राहुल का बड़ा चुनावी वादा, सत्ता में आए तो सभी गरीबों को न्यूनतम आय की गारंटी
राहुल गांधी ने कहा कि कांग्रेस पार्टी न्यूनतम आमदनी गारंटी देती है। न कोई भूखा रहेगा, न कोई गरीब रहेगा। यह काम दुनिया में सबसे पहले कांग्रेस सरकार करेगी।
नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी फ्रंट फुट पर खेलते दिख रहे हैं। किसानों की कर्ज माफी के बाद राहुल ने आगामी चुनाव का एजेंडा तय करते हुए एक और बड़ा वादा किया है।
उन्होंने एलान किया है कि कांग्रेस केंद्र की सत्ता में आई तो देश के सभी गरीबों को 'न्यूनतम आय की गारंटी' दी जाएगी। कांग्रेस की कर्ज माफी के वादे का अंतरिम बजट में जवाब देने की तैयारी कर रही मोदी सरकार के लिए राहुल का यह नया दांव एक और सियासी चुनौती होगा। राजनीतिक विमर्श को मुद्दों पर फोकस करने की रणनीति के तहत राहुल गांधी ने छत्तीसगढ़ में गरीबों के लिए न्यूनतम आय गारंटी योजना लाने का यह एलान किया।
रायपुर में राहुल ने कहा कि कांग्रेस ने ऐतिहासिक निर्णय लिया है कि 2019 में पार्टी सत्ता में आई तो न्यूनतम आय गारंटी योजना तत्काल शुरू की जाएगी। इस योजना के बाद देश में कोई भूखा और गरीब नहीं रहेगा। न्यूनतम आमदनी गारंटी स्कीम पूरे देश में लागू की जाएगी। कांग्रेस के चुनाव घोषणा पत्र में इस योजना की रूपरेखा साफ की जाएगी। न्यूनतम आमदनी गारंटी के दांव के सियासी अहमियत को देखते हुए राहुल गांधी ने खुद ट्वीट कर इसे दोहराने से भी गुरेज नहीं किया। राहुल ने कहा, 'हमारे करोड़ों भाई-बहन जब तक गरीबी के दंश का सामना करते रहेंगे, तब तक हम नए भारत का निर्माण नहीं कर सकते।'
बढ़त ले रहे राहुल
कांग्रेस के एलान से साफ है कि भाजपा भले ही विपक्ष पर मोदी विरोध में डूबे रहने का तंज कसती रही हो लेकिन राजनीतिक विमर्श का एजेंडा तय करने में राहुल बढ़त लेते दिख रहे हैं। किसानों का कर्ज माफ करने का चुनावी वादा कांग्रेस पहले ही कर चुकी है। मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान के चुनाव में कर्ज माफी को ही कांग्रेस की जीत की सबसे अहम कड़ी माना गया।
भाजपा के दांव पर पटलवार
मोदी सरकार ने अगड़ी जाति के गरीबों को 10 फीसद आरक्षण का बड़ा दांव खेल पूरे विपक्ष को चौंका दिया था। इसके बाद शह-मात के इस खेल में राहुल ने प्रियंका गांधी वाड्रा को पूर्वी उत्तर प्रदेश का कांग्रेस महासचिव बनाते हुए राजनीति में उतारने का अचानक एलान कर भाजपा के साथ-साथ सपा-बसपा को भी हतप्रभ कर दिया। अब जब रोजगार के मोर्चे पर चुनौतियों को देखते हुए अंतरिम बजट में युवाओं को साधे जाने की सरकार की तैयारियों की चर्चाएं हैं, तब राहुल गांधी ने न्यूनतम आमदनी गारंटी का बड़ा वादा कर चुनावी एजेंडा तय करने में पीछे नहीं रहने के इरादे साफ कर दिए हैं। यूपीए-दो में शिक्षा का अधिकार कानून भी इसी तर्ज पर बना।
कांग्रेस नेताओं ने भी संभाली कमान
राहुल की घोषणा के बाद कांग्रेस ने यह संदेश देने की भी कोशिश की है कि आमदनी गारंटी का यह एलान चुनावी लॉलीपाप नहीं बल्कि हकीकत होगा। कांग्रेस नेता चिदंबरम ने कहा कि राहुल का एलान गरीबों की जिंदगी में बदलाव के लिए निर्णायक होगा। पूर्व वित्त मंत्री ने कहा कि बीते दो वर्ष में यूनिवर्सल बेसिक इनकम (यूबीआइ) पर काफी चर्चा हुई और अब वक्त आ गया है कि इसे गरीबों के लिए लागू किया जाए।
क्या है यूबीआइ?
यूनिवर्सल बेसिक इनकम (यूबीआइ) का अर्थ है सरकार की तरफ से देश के हर नागरिक को एक न्यूनतम मासिक आय देना। भारत में इसे सभी गरीब परिवारों के लिए लागू करने की बात होती रही है।
क्यों होना चाहिए लागू
वैश्विक स्तर पर असमानता तेजी से बढ़ रही है। इसीके साथ बेरोजगारी भी बढ़ रही। कुछ विशेषज्ञों के मुताबिक, यदि मौजूदा व्यवस्था को सहारा नहीं मिला को असमानता और बेरोजगारी सबसे बड़ी चुनौती बन जाएगी।
कैसे काम कर सकता है आर्थिक सर्वे
2016-17 के मुताबिक, भविष्य की इस योजना के तीन पक्ष हैं- सार्वभौमिक, बिना शर्त और संस्थागत। इसके आकलन के लिए गरीबी रेखा निर्धारित करने के सुरेश तेंदुलकर फॉर्मूले से 7,620 रुपये प्रति वर्ष तय किया गया है। लेकिन एक दूसरा सर्वे कहता है कि इस दर पर यूबीआइ को लागू करने पर जीडीपी का 4.9 फीसद खर्च सरकारी खजाने पर पड़ेगा।
लागू करना क्यों है कठिन
देश में गरीबी रेखा का आकलन सही तरीके से नहीं हुआ है। तेंदुलकर फॉर्मूले से 22 फीसद आबादी को गरीब बताया गया, जबकि सी. रंगराजन फॉर्मूले ने 29.5 फीसद आबादी को गरीबी रेखा के नीचे माना।
मोदी सरकार कर रही विचार
पहली फरवरी को मोदी सरकार के इस कार्यकाल का आखिरी बजट पेश होगा। चर्चा है कि इस अंतरिम बजट में सरकार यूनिवर्सल बेसिक इनकम का एलान कर सकती है। पूर्व वित्तीय सलाहकार अरविंद सुब्रमणियन ने 2016-17 के आर्थिक सर्वे में इस योजाना को लागू करने की सिफारिश की थी।