राज्यसभा सचिवालय ने स्थायी समितियों की बैठकों के लिए की 8 सूत्रीय प्रोटोकॉल की घोषणा
विज्ञान और प्रौद्योगिकी और पर्यावरण और वन की स्थायी समिति की बैठक 10 जुलाई को बुलाई गई है जबकि गृह मामलों की बैठक 15 जुलाई को बुलाई गई है।
नई दिल्ली, एएनआई। राज्यसभा सचिवालय ने मंगलवार को सदन की विभाग संबंधी संसदीय स्थायी समितियों की बैठकों के लिए एक आठ सूत्रीय प्रोटोकॉल का पालन करने की घोषणा की।
कोविड-19 महामारी के चलते स्थायी समितियों की बैठकों के लिए प्रोटोकॉल घोषित
कोविड-19 महामारी से संबंधित विभिन्न पहलुओं की जांच के लिए दो स्थायी समितियों की निर्धारित बैठकों से पहले प्रोटोकॉल की घोषणा की गई है।
विज्ञान और प्रौद्योगिकी और पर्यावरण और वन की स्थायी समिति की बैठक 10 जुलाई को
विज्ञान और प्रौद्योगिकी और पर्यावरण और वन की स्थायी समिति की बैठक 10 जुलाई को बुलाई गई है जबकि गृह मामलों की स्थायी समिति की बैठक 15 जुलाई को बुलाई गई है।
समिति के सदस्यों के बैठने के बीच की दूरी होगी छह फीट
प्रोटोकॉल में शामिल हैं समिति के सदस्यों के बैठने के बीच की दूरी छह फीट, बैठकों से संबंधित सामग्री सॉफ्ट प्रतियों के रूप में आपूर्ति की जाएगी, कार्यवाही के नोट लेने के लिए पत्रकार समिति के कमरों के वेल में बैठेंगे और अधिकारियों की भागीदारी वर्जित है। सदस्यों की उपस्थिति समिति के कमरों के बाहर दर्ज होगी। हाथों पर सेनिटाइज़र और डिस्पोजेबल मास्क और दस्ताने सुनिश्चित करने के लिए प्रतिभागियों की संख्या अग्रिम रूप से ज्ञात की जाएगी ताकि समिति के कमरों के प्रवेश द्वार पर सचिवालय के सदस्यों, गवाहों, अधिकारियों और कर्मचारी सुनिश्चित कर सकें।
सचिवालय के वरिष्ठ अधिकारियों ने सोमवार को एक बैठक में प्रोटोकॉल के विभिन्न पहलुओं पर चर्चा की और दो निर्धारित बैठकों से पहले अद्यतन प्रोटोकॉल की घोषणा की।
गृह मामलों की स्थायी समिति की एक बैठक 3 जून को बुलाई गई थी, लेकिन कोरोनोवायरस के कारण सदस्यों ने बैठक में शामिल होने में असमर्थता व्यक्त करने के मद्देनजर इसे स्थगित कर दिया गया था।
संसदीय समितियों की बैठकों का सिलसिला शुरू
संसदीय समितियों की बैठकों का सिलसिला शुरू हो गया है, जिसकी तैयारियों का पुख्ता बंदोबस्त किया जा रहा है। राज्यसभा से जुड़ी दो प्रमुख समितियों बैठक अगले सप्ताह बुलाई गई है, जिसके लिए सचिवालय ने दिशानिर्देश जारी किया है। इन समितियों की बैठक में कोरोना संक्रमण के विभिन्न पहलुओं पर चर्चा होने वाली है। इनमें कोरोना की दवा और टीका आने से पहले इससे बचने के उपायों को लेकर जारी एहतियात मुद्दा होगा। संसद की स्थायी समितियों की बैठकें कोरोना के प्रकोप और लॉकडाउन के चलते संभव नहीं हो पा रही थी।
कांग्रेस ने वर्चुअल बैठक का सुझाव दिया था
हालांकि इस दौरान प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस ने वर्चुअल बैठक का सुझाव दिया था, जिसे संसद के दोनों सदनों के प्रमुखों ने गहन विचार विमर्श के बाद खारिज कर दिया था। इस बारे में कुछ सदस्यों की राय थी कि समितियों की इस तरह बैठक कराये जाने से गोपनीयता भंग होती। संसद के कामकाज की प्रक्रिया शुरु होने से संसद के मानसून सत्र के जल्दी ही बुलाये जाने की संभावना बढ़ गई है।
आठ सूत्रीय प्रोटोकाल (दिशानिर्देश) निर्धारित
राज्यसभा सचिवालय के जारी बयान के मुताबिक साइंस एंड टेक्नोलॉजी मामलों की स्थायी समिति की बैठक 10 जुलाई को बुलाई गई है। जबकि 15 जुलाई को गृह मामलों की स्थायी समिति की बैठक होनी है। सभी 21 सदस्यों समेत विभागीय अफसरों को इसकी जानकारी दे दी गई है। समिति के सदस्यों को बैठक में आने से पहले अपनी उपस्थिति को कन्फर्म करना होगा, ताकि संबंधित सदस्य के आने और बैठक में हिस्सा लेने का पूरा इंतजाम किया जा सके।राज्यसभा सचिवालय ने आठ सूत्रीय प्रोटोकाल (दिशानिर्देश) निर्धारित किये हैं। इनमें समिति के सदस्य कम से कम 6 फीट की दूरी पर बैठेंगे। समिति की बैठक में मंत्रालय या संबंधित विभाग के केवल दो अफसरों को ही हिस्सा लेने की अनुमति होगी। अगर सदस्य इससे अधिक अफसरों से पूछताछ करना चाहें तो उन्हें बारी-बारी अंदर बुलाया जा सकता है। हालांकि गवाहों की संख्या पर रोक नहीं रहेगी। सदस्यों को बैठक से संबंधित दस्तावेज सॉफ्ट कापी ही उपलब्ध करायी जाएगी।
संसद की स्थायी समिति को 'मिनी संसद' भी कहा जाता है
समिति की बैठक में बयान दर्ज करने वाले संसदीय रिपोर्टर कमेटी रुम के वेल में बैठ सकेंगे। सदस्यों की हाजिरी कमेटी रूम से बाहर ली जाएगी। समिति से जुड़े अफसरों की उपस्थिति सीमित रहेगी। बैठक की तैयारियों के लिए सदस्यों की उपस्थिति पहले ही तय कर ली जाएगी। अफसरों और अन्य स्टाफ के लिए हैंड सेनिटाइजर, डिस्पोजेबल मास्क और दस्ताने जैसी वस्तुएं समिति कक्ष के बाहर ही उपलब्ध कराई जाएंगी। कोरोना के प्रकोप और लाकडाउन के चलते सांसद अपने क्षेत्रों से दिल्ली आने को तैयार नहीं थे, जिसके चलते गृह मामलों समेत कई समितियों की बैठकें रद्द हो चुकी हैं। संसद की स्थायी समिति को 'मिनी संसद' भी कहा जाता है।