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भाईचारे और सद्भाव को बढ़ावा देगा राम मंदिर, पांच अगस्त को भूमि पूजन करेंगे प्रधानमंत्री मोदी

राम जन्मभूमि आंदोलन के एक प्रमुख व्यक्ति और न्यास के सदस्य चौपाल ने कहा कि भाजपा को आंदोलन से राजनीतिक रूप से लाभ हुआ।

By Bhupendra SinghEdited By: Published: Sun, 02 Aug 2020 08:36 PM (IST)Updated: Sun, 02 Aug 2020 09:13 PM (IST)
भाईचारे और सद्भाव को बढ़ावा देगा राम मंदिर, पांच अगस्त को भूमि पूजन करेंगे प्रधानमंत्री मोदी
भाईचारे और सद्भाव को बढ़ावा देगा राम मंदिर, पांच अगस्त को भूमि पूजन करेंगे प्रधानमंत्री मोदी

नई दिल्ली, प्रेट्र। श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र न्यास के सदस्य कामेश्वर चौपाल ने रविवार को कहा कि अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए दशकों चले लंबे आंदोलन ने कभी राजनीतिक रंग लिया तो कभी इसका सामाजिक विरोध हुआ, लेकिन, पांच अगस्त को मंदिर निर्माण की शुरुआत समाज में भाईचारे और समरसता को बढ़ाएगी। ये वे मूल्य हैं, जो भगवान राम से जुड़े हैं।

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रामराज्य की आधारशिला: राम का जीवन भाईचारे के मूल्यों को बढ़ावा देता है

नवंबर में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद केंद्र सरकार द्वारा मंदिर बनाने के लिए गठित न्यास ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पांच अगस्त को भूमि पूजन के लिए आमंत्रित किया है। चौपाल ने कहा, यह देश में रामराज्य की आधारशिला भी होगी। राम का जीवन सामाजिक समरसता और भाईचारे के मूल्यों को बढ़ावा देता है। मंदिर हमारे समाज में इन मूल्यों को बढ़ावा देगा।

न्यास के सदस्य चौपाल ने कहा- भाजपा को राम जन्मभूमि आंदोलन से राजनीतिक रूप से लाभ हुआ

राम जन्मभूमि आंदोलन के एक प्रमुख व्यक्ति और न्यास के सदस्य चौपाल ने कहा कि भाजपा को आंदोलन से राजनीतिक रूप से लाभ हुआ, क्योंकि पार्टी ने खुद को इससे जोड़ा। हालांकि, पार्टी को उत्तर प्रदेश सहित अपनी चार सरकारों की कुर्बानी भी देनी पड़ी। केंद्र की कांग्रेस सरकार ने 1992 में चार भाजपा शासित राज्य सरकारों को विवादित ढांचे के विध्वंस के बाद बर्खास्त कर दिया था।

राम जन्मभूमि आंदोलन ने किसी राजनीतिक पार्टी को इसमें शामिल होने से नहीं रोका

चौपाल ने प्रत्यक्ष तौर पर कांग्रेस आदि पार्टियों की ओर इशारा करते हुए कहा, हमारे आंदोलन ने किसी राजनीतिक पार्टी को इसमें शामिल होने से नहीं रोका। यह गंगा की तेज लहरों जैसा था। इसमें से कुछ ने इसका पवित्र जल इकट्ठा किया और कुछ ने दरवाजे के निकट से भी नदी बहने के बावजूद कुछ नहीं लिया।

चौपाल 1989 में मंदिर के शिलान्यास के लिए चुने जाने के बाद सुर्खियों में आए

चौपाल विश्व हिंदू परिषद से जुड़े थे और बाद में वह बिहार विधान परिषद के सदस्य बने, लेकिन, वह 1989 में मंदिर के शिलान्यास के लिए चुने जाने के बाद सुर्खियों में आए। उनका चुनाव आंदोलन के सामाजिक समावेश का संदेश देने का एक प्रत्यक्ष तरीका था।


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