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अब राजस्थान विस अध्यक्ष जोशी बोले- लागू करना ही होगा नागरिकता संशोधन कानून

कांग्रेस में राष्ट्रीय महासचिव व यूपीए सरकार में केंद्रीय मंत्री रहे जोशी ने कहा कि नागरिकता कानून केंद्र का विषय है ना कि राज्य का।

By Tilak RajEdited By: Published: Sat, 08 Feb 2020 06:55 PM (IST)Updated: Sat, 08 Feb 2020 06:55 PM (IST)
अब राजस्थान विस अध्यक्ष जोशी बोले- लागू करना ही होगा नागरिकता संशोधन कानून
अब राजस्थान विस अध्यक्ष जोशी बोले- लागू करना ही होगा नागरिकता संशोधन कानून

जयपुर, जागरण संवाददाता। कांग्रेस के दिग्गज नेता कपिल सिब्बल और सलमान खुर्शीद के बाद अब राजस्थान विधानसभा के अध्यक्ष डॉ. सीपी जोशी ने नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) को लेकर स्पष्ट किया है कि यह कानून राज्य सरकार को लागू करना ही होगा। कांग्रेस में राष्ट्रीय महासचिव व यूपीए सरकार में केंद्रीय मंत्री रहे जोशी ने कहा कि नागरिकता कानून केंद्र का विषय है, ना कि राज्य का। ऐसे में केंद्र द्वारा इस पर बनाए गए कानून को राज्यों को लागू करना ही पड़ेगा।

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कांग्रेस देशभर में कर रही सीएए का विरोध

गौरतलब है कि राजस्थान की अशोक गहलोत कैबिनेट ने सीएए के खिलाफ पिछले दिनों संकल्प पारित किया था। कांग्रेस भी इसका विरोध देशभर में कर रही है। राजस्थान में कांग्रेस सरकार भले ही नागरिकता संशोधन कानून (सीएए), राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) और राष्ट्रीय पब्लिक रजिस्टर (एनआरपी) के खिलाफ हो, मगर विधानसभा अध्यक्ष डॉ. सीपी जोशी इससे इत्तेफाक नहीं रखते हैं।

कांग्रेस शासित राज्य सरकारें अपने प्रदेश में सीएए को लागू नहीं करना चाहती

जोशी शुक्रवार को उदयपुर के मीरा कन्या महाविद्यालय के कार्यक्रम में शिरकत करने पहुंचे तो उन्होंने न सिर्फ प्रतिभावान छात्राओं को पुरस्कृत किया, बल्कि संविधान पर विस्तार से व्याख्यान भी दिया। संविधान की इसी व्याख्या के बीच उन्होंने केंद्र और राज्य सरकार के विषय को अलग-अलग तरीके से समझाया। डॉ. जोशी का यह बयान चर्चा में बना हुआ है, क्योंकि कांग्रेस शासित राज्य सरकारें अपने प्रदेश में सीएए को लागू नहीं करना चाहती हैं। पंजाब और छत्तीसगढ़ सरकार तो बाकायदा इसके खिलाफ प्रस्ताव भी पारित कर चुकीं हैं।

केंद्र से कानून वापस लेने की गहलोत ने की थी मांग

राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत तो सीएए और एनआरसी को प्रदेश में लागू नहीं होने देने का एलान कर चुके हैं। उन्होंने जनभावना का हवाला देते हुए केंद्र सरकार से इस कानून को वापस लेने की मांग भी की थी।


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