसद आरक्षण व्यवस्था लागू होनी चाहिए जो सभी जातियों के बीच उनके अनुपात में बांट दिया जाना चाहिए। इससे आरक्षण को लेकर उठने वाला सारा विवाद ही खत्म हो जाएगा।
दलित-पिछड़ों को चाहिए 85 फीसद आरक्षण : राजद
राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के सांसद जय प्रकाश नारायण यादव ने विधेयक के समय पर सवाल उठाए। साथ ही कहा कि दलित-पिछड़ों को अब 85 फीसद आरक्षण चाहिए। अब वह 50 फीसद से संतुष्ट नहीं होने वाले हैं।
सवर्ण गरीबों को होगा फायदा : जदयू
जदयू के सांसद कौशलेंद्र ने सामान्य वर्ग के गरीबों को 10 फीसद आरक्षण को ऐतिहासिक बताया। उन्होंने कहा कि इससे सवर्ण गरीबों का फायदा होगा।
अनुप्रिया ने सपा को दिखाया आइना
बिल पर चर्चा करते हुए केंद्रीय मंत्री और अपना दल की नेता अनुप्रिया पटेल ने समाजवादी पार्टी को आइना दिखाते हुए कहा कि उत्तर प्रदेश में जब वह सरकार में थी, तो उन्होंने पिछड़ा वर्ग को मिलने वाले आरक्षण को ठीक ढंग से लागू नहीं किया।
ऐसे लोगों को पिछड़ों की वकालत करने का कोई हक नहीं है। मध्य प्रदेश का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि कई राज्य ऐसे हैं, जहां अभी तक पिछड़ों को तय 27 फीसद आरक्षण का लाभ भी नहीं मिल रहा है। उन्होंने सरकार से एससी-एसटी और ओबीसी को मिलने वाले आरक्षण की उनकी आबादी के हिसाब से फिर से समीक्षा करने की मांग की।
जल्दी में क्यों लाया गया बिल : राकांपा
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) सांसद सुप्रिया सुले ने कहा कि यह सत्र 17 दिन से चल रहा है, लेकिन आखिरी सत्र में इस बिल को लाने की क्या जल्दी थी? उन्होंने कहा कि यह बिल गरीबों का समर्थन करता है और ऐसा भी नहीं है कि यह पहली सरकार है जो गरीबों के लिए कोई बिल लेकर आई है। इससे पहले हमारी सरकार ने भी खाद्य सुरक्षा जैसे कई बिल पारित किए थे। सुले ने कहा, हमें उम्मीद है कि बिल जुमला साबित नहीं होगा और इसमें किए गए वादों को पूरा किया जाएगा।
बिल के समर्थन में बीजद
चर्चा में हिस्सा लेते हुए बीजू जनता दल (बीजद) सांसद भर्तृहरि महताब ने कहा कि समाज में सभी तरफ काफी लोग गरीब हैं। उन्हें नौकरी और शिक्षा क्षेत्र में आरक्षण की जरूरत है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने 1980 के अपने घोषणापत्र में ऐसा आरक्षण देने का वादा किया था, लेकिन वह रास्ते से भटक गए। महताब ने कहा कि 40 साल से आर्थिक तौर पर पिछड़ों को आरक्षण देने की कोशिश की गई, लेकिन इस बार यह सरकार संविधान संशोधन बिल के जरिये इसे पूरा करने जा रही है। उन्होंने कहा बीजद इस बिल का समर्थन करती है।
टीआरएस का मिला साथ
टीआरएस सांसद एपी जितेंद्र रेड्डी ने अपनी पार्टी की ओर से बिल का समर्थन किया। उन्होंने कहा कि सरकारों ने सत्ता में आने के बाद जो भी वादें किए हों, लेकिन देश की आम जनता का ख्याल नहीं रखा गया।
गलत नीतियों से पैदा हुए गरीब : तेदेपा
तेलुगु देशम पार्टी (तेदेपा) सांसद ने कहा कि सरकार की गलत नीतियों की वजह से ही आर्थिक रूप से पिछड़े लोगों का उदय हुआ।
साढ़े चार साल क्यों लगे : शिवसेना
शिवसेना सांसद ने आनंदराव अडसुल कहा कि आर्थिक रूप से दुर्बल लोगों को आरक्षण से काफी मदद मिलती है। लेकिन समाज में एससी, एसटी और ओबीसी के अलावा अन्य वगरें के लोग भी सामाजिक, आर्थिक और शैक्षणिक तौर पर पिछड़े हुए हैं।
