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पेगासस मुद्दे की जांच के लिए रास सदस्य ने खटखटाया सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा, कही यह बात

राज्यसभा सदस्य जान ब्रिटास ने इजरायली स्पाइवेयर पेगासस के जरिये कार्यकर्ताओं नेताओं पत्रकारों और संवैधानिक पदों पर काम करने वाले लोगों की कथित जासूसी को लेकर अदालत की निगरानी में जांच कराने का अनुरोध करते हुए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Sun, 25 Jul 2021 07:01 PM (IST)Updated: Mon, 26 Jul 2021 12:31 AM (IST)
पेगासस मुद्दे की जांच के लिए रास सदस्य ने खटखटाया सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा, कही यह बात
राज्यसभा सदस्य जान ब्रिटास ने पेगासस मामले में जांच कराने का अनुरोध करते हुए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है।

नई दिल्ली, पीटीआइ। राज्यसभा सदस्य जान ब्रिटास ने इजरायली स्पाइवेयर पेगासस के जरिये कार्यकर्ताओं, नेताओं, पत्रकारों और संवैधानिक पदों पर काम करने वाले लोगों की कथित जासूसी को लेकर अदालत की निगरानी में जांच कराने का अनुरोध करते हुए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है। हाल में मीडिया में आई खबरों में दावा किया गया था कि पेगासस का इस्तेमाल मंत्रियों, नेताओं, सरकारी अधिकारियों और पत्रकारों समेत करीब 300 भारतीयों की निगरानी करने के लिए किया गया। इससे देश में बड़ा राजनीतिक विवाद शुरू हो गया है।

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निगरानी में कराई जाए जांच

सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दाखिल करने वाले ब्रिटास ने कहा कि हाल में जासूसी के आरोपों ने एक बड़े वर्ग के बीच चिंता पैदा कर दी है और जासूसी का अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर गहरा असर पड़ेगा। उन्होंने पेगासस स्पाइवेयर के जरिये जासूसी करने के आरोपों के संबंध में अदालत की निगरानी में जांच कराए जाने का अनुरोध किया है।

जांच कराने की परवाह नहीं

माकपा के सदस्य ब्रिटास ने रविवार को एक बयान में कहा कि बहुत गंभीर प्रकृति के बावजूद केंद्र सरकार ने इस मुद्दे को लेकर आरोपों की जांच कराने की परवाह नहीं की है। उन्होंने कहा कि इस संबंध में संसद में प्रश्न उठाए गए थे। लेकिन सरकार ने स्पाइवेयर द्वारा जासूसी से न तो इनकार किया और न ही स्वीकार किया है।

प्रधानमंत्री दें जवाब : चिदंबरम

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी चिदंबरम ने रविवार को कहा कि सरकार को या तो जासूसी के आरोपों की संयुक्त संसदीय समिति के जरिये जांच करानी चाहिए या सुप्रीम कोर्ट से मामले की जांच के लिए किसी वर्तमान न्यायाधीश को नियुक्त करने का अनुरोध करना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को इस मामले को संसद में स्पष्ट करना चाहिए कि लोगों की निगरानी हुई या नहीं।

लगाए गंभीर आरोप

समाचार एजेंसी पीटीआइ की रिपोर्ट के मुताबिक पूर्व गृह मंत्री ने कहा कि उन्हें यकीन नहीं है कि कोई इस हद तक कह सकता है कि 2019 के पूरे चुनावी जनादेश को गैरकानूनी जासूसी से प्रभावित किया गया लेकिन ऐसा हो सकता है कि इससे भाजपा को जीत हासिल करने में मदद मिली हो।

राउत ने पूछा, जासूसी की फंडिंग किसने की

समाचार एजेंसी शिवसेना सांसद संजय राउत ने रविवार को पूछा कि पेगासस द्वारा राजनेताओं और पत्रकारों की कथित जासूसी के लिए किसने फंडिंग की। उन्होंने इसकी तुलना हिरोशिमा बम हमले से की। उन्‍होंने कहा कि कहा कि इजरायल के साफ्टवेयर द्वारा जासूसी करने से स्वतंत्रता की मृत्यु हुई है।

स्वतंत्रता की मृत्यु हुई

राउत ने शिवसेना के मुखपत्र सामना में अपने साप्ताहिक कालम रोखठोक में कहा, आधुनिक तकनीक ने हमें फिर से गुलामी में ले लिया है। उन्होंने कहा कि पेगासस मामला हिरोशिमा पर परमाणु बम हमले से अलग नहीं है। उन्होंने दावा किया, हिरोशिमा में लोग मारे गए, जबकि पेगासस मामला स्वतंत्रता की मृत्यु का कारण बना। 


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