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विदेश में राहुल गांधी के इन बयानों से गरमाई भारत की सियासत

कांग्रेस जहां राहुल गांधी के बयानों पर सफाई दे रही है, वहीं भाजपा राहुल गांधी और कांग्रेस को घेरने में कोई कसर नहीं छोड़ रही है।

By Sanjeev TiwariEdited By: Published: Sat, 25 Aug 2018 05:11 PM (IST)Updated: Sat, 25 Aug 2018 05:11 PM (IST)
विदेश में राहुल गांधी के इन बयानों से गरमाई भारत की सियासत
विदेश में राहुल गांधी के इन बयानों से गरमाई भारत की सियासत

नई दिल्ली (जेएनएन)। कांग्रेस अध्‍यक्ष राहुल गांधी जब भी विदेश दौरे पर जाते हैं, कोई ना कोई विवादित बयान जरूर देते हैं। इस बार भी एेसा ही हुअा। राहुल गांधी इस समय ब्रिटेन और जर्मनी की 4 दिवसीय यात्रा पर हैं। इस दौरान राहुल ने अपने हर संबोधन में केंद्र की मोदी सरकार और अारएसएस पर जमकर निशाना साधा है। इस दौरान वे भूल जाते हैं कि हम भारत में बोल रहे हैं या विदेशी धरती पर। अाइये, राहुल गांधी के उन बड़े बयानों पर नजर डालते हैं, जिसके कारण भारत में जमकर सियासत हो रही है। कांग्रेस जहां राहुल गांधी के बयानों पर सफाई दे रही है, वहीं भाजपा राहुल गांधी और कांग्रेस को घेरने में कोई कसर नहीं छोड़ रही है।

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1- भारत में मॉब लिंचिंग की बढ़ती घटनाओं के पीछे बेरोजगारी

 जर्मनी के हैम्बर्ग में बुसेरियस समर स्कूल में छात्रों को संबोधित करते हुए राहुल ने देश में उन्‍माद की हिंसा (मॉब लिंचिंग) की बढ़ती घटनाओं को बेरोजगारी से जोड़ दिया। राहुल का ये बयान कुछ ऐसा ही है, जैसे कहा जाता है कि देश की बढ़ती जनसंख्‍या की वजह बेरोजगारी है। भारतीय जनता पार्टी ने राहुल गांधी के भाषण को झूठ और फरेब बताया है। संबित पात्रा ने कहा कि राहुल गांधी भारत को समझ ही नहीं पाए हैं। इसलिए उन्‍होंने ऐसा बयान देकर विदेश में भारत का मान घटाया है।

2-...तो बनेंगे आइएसआइएस जैसे आतंकी संगठन!

राहुल गांधी ने आतंकी संगठन आइएसआइएस के बनने का जिक्र करते हुए आगाह किया या कि अगर विकास की प्रक्रिया से लोगों को बाहर रखा गया, तो इसी तरह के हालात देश में पैदा हो सकते हैं। उन्होंने कहा कि लोगों को बाहर रखना 21वीं सदी में बेहद खतरनाक है। अगर 21वीं सदी में आप लोगों को नजरिया नहीं देते हैं तो कोई और देगा।'

3- RSS की तुलना मुस्लिम ब्रदरहुड से की

कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की तुलना अरब जगत के इस्लामी संगठन मुस्लिम ब्रदरहुड से की और आरोप लगाया कि आरएसएस भारत के स्वभाव को ‘बदलने’ और इसकी संस्थाओं पर ‘‘कब्जा’’ करने की कोशिश कर रहा है। राहुल के इस बयान पर भाजपा ने पलटवार करते हुए पूछा कि क्या कांग्रेस अध्यक्ष ने भारत नाम के विचार की ‘सुपारी’ ले रखी है। भाजपा ने कहा कि राहुल को अपने बयान के लिए माफी मांगनी चाहिए।

4-84 के दंगे में कांग्रेस के शामिल होने पर असहमति

ब्रिटेन की दो दिवसीय यात्रा पर गए राहुल गांधी ने ब्रिटेन के सांसदों और स्थानीय नेताओं की सभा में कहा कि 1984 की घटना त्रासदी थी और बहुत दुखद अनुभव था लेकिन उन्होंने इससे असहमति जताई कि इसमें कांग्रेस ‘‘शामिल’’ थी. उन्होंने कहा, ‘‘मुझे लगता है कि किसी के भी खिलाफ कोई भी हिंसा गलत है। राहुल ने कहा कि देश को आगे ले जाने के लिए हमारा काम लोगों को साथ लाना है और हमने ऐसा किया है। राहुल गांधी के इस बयान पर 1984 मामलों के वकील एच एस फुल्का ने उनके खिलाफ तीखा हमला बोला है।

5-अहंकार के कारण कांग्रेस सत्ता से बाहर हुई

लंदन के इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ स्ट्रेटजिक स्टडीज में संबोधित करते हुए उन्होंने कांग्रेस को 2014 में मिली हार के कारण का राज खोला है। राहुल ने 2014 में मिली हार पर कहा कि पार्टी के अंदर लगातार 10 साल तक सत्ता में बने रहने की वजह से अहंकार आ गया था और हमें उसी के कारण हार का मुंह का देखना पड़ा। हालांकि पार्टी ने अपनी हार से सबक सीखा है और अहंकार को स्वीकार किया है। दरअसल, राहुल गांधी से जब पूछा गया कि उनकी पार्टी ने 2014 में मिली चुनावी शिकस्त से क्या सीखा, तो उन्होंने कहा कि 10 साल तक सत्ता में रहने के बाद कांग्रेस में कुछ हद तक दंभ आ गया था और हमनें सबक सीखा।

6- मोदी की लापरवाही से डोकलाम

राहुल ने कहा कि चीन के साथ डोकलाम में गतिरोध नहीं हुआ होता, अगर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद सावधान रहते। उन्होंने कहा कि डोकलाम कोई अलग मुद्दा नहीं था। यह एक प्रक्रिया का हिस्सा था। यदि प्रधानमंत्री सावधानी से पूरी प्रक्रिया पर नजर रखते तो इसे रोका जा सकता था। उन्होंने दावा किया कि चीनी सैनिक डोकलाम में अब भी मौजूद हैं।

7-महिला अारक्षण विधेयक पर भाजपा के साथ

लंदन स्कूल ऑफ इकनॉमिक्स में राहुल ने कहा कि  मैंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक संदेश भेजा है, जिस दिन वह महिला आरक्षण विधेयक पारित कराना चाहते हैं, पूरी कांग्रेस पार्टी भाजपा के साथ खुशी से सहयोग के लिए खड़ी होगी।' बता दें कि राज्यसभा ने मार्च 2010 में ही महिला आरक्षण विधेयक को पारित कर दिया था, लेकिन लोकसभा में यह अब तक अटका हुआ है।


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