उन्होंने कहा कि आर्थिक तौर पर कमजोरों को आरक्षण देने का समर्थन बाला साहब और हमारी पार्टी प्रमुख उद्धव ठाकरे भी कर चुके हैं। उन्होंने कहा कि इसमें साढ़े चार साल क्यों लगे, यह सवाल मेरे मन भी आता है। लेकिन कभी-कभी देरी से आए फैसले भी दुरुस्त साबित होते हैं।
समय को लेकर शक : तृणमूल
तृणमूल कांग्रेस के सुदीप बंधोपाध्याय ने चर्चा के दौरान कहा कि बिल को लाने के समय से हमारे मन में शक पैदा हुआ है कि सरकार की मंशा आखिर है क्या। सरकार क्या वाकई में युवाओं को रोजगार देना चाहती है या फिर 2019 के चुनावों में फायदा उठाने के लिए यह कदम उठाया गया है। उन्होंने कहा कि महिलाओं के आरक्षण विधेयक क्यों नहीं लाया गया, क्या वह जरूरी नहीं था? तृणमूल सांसद ने कहा कि बिल का समर्थन कर भी दिया गया तो नौकरियों का देश में क्या हाल है, सरकार कैसे घोषित नीतियों को पूरा करने जा रही है? यह बिल युवाओं के बीच झूठी उम्मीदें जगाएगा जो कभी सच्चाई नहीं बन सकतीं। उन्होंने कहा कि हमारी पार्टी इस बिल का समर्थन करते हुए उम्मीद करती है कि युवाओं को रोजगार देने का काम होगा।
पिछड़ों के उत्थान के लिए आरक्षण : अन्नाद्रमुक
अन्नाद्रमुक सांसद थंबीदुरई ने कहा कि आरक्षण सामाजिक न्याय के लिए दिया जाता है, मुझे समझ नहीं आ रहा कि आर्थिक आधार पर आरक्षण की जरूरत क्या है? उन्होंने कहा कि पिछड़ों के उत्थान के लिए आरक्षण नीति लाई गई थी, लेकिन यह सरकार आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को आरक्षण देने जा रही, जबकि आपकी सरकार ने गरीबों के लिए कई योजनाएं लागू की हैं। अगर आप गरीबों का आरक्षण देने जा रहे हैं तो सरकार की इन योजनाओं से क्या फायदा हुआ, इससे साफ है कि आपकी सारी योजनाएं फेल हो गई हैं।
सरकारी स्कूलों में पढ़ने वालों को मिले वरीयता : रालोसपा
राष्ट्रीय लोक समता पार्टी (रालोसपा) सांसद उपेंद्र कुशवाहा ने कहा कि आरक्षण से नौकरी नहीं मिलती, जैसे ही यह बात समझ आएगी तो आरक्षण पाने वाले सवर्ण भी सरकार के खिलाफ हो जाएंगे। कुशवाहा ने कहा कि आरक्षण आर्थिक समृद्धि का उपाय नहीं है, सरकार को सरकारी विद्यालयों में पढ़े बच्चों को आरक्षण में प्राथमिकता देने चाहिए, इससे शिक्षा व्यवस्था की बेहाल हालत सुधर सकती है।
साथ ही उन्होंने कहा कि प्राइवेट सेक्टर में भी आरक्षण का लाभ मिले क्योंकि सरकारी क्षेत्र में तो नौकरियां मिल नहीं रही हैं। कुशवाहा ने कहा कि सरकार सत्र को बढ़ाकर न्यायिक नियुक्तियों के लिए भी बिल लेकर आए।
यह चुनावी स्टंट : आप
आम आदमी पार्टी (आप) सांसद भगवंत मान ने कहा कि अगर भाजपा वालों के दिल में गरीबों का इतना ख्याल होता तो यह बिल पहले ही आ जाता। यह भारतीय जुमला पार्टी का चुनाव स्टंट है, प्रधानमंत्री मोदी चुनावी रैलियों में इस बिल का क्रेडिट लेते दिखेंगे। मान ने कहा कि यह लोग पिछड़ों का आरक्षण भी खत्म करने के बारे में सोच रहे हैं। यह बिल राज्यसभा में तो पास होगा नहीं, इसे मुद्दा बनाने के लिए ही लाया गया है।
यह संविधान के साथ धोखा : ओवैसी
एआइएमआइएम के सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि वह बिल का विरोध करते हैं क्योंकि यह संविधान के साथ धोखा है। उन्होंने कहा कि संविधान आर्थिक पिछड़ेपन को मान्यता नहीं देता।