राहुल की यूनुस से वार्ता: नोबेल विजेता ने कहा- कोरोना ने विश्व को दिया नई व्यवस्था के निर्माण का मौका
राहुल गांधी ने कहा कि कोरोना में हमें एक नई कल्पना का अवसर मिला है जिसे हमें बाहर से लेने की बजाय अपने भीतर से पैदा करने की जरूरत है।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। नोबेल विजेता बांग्लादेश के ग्रामीण बैंक के संस्थापक मोहम्मद यूनुस ने कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी से बातचीत के दौरान कहा कि कोरोना वायरस ने दुनिया के सामाजिक और आर्थिक ढांचे की कमजोरियों को बेहद कुरूप तरीके से जाहिर किया है। इसीलिए परेशानी से घबराकर पुरानी व्यवस्था में लौटने की बजाय नई विश्व व्यवस्था का निर्माण करना चाहिए जिसमें न गरीबी हो न बेरोजगारी, न ग्लोबल वार्मिग और न ही पूंजी कुछ चंद लोगों के हाथों में सीमित हो।
युनूस ने राहुल की वार्ता, कहा- उस दुनिया में क्यों वापस जाना है जिसमें धन बहुत कम लोगों के पास रहा
कोरोना संकट के दौर में अलग-अलग क्षेत्र की हस्तियों और विशेषज्ञों के साथ चर्चा की अपनी श्रृंखला के तहत राहुल गांधी ने शुक्रवार को मोहम्मद यूनुस से बातचीत की। यूनुस ने कहा कि केवल पूंजी आधारित और ग्लोबल वार्मिंग के साथ उस दुनिया में क्यों वापस जाना है जिसमें धन बहुत कम लोगों के पास रहा है। अधिकांश लोगों का उस धन से कोई लेना-देना नहीं रहा है। यह आपदा अवसर की तरह लेने का मौका है जिसमें अर्थव्यवस्था की धुरी केवल शहर ही न हों, बल्कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था भी बराबर की हिस्सेदार हो।
राहुल ने सहमति जताते हुए कहा- भारत और बांग्लादेश के लिए व्यापक संभावनाएं हैं
राहुल ने इससे सहमति जताते हुए कहा कि भारत और बांग्लादेश जैसे देशों के लिए ऐसा करने का पश्चिम की तुलना में बड़ा अवसर है, क्योंकि बुनियादी ढांचे के निर्माण की हमारे देशों में अभी व्यापक संभावनाएं हैं।
कोरोना के चलते यूनुस ने कहा- मौजूदा आर्थिक ढांचे में गरीबों और महिलाओं के लिए जगह नहीं
यूनुस ने कोरोना काल में प्रवासी मजदूरों के पलायन का उदाहरण देते हुए कहा कि मौजूदा आर्थिक ढांचे में गरीबों और महिलाओं के लिए वाजिब जगह नहीं है। मौजूदा अर्थव्यवस्था इन लोगों को नहीं पहचानती है और इन्हें अनौपचारिक क्षेत्र कहा जाता है।
यूनुस ने कहा- हम स्वायत्त अर्थव्यवस्था के रूप में ग्रामीण अर्थव्यवस्था का निर्माण कर सकते हैं
जिसका मतलब है कि हमारा उनसे कोई लेना-देना नहीं है, वह अर्थव्यवस्था का हिस्सा नहीं हैं। ऐसे में आज अहम सवाल है कि हम समानांतर व स्वायत्त अर्थव्यवस्था के रूप में ग्रामीण क्षेत्र की अर्थव्यवस्था का निर्माण क्यों नहीं कर सकते।
राहुल ने कहा- महात्मा गांधी के ग्रामीण अर्थव्यवस्था के नजरिये की प्रासंगिकता आज भी कायम है
राहुल ने कहा कि महात्मा गांधी के ग्रामीण अर्थव्यवस्था के नजरिये की प्रासंगिकता आज भी कायम है। कुछ तरीकों पर पुनर्विचार करना चाहिए, क्योंकि ग्रामीण इलाकों के नागरिकों को बराबरी की जरूरत है। राहुल ने कहा कि कोरोना में हमें एक नई कल्पना का अवसर मिला है, जिसे हमें बाहर से लेने की बजाय अपने भीतर से पैदा करने की जरूरत है।